नव लेखन के प्रति मेरी आशावादिता हमेशा से ही सकारात्मक रही है. उन्होंने कभी मेरी आशाओं को धूमिल भी नहीं होने दिया. नव रचनाकारों को प्रति मेरे विचारों को अधिक बल तब और मिलने लगता है जब उनकी रचनाएँ इतिहास दृष्टि से वर्तमान को समझने में पाठक को आमन्त्रित करती है. इसी कड़ी में ‘महाभारत जारी है’ के रचनाकार दिलबाग सिंह ‘विर्क’ से मुलाकात होती है |
BE PROUD TO BE AN INDIAN
बुधवार, जुलाई 27, 2016
मंगलवार, जुलाई 12, 2016
साहित्याकाश पर धूप बिखेरने की आस जगाता संग्रह
कविता संग्रह - तेरे ख़्यालों की धूप
कवयित्री - शारदा झा
प्रकाशक - क्रिएटिव कैम्पस प्रकाशन
पृष्ठ - 120 ( पेपरबैक )
कीमत - 150 /-
62 कविताओं से सजा युवा कवयित्री ' शारदा झा ' का पहला कविता-संग्रह " तेरे ख़्यालों की धूप " में ख़्यालों की धूप भी है, प्रेम की बारिश भी है, यादों का अंधेरा-उजाला भी है, मिलन की बंसत भी है और जुदाई का पतझड़ भी । शब्द, कविता और जीवन पर दार्शनिक नजरिया भी अपनाया है । भले ही सामयिक हालातों का चित्रण आंशिक रूप में हुआ है, लेकिन मानव के व्यवहार पर खूब तंज कसा गया है ।
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