BE PROUD TO BE AN INDIAN

रविवार, नवंबर 11, 2018

दिव्यांगों के जीवट को दिखाती हुई लघुकथाएँ

पुस्तक - हौसले की लघुकथाएँ
संपादक – राजकुमार निजात 
प्रकाशन – धर्मदीप प्रकाशन 
पृष्ठ - 144
कीमत – 450 /- ( सजिल्द ) 
साहित्य का उद्देश्य है, कि वह दबे-कुचलों की आवाज बने | सामान्यत: दिव्यांग-जन समाज की उपेक्षा का शिकार होते आए हैं | ऐसे में साहित्यकार का कर्त्तव्य है, कि वह उनको साहित्य का विषय बनाकर उनकी स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करे | ऐसा ही प्रयास किया है, डॉ. राजकुमार निजात ने संपादित कृति “हौसलों की लघुकथाएं” द्वारा | यह कृति तीन भागों में विभक्त है | पहले भाग में आलेख हैं, दूसरे भाग में लघुकथाएँ हैं और तीसरे भाग में लघुकथाकारों का परिचय दिया गया है |

सोमवार, अक्तूबर 29, 2018

राज्य कवि ‘हंस’ के काव्य संसार का अनुशीलन करती शोध-कृति

शोध-पुस्तक - सामाजिक चेतना के कवि उदयभानु हंस 
लेखिका – सुनीता ‘आनन्द’
प्रकाशक – अर्पित प्रकाशक 
पृष्ठ – 104
कीमत – 200 /- 
सामन्यत: शोध कार्य किसी उपाधि की प्राप्ति के लिए ही किया जाता है, लेकिन सुनीता ‘आंनद’ का यह पसंदीदा विषय है, इसलिए वे बिना किसी उपाधि हेतु इस कार्य में रत हैं | ‘तेजिन्द्र के काव्य में सामाजिक चेतना’ उनका पहला शोध-ग्रन्थ था, जिसका प्रकाशन हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से हुआ और इसी से प्रेरित होकर आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान भिवानी ने आपसी सहयोग आधारित पुस्तक प्रकाशन योजना के अंतर्गत सुनीता ‘आनन्द’ के हरियाणा के प्रथम राज्य कवि उदयभानु हंस जी से संबंधित शोध कार्य को प्रकाशित करने का निर्णय किया | लेखिका ने इस शोध का विषय हंस जी के काव्य में सामजिक चेतना को चुना | 

रविवार, अक्तूबर 21, 2018

आरक्षण आधारित दंगों और पत्रकारिता का सच बताता उपन्यास


उपन्यास - खोया हुआ विश्वास
लेखक – आनन्द प्रकाश ‘आर्टिस्ट’
प्रकाशन – शब्द-शब्द संघर्ष
पृष्ठ – 128
मूल्य – 150 /-
भारतीय समाज जातीय ढांचे में बुरी तरह फंसा हुआ है | जातियों में उंच-नीच का भेद है और इसी कारण जाति आधारित आरक्षण लागू है | समय-समय पर भिन्न-भिन्न जातियां आरक्षण की मांग करती हैं और इसके लिए आगजनी-लूटपाट की जाती है | इन दंगों में शरारती तत्व भी सक्रिय होते हैं और राजनेता राजनैतिक रोटियाँ सेंकते हैं | पत्रकार इस समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन चैनल निष्पक्ष नहीं | समाज के इसी सच को दिखाया है, आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट ने अपने उपन्यास “ खोया हुआ विश्वास ” में |

मंगलवार, अक्तूबर 02, 2018

लड़कियों, औरतों के जीवन पर सूक्ष्म नजर रखता कविता-संग्रह


कविता-संग्रह – ये कॉलेज की लड़कियाँ
कवयित्री – डॉ. आरती बंसल
प्रकाशक – प्रगतिशील प्रकाशन
पृष्ठ – 112
कीमत – 150/-
प्रगतिशील प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. आरती बंसल के कविता-संग्रह ‘ ये कॉलेज की लडकियाँ ’ में 70 कविताएँ हैं | कवयित्री ने लडकियाँ शीर्षक से दो कविताएँ लिखी हैं, इसके अतिरिक्त वो लड़की, परम्पराओं से बंधी लड़की, ये कॉलेज की लडकियाँ कविताएँ भी हैं, अन्य कविताओं में भी लड़कियों को विषय बनाया गया है, जिससे स्पष्ट है कि लड़कियाँ इस संग्रह का केंद्र बिंदु है | कवयित्री लिखती है –
ये कॉलेज की लड़कियां / घर से निकलते वक्त /
सहेज लाती हैं अपने साथ / दादी के दिए संस्कार /
माँ की हिदायतें / और पिता का आशीर्वाद ( पृ. – 46 )

मंगलवार, सितंबर 18, 2018

प्रकृति के साथ-साथ विचरण करती हुई कविताएँ


कविता-संग्रह – जब तुम चुप रहती हो
कवि – रूप देवगुण
प्रकाशक – राज पब्लिशिंग हॉउस , दिल्ली
पृष्ठ – 76
कीमत – 80 /-
रूप देवगुण जी के कविता-संग्रह “ जब तुम चुप रहती हो ” का प्रकाशन 2004 में राज पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली द्वारा किया गया | इस संग्रह में 35 कविताएँ हैं | कवि ने इस संग्रह में प्रकृति के विविध रूपों, विशेषकर पानी और बादल को लेकर कविताओं की सृजना की है | जीवन के विभिन्न पहलुओं को भी विषय बनाया है और तत्कालीन हालातों पर भी रचनाएं लिखी हैं | कवि भूकम्प में तहस-नहस हुए भुज की पीड़ा को अपने भीतर महसूस करता है, तो डबवाली अग्निकांड पर एक माँ की तरफ से लिखता है -
तुम्हारा हलुवा / अब भी /
वैसे ही पड़ा है ( पृ. –  51 )

मंगलवार, सितंबर 04, 2018

सुन्दरता के साथ सच का परचम लहराता ग़ज़ल-संग्रह


ग़ज़ल-संग्रह – सच का परचम
ग़ज़लकार – अभिनव अरुण
प्रकाशक – अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद
पृष्ठ – 112
कीमत – 120 /- (साहित्य सुलभ संस्करण – 20 /-)
आज की ग़ज़ल मै, मीना, साकी तक ही सीमित नहीं, बल्कि वह समाज की समस्याओं को लेकर चलती है | उसके तेवर तीखे हैं | वह चोट भी करती है और आदर्श समाज हेतु समाधान भी बताती है | अभिनव अरुण का ग़ज़ल-संग्रह ‘ सच का परचम ’ भी कुछ इसी तरह का ग़ज़ल-संग्रह है | इस संग्रह में 98 ग़ज़लें हैं, जिनमें इक्का-दुक्का शे’र ही परम्परागत ढाँचे के हैं, शेष सभी तो यथार्थ का ब्यान करते हैं | शाइर ख़ुद कहता है -
मेरी ग़ज़लों में कोई छल नहीं है
समस्याएँ बहुत हैं हल नहीं है | ( पृ. – 43 )

बुधवार, अगस्त 29, 2018

औरत की पीड़ा को ब्यान करती संस्मरणात्मक कहानियाँ

कहानी-संग्रह – ऐसी-वैसी औरत
कहानीकार – अंकिता जैन
प्रकाशक – हिन्द युग्म
कीमत – 115 /-
पृष्ठ – 120
पुरुष और औरत भले ही समाज में बराबरी का हक रखते हैं, मगर कम ही औरतों को ये बराबरी मिल पाती है | औरतों को अनेक तरीकों से शोषित किया जाता है | “ ऐसी-वैसी औरत ” लेखिका ‘ अंकिता जैन ’ की 10 कहानियों का ऐसा संग्रह है, जिसमें दबी-शोषित औरतों के किस्से हैं |

सोमवार, अगस्त 13, 2018

सरल भाषा में महत्त्वपूर्ण विषयों को उठाती कविताएँ

कविता-संग्रह नये अहसास के साथ
कवयित्री डॉ. शील कौशिक
प्रकाशक राज पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ 76
कीमत 150 /-
हरियाणा साहित्य अकादमी के सहयोग से प्रकाशित कविता-संग्रह ‘ नये अहसास के साथ ’ में कवयित्री शील कौशिक ने 36 कविताओं को रखा है, जो नारी मन, स्त्री-पुरुष संबंधों, सामाजिक मान्यताओं और प्रकृति को लेकर रची गई हैं |

रविवार, अगस्त 05, 2018

लड़कियों को चिड़िया-गिलहरी के रूप में देखता कविता-संग्रह


कविता-संग्रह – कब चुप होती है चिड़िया
कवयित्री – डॉ. शील कौशिक
प्रकाशक – सुकीर्ति प्रकाशन
पृष्ठ – 88
कीमत – 200 /- ( सजिल्द )
बेटी चिड़िया सी होती है | सयानी होती लड़कियां गिलहरियों जैसी | लडकियों को चिड़िया-गिलहरी के रूप में देखता कविता-संग्रह है “ कब चुप होती है चिड़िया ” | डॉ. शील कौशिक के इस संग्रह में 49 कविताएँ हैं | कवयित्री लड़की से सपने के टूटने पर संदेश देती है –
एक घोंसला / तोड़ दिए जाने पर /
दूसरा घोंसला / बुनती है चिड़िया ( पृ. – 78 )

शनिवार, जुलाई 21, 2018

जीवन के विविध विषयों की बात करता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह – कविता से पूछो
कवयित्री – डॉ. शील कौशिक
प्रकाशन – अक्षरधाम प्रकाशन
पृष्ठ – 96
कीमत – 150 /- ( सजिल्द )
कविता क्या है और कवि होना क्या है, इस पर आलोचक यहाँ अक्सर अपने मत देते हैं वहीं कवि भी कभी-कभार अपनी रचनाओं में इस विषय को चुनते हैं | डॉ. शील कौशिक जी का कविता संग्रह ‘ कविता से पूछो ’ की कई कविताएँ इस सन्दर्भ में बात करती हैं | पुस्तक का शीर्षक बनी कविता में कवयित्री कहती हैं कि साहित्यकार दूसरों की प्रशंसा से नहीं, साहित्य से जुड़कर बना जाता है | कविता रचने के लिए चित्त से पार जाकर मचलते भावों को पकड़ना होता है, बिम्बों, अलंकारों से संवारना होता है | कविता इसलिए खिल उठती है क्योंकि वह मेहनतकश की मेहनत, त्योहारों की उमंग, महफिल की ठिठोली आदि लिए हुए है | कविता कवयित्री के जीवन में रच-बस गई और उसके साथ-साथ चलती है | एक अनलिखी कविता कवयित्री के साथ सोती, जागती है | वे लिखती हैं –
एक / अनलिखी कविता / हर पल /
होती है / मेरे आस-पास /
मंडराती है / तितली सी ( पृ. – 88 )

मंगलवार, जुलाई 10, 2018

जीवन के कण-कण में कविता देखता संग्रह

लघुकविता-संग्रह – खिड़की खोल कर तो देखो 
कवि - डॉ. रूप देवगुण 
प्रकाशन – अक्षरधाम प्रकाशन 
पृष्ठ – 80 
कीमत – 150 /- ( सजिल्द )
‘ खिड़की खोल कर तो देखो ’ 118 लघुकविताओं का गुलदस्ता है जो गाँव की टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी, बादलों के आने की बात करते हैं, नदी का करिश्मा देखना हो, ओढ़ कर एक लम्बी खामोशी, गली नदी बन गई है, खिड़की खोल कर तो देखो, रोटियाँ खा गईं हमारे बचपन को, पुल पर जगमगाती रौशनी, रात इतनी बुरी तो नहीं, सपनें सपनों को भोगते हैं और झंकृत हो गए मन के तार नामक ग्यारह भागों में विभक्त है |

सोमवार, जुलाई 02, 2018

लघु आकार में बड़ी बातें करती कविताएँ


लघुकविता संग्रह – रास्ता तय करते-करते
कवि – डॉ. रूप देवगुण
प्रकाशन – राज पब्लिशिंग हॉउस
पृष्ठ – 88
कीमत – 125 / - ( सजिल्द )
रास्ता तय करते-करते डॉ. रूप देवगुण जी की 123 लघुकविताओं का संग्रह हैं, जिनको उन्होंने सात भागों में विभाजित किया है | ये सात भाग हैं – चलो चलें पहाड़ पर, नाराज भी हो जाता है समुद्र, यह फाग है कि रंगों का मौसम, आज मैं बहुत उदास हूँ, सारे आकाश को अपने भीतर, अच्छा हूँ न मैं और अपना भी हो जाता है अजनबी | इन शीर्षकों से ही अंदाज लगाया जा सकता है कि कवि का मुख्य स्वर प्रकृति का चित्रण है | इस संग्रह में प्रकृति का वर्णन अधिकांशत: आलम्बन रूप में ही हुआ है, इसके अतिरिक्त कवि आत्म चिन्तन भी करता दिखता है | प्रकृति के माध्यम से वह जीवन दर्शन की बात भी करता है |

रविवार, जून 10, 2018

बदलाव और बिखराव की कहानी कहता उपन्यास

उपन्यास - रेहन पर रग्घू 
लेखक - काशीनाथ सिंह 
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स 
पृष्ठ - 164 
कीमत - 215/-
तीन खंडों के 29 अध्यायों में फैली रग्घू की कहानी दरअसल बदलाव और बिखराव की कहानी है | उपन्यास के अंतिम पृष्ठ पर अखिलेश जी का वक्तव्य " यह उपन्यास वस्तुत: गाँव, शहर, अमेरिका तक के भूगोल में फैला हुआ अकेले और निहत्थे पड़ते जा रहे समकालीन मनुष्य का बेजोड़ आख्यान है ", इस उपन्यास की सटीक व्याख्या है | 

बुधवार, मई 23, 2018

समाज में दिव्यांगों की दशा और दिशा का चित्रण करता लघुकथा-संग्रह

लघुकथा-संग्रह – दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएँ 
लेखक – राजकुमार निजात 
प्रकाशक – एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ – 136 
कीमत – 400 /- ( सजिल्द )
अनेकता जहां भारतीय समाज की विशेषता है वहीं भेदभाव का होना इसके माथे पर कलंक जैसा है | भारतीय समाज में जाति, आर्थिकता के आधार पर ऊँच-नीच तो है ही, शारीरिक व मानसिक सक्षमता के आधार पर भी वर्ग हैं | निशक्तजन दिव्यांग कहलाते हैं | कई बार समाज दिव्यांगों के प्रति सामान्यजन जैसा व्यवहार नहीं करता | कहीं इनके प्रति घृणा है, तो कहीं सहानुभूति जबकि बहुधा दिव्यांग इन दोनों को नहीं चाहता | वो चाहता है कि उसे सामान्य पुरुष-स्त्री जैसा सम्मान दिया जाए | राजकुमार निजात जी ने समाज के दिव्यांगों के प्रति नजरिए का बड़ी बारीकी से विश्लेषण करते हुए ‘ दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएँ ’ नामक लघुकथा-संग्रह का सृजन किया है | इस संग्रह में समाज में दिव्यांगों की स्थिति का वर्णन तो है ही, दिव्यांगों के नजरिए से समाज को भी देखा गया है | दिव्यांगों की मनोस्थिति को भी समझा गया है | कुछ दिव्यांग अपनी दिव्यांगता के कारण हीनभावना के शिकार हो जाते हैं, जबकि कुछ अपने हौसले से दिव्यांगता पर विजय पा लेते हैं | लेखक ने इन सभी स्थितियों को लघुकथाओं की कथावस्तु में पिरोया है |

रविवार, अप्रैल 08, 2018

प्रेम के साथ-साथ यथार्थ की बात करता संग्रह

कविता-संग्रह - बस तुम्हारे लिए 
कवयित्री - मीनाक्षी सिंह 
प्रकाशक - अंजुमन प्रकाशन 
पृष्ठ - 120 
कीमत - 120 /- ( पेपरबैक )
मेरी चाहतों का आसमां, यथार्थ धरातल, सुकून-ए-दर्द, रीते-रीते से पल और सकारात्मक बढ़ते कदम नामक पाँच शीर्षकों में विभक्त 68 कविताओं का गुलदस्ता है मीनाक्षी सिंह का कविता-संग्रह ' बस तुम्हारे लिए ' | इन 68 रचनाओं में 67 कविताएँ और 26 हाइकु हैं | कवयित्री ने प्रेम, दर्द, यथार्थ आदि अलग-अलग फ्लेवर की कविताओं को अलग-अलग शीर्षक के अंतर्गत रखा है | 

रविवार, मार्च 25, 2018

सतरंगी चमक बिखेरता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - सतरंगी आईना 
कवयित्री - मनजीतकौर ' मीत '
प्रकाशक - तस्वीर प्रकाशन, कालांवाली 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 150/- ( सजिल्द )
44 छन्दमुक्त कविताओं, 28 ग़ज़लनुमा कविताओं और 5 गीतों से सजी कृति है " सतरंगी आईना " | छन्दमुक्त कविताओं में भी ग़ज़ल और गीत शैली की कविताओं का समावेश है | कवयित्री ने इस संग्रह में यहाँ शिल्पगत विविधता को स्थान दिया है, वहीं भावगत विविधता को भी स्थान दिया है, जिससे यह संग्रह सही अर्थों में सतरंगी बन पड़ा है |

बुधवार, मार्च 21, 2018

विसंगतियों पर चिन्तन करती कृति

कविता-संग्रह - नदी को तलाश है 
कवि - डॉ. राजकुमार निजात 
प्रकाशक - एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ - 128 
कीमत - 300 / - ( सजिल्द )
जीवन की विसंगतियों और प्रकृति के बदलते रूप पर चिन्तन करती हुई 42 मध्यम आकार की और 140 लघु आकार की कविताओं का संग्रह है ' नदी की तलाश है '| कवि को नदी का निरंतर बहना किसी तलाश पर निकलना लगता है |

शुक्रवार, मार्च 16, 2018

आज के दौर का सच कहती लम्बी कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है 
लेखिका - प्रियंका ओम 
प्रकाशक - रेडग्रेब बुक्स 
पृष्ठ - 184 
कीमत - 175/- ( पेपर बैक )
सिर्फ पाँच कहानियों का संग्रह है " मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है " | पुस्तक में 184 पृष्ठ हैं और कहानियाँ पाँच तो स्पष्ट है कि कहानियाँ लम्बी हैं | अंतिम कहानी अन्यों की अपेक्षा छोटी है जबकि पहली सबसे लम्बी है | बीच की तीन कहानियाँ भी 40-40 पृष्ठ के लगभग हैं | आकार बड़ा होने की बावजूद कथानक के दृष्टिकोण से ये कहानियाँ ही हैं, लघु उपन्यास जैसा कुछ नहीं | लेखिका ने पात्रों के चरित्र उदघाटन, सजीव वर्णन और अपने ज्ञान के आधार पर विषयों को विस्तार दिया है | विषय आधुनिक जीवन और विशेषकर उन जगहों से संबंधित हैं जहाँ लेखिका रह रही है या रहती रही है |

रविवार, मार्च 04, 2018

अंतिम पलों में दुविधा से जूझते भीष्म की कथा कहता उपन्यास

उपन्यास - बोलो गंगापुत्र 
लेखक - डॉ. पवन विजय 
प्रकाशक - रेड्ग्रेब 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 99 /- ( पेपरबैक )
इतिहास हमेशा विजेताओं द्वारा लिखित होता है, इसलिए इतिहास में विजेताओं का यशोगान होना स्वाभाविक है | इतिहासकार और साहित्यकार का प्रमुख अंतर यही है कि साहित्यकार इतिहासकार की तरह हमेशा विजेताओं के पक्ष में खड़ा नहीं होता | साहित्य में प्राय: दबे-कुचले वर्गों, पात्रों का पक्ष लिया जाता है | डॉ. पवन विजय कृत उपन्यास " बोलो गंगापुत्र " महाभारत के युद्ध के बाद के दिनों में शरशैय्या पर पड़े भीष्म को युद्ध के विषय में मंथन करते और दुर्योधन के पक्ष में विचार करते हुए दिखाता है | इस उपन्यास में विजेता पक्ष पर ऊँगली उठाई गई |

मंगलवार, फ़रवरी 20, 2018

आस-पास मौजूद कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - ज़िन्दगी आइस-पाइस
कहानीकार - निखिल सचान
प्रकाशन - हिन्द युग्म
पृष्ठ - 144
कीमत - 100/ ( पेपरबैक )
आस-पड़ौस में मौजूद पात्रों और घट रही घटनाओं पर आधारित 9 कहानियों का संग्रह है " जिंदगी आइस पाइस " । इन कहानियों को बयां करने में लेखक ने अपनी पढ़ाई, अपने फिल्मी ज्ञान, धारावाहिकों के ज्ञान, क्रिकेट के ज्ञान आदि का भरपूर प्रयोग किया है । यदि कहा जाए कि लेखक ने कहानी कहने के लिए अपने ज्ञान को आधार बनाया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।

बुधवार, फ़रवरी 14, 2018

जीवन में सकारात्मकता का संदेश देता संग्रह

पुस्तक - सकारात्मक अर्थपूर्ण सूक्तियाँ
लेखक - हीरो वाधवानी 
प्रकाशन - अयन प्रकाशन
पृष्ठ- 168 
कीमत - 300 /- ( सजिल्द ) 
ज़िन्दगी जीना एक कला है । रो-रो कर वक्त व्यतीत तो किया जा सकता है, ज़िन्दगी जी नहीं जा सकती । ज़िन्दगी को जीने के लिए सकारात्मक नजरिये का होना बेहद जरूरी है । सकारात्मक नजरिये को विकसित करने के दृष्टिकोण से हीरो वाधवानी की पुस्तक " सकारात्मक अर्थपूर्ण सूक्तियां " एक महत्त्वपूर्ण कृति है । इस कृति में लेखक ने ऐसी सूक्तियाँ रखी हैं जिनको पढ़कर व्यक्ति की जीवन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है | 

रविवार, फ़रवरी 11, 2018

आज़ाद ख़्याली के जीवन दर्शन की बात करता यात्रा वृत्तांत { भाग - 3 }

पुस्तक – आज़ादी मेरा ब्रांड 
लेखिका - अनुराधा बेनीवाल 
प्रकाशन - सार्थक, राजकमल का उपक्रम
पृष्ठ - 204
मूल्य -  199 /-
*****
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यात्रा वृत्तांत मुख्य रूप से यात्रा के अनुभवों की अभिव्यक्ति ही होती है | अनुराधा यूरोप यात्रा के दौरान जिन देशों और शहरों में जाती हैं उनका न सिर्फ विस्तारपूर्वक वर्णन करती है, अपितु भारत के साथ, भारतीय संस्कृति के साथ तुलना करती है और अपने विचार भी रखती है, जिससे यह यात्रा वृत्तांत सिर्फ यात्रा वृत्तांत नहीं रह जाता अपितु लेखिका के जीवन दर्शन को ब्यान करता हुआ प्रतीत होता है | वैसे तो वह ख़ुद को लिव-इन की बड़ी सपोर्टर कहती है, लेकिन आज के प्यार को भी पसंद नहीं करती | पहले के प्यार की आज के प्यार से तुलना करते हुए वह लिखती है –
महीने में एक बार चिट्ठी लिखी, अपने दिल का हाल बताया और जरूरत की बात लिखी | ये थोड़े ही पूछते होंगे – बेबी डिनर में क्या खाया ?, बेबी, रात को अकेले मत जाना, बेबी, क्या पहना है ? फोटो भेजो |, इतना छोटा टॉप क्यों पहना है ! मैं नहीं हूँ तो किसे दिखाओगी ? और ये लो जी, अभी तो जान-पहचान हो ही रही थी कि हो गया ब्रेक-अप !

बुधवार, जनवरी 31, 2018

अपने आप में एक अनूठा संग्रह

कविता-संग्रह - पाँच लघु काव्य-संग्रह एक साथ 
कवि - पाँच कविगण 
प्रकाशक - राज पब्लिशिंग हॉउस 
पृष्ठ - 118 
कीमत - 175 /- ( सजिल्द )
सांझे संकलन में एक संपादक होता है, जो अन्य रचनाकारों से रचनाएँ एकत्र कर प्रकाशन-संपादन का दायित्व निभाता है, लेकिन " पाँच लघु काव्य-संग्रह एक साथ " एक ऐसा साँझा संग्रह है, जिसमें कोई संपादक नहीं, हालांकि भूमिका के आधार पर कहा जा सकता है कि इसमें संपादक की भूमिका रूप देवगुण जी ने निभाई होगी | उन्होंने इस संग्रह को सांझा-संग्रह कहने की बजाए पाँच लघु काव्य-संग्रह कहा है | प्रत्येक संग्रह में 12 से 15 कविताएँ हैं | प्रत्येक कविता-संग्रह का अलग नाम है और सभी कवियों ने अपने संग्रह के लिए आत्मकथ्य लिखा है | कवियों को उनकी उम्र के हिसाब से क्रम दिया गया है |

बुधवार, जनवरी 24, 2018

सरल-सहज भाषा की प्रभावशाली लघुकविताएँ

लघुकविता-संग्रह - चाँदनी रात में उड़ते बगुले 
कवि - रूप देवगुण 
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल 
पृष्ठ - 80 
मूल्य - 250 /- ( सजिल्द )
आकार में क्षणिका से बड़ी और कविता से छोटी होती है लघुकविता  | लघुकविता साहित्य की नई विधा है और लघुकथा की तरह ही अपनी जगह बना रही है | प्रो. रूप देवगुण इस विधा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं | उनकी सदी प्रकाशित कृति " चाँदनी रात में उड़ते बगुले " 120 लघुकविताओं का संग्रह है, जो 9 खंडों में विभक्त है |

बुधवार, जनवरी 17, 2018

गृहस्थी के दायित्वों के साथ कवि-कर्म का नमूना

कविता-संग्रह - मेरे शब्द शिशु 
कवयित्री - ममता शर्मा ' मनस्वी '
प्रकाशक - तस्वीर प्रकाशन, मंडी कालांवाली 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 150 /- ( सजिल्द )
भले ही पुरुष और स्त्री जीवन के दो पहिए हैं, लेकिन गृहस्थी का दायित्व स्त्री को ही अधिक निभाना होता है | उसे अपना जीवन भी जीना होता है और पति, बच्चों, सास-ससुर की जिम्मेदारियां भी उठानी होती हैं | इन जिम्मदारियों को निभाते हुए कोई स्त्री कैसे कवि कर्म को करती है और कैसे उसका दायित्व उसकी कविताओं में झलकता है, इसका नमूना है ममता शर्मा ' मनस्वी ' का कविता-संग्रह " मेरे शब्द शिशु " |

बुधवार, जनवरी 10, 2018

कहानियों में नारी पात्रों के महत्त्व को दिखाती पुस्तक

पुस्तक - रूप देवगुण के कहानियों में नारी के विभिन्न रूप 
लेखक - ज्ञानप्रकाश ' पीयूष '
प्रकाशन - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल 
पृष्ठ - 180 
कीमत - 450 /- ( सजिल्द )
प्रो. रूप देवगुण की समस्त कहानियों का अध्ययन करते हुए उनमें प्रमुख नारी पात्रों पर आधारित कहानियों का विश्लेषण करती पुस्तक है ' रूप देवगुण की कहानियों में नारी के विभिन्न रूप ' | इस संकलन में रूप देवगुण की 13 कहानियां हैं और सभी कहानियों के पूर्व ज्ञानप्रकाश ' पीयूष ' जी ने समीक्षात्मक आलेख दिया है | अंत में उपसंहार भी है |

बुधवार, जनवरी 03, 2018

जीवन दर्शन को ब्यान करने का सफल प्रयास

सूक्ति-संग्रह - सूक्तियाँ मेरा अनुभव संसार 
लेखक - निजात 
प्रकाशक - एस. एन. पब्लिकेशन, नई दिल्ली 
पृष्ठ - 168 
कीमत - 450 ( सजिल्द )
एक साहित्यकार अपने अनुभव के बल पर अपने साहित्य में अनेक ऐसी पंक्तियाँ लिखता है, जो अपने आप में पूरी रचना होती हैं और जीवन-दर्शन का निचोड़ होने के कारण वे मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं, लेकिन ऐसी उक्तियों को साहित्य में ढूँढने के लिए पाठक के पास भी उच्चकोटि की समझ होनी चाहिए | ' निजात ' जी ने " सूक्तियाँ मेरा अनुभव संसार " में सीधे-सीधे सूक्तियाँ लिखकर पाठक का काम आसान कर दिया है | इस संग्रह में 2200 सूक्तियाँ हैं जो 27 विषयों में विभक्त हैं | निस्संदेह, यह लेखक के विशाल अनुभव का परिणाम है | उसने जीवन को जैसा देखा, जैसा समझा उसे सार रूप में कहा है ताकि आम पाठक उसे समझ सके, अपना सके |

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