BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, नवंबर 18, 2020

भक्ति और प्रेम की बात करता कविता-संग्रह

 कविता-संग्रह - तुम्हारे लिए

कवयित्री - स्वाति शशि

प्रकाशक - ब्लैकवर्डस पब्लिकेशन, थाने

पृष्ठ - 152

कीमत - ₹200/-

अमेरिका के मिशिगन में रह रही भारतीय मूल की कवयित्री स्वाति शशि का हिंदी साहित्य के क्षेत्र में पहला कदम कविता-संग्रह के रूप में आया है, जो समर्पण भावना से ओत-प्रोत है। प्यार की भावना को समर्पित इस कविता-संग्रह का नाम "तुम्हारे लिए" भी समर्पण भावना का परिचायक है। थाने ( महाराष्ट्र ) के ब्लैकवर्डस पब्लिकेशन से प्रकाशित इस संग्रह में 115 कविताएँ हैं। इनमें से 113 कविताएँ कवयित्री ने लिखी हैं और 2 कविताएँ स्वाति पर उसकी दो दोस्तों रश्मि किरण और अर्चना कुमारी ने लिखी हैं। इस संग्रह में माँ, रंग, नदी, चाँद, ज़िंदगी, लम्हा, बातें आदि अनेक शीर्षकों को लेकर एकाधिक कविताओं की रचना की गई है। संग्रह में भक्ति और प्रेम की प्रधानता होते हुए भी समाज और प्रकृति का भरपूर चित्रण मिलता है।

बुधवार, नवंबर 11, 2020

पहली दस्तक से उम्मीद जगाता विविधता भरा कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - एहसास के गुंचे

कवयित्री - अनीता सैनी

प्रकाशन - प्राची डिजिटल पब्लिकेशन

पृष्ठ - 180

मूल्य - 240/-

प्राची डिजिटल पब्लिकेशन, मेरठ से प्रकाशित "एहसास के गुँचे" अनीता सैनी का प्रथम संग्रह है। इस संग्रह में 128 कविताएँ हैं। पहली कविता गुरु वंदना के रूप में है, जिसमें 5 दोहे हैं। कवयित्री के अनुसार गुरु के ध्यान से ज्ञान की राह संभव होगी, उनके अनुसार गुरु महिमा का बखान संभव नहीं -

"गुरु की महिमा का करें, कैसे शब्द बखान

जाकर के गुरुधाम में, मिलता हमको ज्ञान।" (पृ. - 19)

इसके बाद की 127 कविताओं को वर्ण्य-विषय के आधार पर 6 विषयों में विभक्त किया गया है। 

सोमवार, जुलाई 06, 2020

वीरों को याद करती, आदर्श समाज का सपना देखती कविताओं का संग्रह

कविता-संग्रह - ढाई आखर
कवि - बलबीर सिंह वर्मा 'वागीश'
प्रकाशक - Book Rivers
कीमत - 180
बलबीर वर्मा सोशल मीडिया के साहित्यिक ग्रुपों का जाना-माना नाम है और यह नाम उसने अल्पावधि में कमाया है और इसका कारण है निरन्तर सृजन करना, साहित्यिक ग्रुपों में बढ़ चढ़कर भाग लेना । निरन्तर लेखन से उसकी रचना शैली में निखार आया है। अब उसका झुकाव छंदबद्ध की ओर हुआ है, लेकिन इस संग्रह में छंदमुक्त रचनाएँ ही हैं । इस संग्रह में तुकांत का प्रयोग भले ही खूब हुआ है, लेकिन रचनाएँ छंदमुक्त ही रही हैं । हाँ, जापानी छंद सेदोका में एक कविता जरूर है । यह संग्रह उसकी शुरुआती रचनाओं का है । इस संग्रह में कवि ने समाज के नायकों, त्योहारों को लेकर लिखी कविताओं को स्थान दिया है, तो समाज में फैली विसंगतियों को देखकर मन में उठे सवालों, ख्यालों से बनी कविताओं को भी रखा है । कवि एक आदर्श समाज का सपना देखता है ।

बुधवार, जून 17, 2020

प्रकृति के सान्निध्य में रची गई कविताएँ


कविता-संग्रह - पहाड़ के बादल अभिनय करते हैं
कवि - डॉ. रूप देवगुण
प्रकाशक - राज पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
पृष्ठ - 76
कीमत - ₹100/-

राज पब्लिशिंग हाउस दिल्ली से 2008 में प्रकाशित 'पहाड़ के बादल अभिनय करते हैं', 'रूप देवगुण' का आठवाँ कविता-संग्रह है, जिसमें मध्यम आकार की 37 कविताएँ हैं। सभी कविताएँ प्रकृति से जुड़ी हुई हैं। सिर्फ एक कविता दो दोस्तों से संबंधित है। इसमें दो दोस्तों की बातचीत है और कवि कहता है कि हमें दूसरे को बोलने का मौका देना चाहिए। इस कविता में  वाणी को गड़गड़ाहट और बारिश जैसा कहकर कवि ने प्रकृति से जोड़ा है।

बुधवार, जून 10, 2020

साहित्य में अपनी खनक छोड़ती शायरी

पुस्तक - आज के प्रसिद्ध शायर अमीर कज़लबाश
संपादक - कन्हैयालाल नन्दन
प्रकाशक - राजपाल
पृष्ठ - 160
कीमत - ₹150/-
"क्या किसी दौर में ऐसा भी हुआ है यारो
आईना देख के हर शख्स डरा है यारो।"
आईना सच को सच कहता है और इसलिए आज का दौर आईने से, आईना दिखानेवालों से डरता है। शायर से बढ़कर आईना दिखानेवाला कौन होगा। अमीर कज़लबाश ऐसा ही शायर है, जिसकी शायरी के केंद्र में आईना है। यह बात दावे के साथ कही जा सकती है 'राजपाल' प्रकाशन से प्रकाशित कन्हैयालाल नन्दन द्वारा संपादित पुस्तक "आज के प्रसिद्ध शायर अमीर क़जलबाश" को पढ़कर।

बुधवार, जून 03, 2020

जीवन दर्शन की बात करता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - नदी की तैरती सी आवाज़
कवि - रूप देवगुण
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल
कीमत - ₹150/-
पृष्ठ - 96
'नदी की तैरती-सी आवाज़' रूप देवगुण का ग्यारहवाँ कविता-संग्रह है, जिसका प्रकाशन 2013 में सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल से हुआ। इस संग्रह में 48 कविताएँ हैं और अधिकांश कविताएँ प्रकृति से जुड़ी हुई हैं। इस संग्रह का नाम भी इसे प्रकृति काव्य सिद्ध करता है। कविताओं में प्रकृति के किसी-न-किसी अवयव का जिक्र है और उसके माध्यम से कवि अपनी बात करता है। कवि के जीवन के प्रति नजरिये को इन कविताओं से समझा जा सकता है।

बुधवार, मई 27, 2020

प्रकृति के सान्निध्य में सरल जीवन जीने का सन्देश देती कविताएँ

कविता-संग्रह - युग से युग तक
कवि - राजकुमार निजात
प्रकाशन - बोधि प्रकाशन, जयपुर
पृष्ठ - 124
कीमत - ₹150/-
राजकुमार निजात कृत कविता-संग्रह "युग से युग तक" बोधि प्रकाशन से सितंबर 2018 में प्रकाशित हुआ। इस संग्रह में 101 कविताएँ हैं, जिन्हें कवि ने छह दिनों की अल्पावधि में सृजित किया है। कवि ने प्रकृति और जीवन से जुड़े सजीव-निर्जीव अवयवों जैसे - नदी, पहाड़, सूरज, आसमान, कुआँ, वृक्ष, परिंद, बच्चा, शिक्षक, दादी, स्कूल, घण्टी, रास्ता आदि के माध्यम से अपनी कविताएँ कही हैं। वह परिंदों से, सूरज से, आसमान से बातचीत करता है।

बुधवार, मई 20, 2020

दाम्पत्य में आई संवादहीनता का परिणाम दिखाता उपन्यास

उपन्यास - कोई फायदा नहीं
उपन्यासकार - श्याम सखा श्याम
पृष्ठ - 120
(त्रैमासिक पत्रिका मसि-कागद के अंक के रूप में प्राप्त)
हरियाणा साहित्य अकादमी से पुरस्कृत उपन्यास 'कोई फायदा नहीं' हरियाणा साहित्य अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ. श्याम सखा श्याम द्वारा लिखा गया है। इस उपन्यास को उन्होंने 'स्त्री-पुरुष संबंधों की विडम्बना पर आधारित' कहा है। ये कहानी है कुलश्रेष्ठ दम्पति की, जिनका दाम्पत्य जीवन बड़ा दुखदायी रहा। रत्ना का यह कहना -
"क्या, विवाह मजबूरी ही रहेगी हमेशा?
" (पृ. - 84)
इसके कथानक को स्पष्ट करती है। वैवाहिक जीवन क्यों दुखदायी बना, इसको विस्तार से बताया गया है। यह घट चुकी घटनाओं का बयान है, इसलिए क्यों का उत्तर मिल पाता है। घट चुकी घटनाएं डायरी के द्वारा प्रकट होती हैं। एक डायरी नरोत्तम कुलश्रेष्ठ की है और दूसरी डायरी उसकी पत्नी रत्ना की। ये दोनों डायरियाँ मिलती हैं शेखर गोस्वामी को। शेखर कर्णधार की भूमिका निभाता है। 

बुधवार, मई 13, 2020

मन साधकर जीवन को बदलने की बात करती पुस्तक


पुस्तक - सफल एवं स्वस्थ जीवन के सात गुरुमंत्र
लेखक - डॉ. पुष्प कुमार शर्मा
प्रकाशन - आधार प्रकाशन, पंचकूला
पृष्ठ - 119
कीमत - ₹200/-
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई
जैसे अहसान उतारता है कोई। 
गुलजार का यह शे'र बहुत से लोगों के जीवन के प्रति नज़रिये को बयां करता है। ज्यादातर लोग ज़िन्दगी जीने की बजाए दिन काटने में विश्वास रखते हैं, जबकि ज़िन्दगी का असली मज़ा जीने में है। जीने की कला सिखाने के लिए अनेक विद्वानों, महापुरुषों ने प्रयास किये हैं। आधार प्रकाशन, पंचकूला से प्रकाशित डॉ. पुष्पकुमार शर्मा की पुस्तक "सफल एवं स्वस्थ जीवन के सात गुरुमंत्र" इसी दिशा में एक प्रयास है। इस पुस्तक में 10 अध्याय हैं, जिनमें से पहले सात अध्याय एक-एक मंत्र के रूप में हैं। इन अध्य्यायों से पूर्व लेखक ने अपनी बात भी कही है।

रविवार, मई 10, 2020

कवि की जीवन दृष्टि को परिलक्षित करती कविताएँ


कविता-संग्रह - मेरे घर आई नदी
कवि - पूरन मुद्गल
प्रकाशक - बोधि प्रकाशन, जयपुर
कीमत - ₹100/-
पृष्ठ - 87
2018 में बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित कविता-संग्रह "मेरे घर आई नदी" स्वर्गीय पूरन मुद्गल जी की अंतिम पुस्तक है। इस संग्रह में 48 कविताएँ हैं, जिनमें कवि कभी खुद से तो कभी दूसरों से संवाद रचाता है। हालांकि वह किसी वाद, दर्शन में बंधना नहीं चाहता, लेकिन वह कर्मवाद का समर्थक है। वह कहता है-
"भाग्य के दस्तक देने पर भी / दरवाज़ा खोलने के लिए /
उठना तो पड़ता है" (पृ. - 35)

बुधवार, मई 06, 2020

समाज के उजले और कुरूप पक्ष को दिखाती लघुकथाएँ

लघुकथा-संग्रह - तो दिशु ऐसे कहता
लघुकथाकार - रूप देवगुण
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन
पृष्ठ - 95
कीमत - ₹150/-
2012 में सुकीर्ति प्रकाशन से प्रकाशित लघुकथा-संग्रह "तो दिशु ऐसे कहता" रूप देवगुण जी का चौथा लघुकथा-संग्रह है। इस संग्रह की लघुकथाओं के माध्यम से लेखक ने समाज के उजले पक्ष को भी दिखाया है और कुरूप पक्ष को भी। कुरूप पक्ष को लेकर लेखक ने कहीं-कहीं सिर्फ स्थिति का चित्रण मात्र किया है, और कहीं-कहीं कटाक्ष किया है। कुछ लघुकथाओं में लेखक रास्ता भी दिखाता है।

रविवार, मई 03, 2020

मसाले और सालन में लिपटी कहानियाँ

कहानी-संग्रह - नमक स्वादानुसार
लेखक - निखिल सचान
प्रकाशक - हिन्द-युग्म
पृष्ठ - 165
कीमत - ₹120/-
कहानी-संग्रह 'नमक स्वादानुसार' का पहला संस्करण 2013 में हिन्द-युग्म, दिल्ली से प्रकाशित हुआ और यह निखिल सचान का पहला कहानी-संग्रह है। इसके कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं, जो इसकी लोकप्रियता का सूचक है। हिन्द-युग्म नई हिंदी आंदोलन का ध्वजवाहक है और इसके अंतर्गत इसके अनेक लेखक हिंदी साहित्य में नामी लेखक का खिताब लिए हुए हैं, लेकिन जिस नई हिंदी की वकालत की जा रही है, उसे स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं, यह पाठक को तय करना है। नई हिंदी का एक प्रयोग तो रोमन लिपि का प्रयोग है, जो देवनागरी लिपि के लिए खतरा कहा जा सकता है और दूसरा प्रयोग है गालियों की भरमार। इस संग्रह में रोमन लिपि का प्रयोग भी हुआ है, और अशिष्ट भाषा का भरपूर प्रयोग भी, हालांकि रोमन लिपि का प्रयोग एक विशेष पात्र को प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण से स्वीकार किया जा सकता है, फिर भी वह हिंदी के सामान्य पाठक के काम का नहीं।

बुधवार, अप्रैल 29, 2020

खुद से बात करने, सकारात्मक रहने की सलाह देती पुस्तक

पुस्तक - 5 पिल्स लेखक - डॉ. अबरार मुल्तानी प्रकाशन - राधकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली कीमत - ₹150/- पृष्ठ - 144
राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित "5 पिल्स" डॉ. अबरार मुल्तानी की डिप्रेशन-स्ट्रेस मुक्ति विषय से संबंधित पुस्तक है। डॉ. मुल्तानी पेशे से डॉक्टर हैं और वे दवाइयों से तो मरीजों को ठीक करते ही हैं, साथ-ही-साथ अपने लेखन द्वारा भी स्वस्थ रहने के उपाय बताते हैं। डिप्रेशन का संबन्ध तो जीवन-शैली से है, इसलिए इस विषय पर पुस्तक दवाई से अधिक महत्त्वपूर्ण है, लेकिन पुस्तक कोई भी हो, तभी अपना प्रभाव दिखाती है, जब उसे सिर्फ पढ़ने तक न रखकर उसकी बातों को जीवन में उतारा जाए। यही समझाने के लिए डॉ. मुल्तानी ने पुस्तक की शुरूआत में ही पुस्तक का अधिकतम लाभ उठाने का तरीका बताया है और यह तरीका सिर्फ इसी पुस्तक तक न रखकर हर पुस्तक पर अपनाया जाए तो पुस्तकें निस्संदेह अधिक उपयोगी हो पाएँगी।

रविवार, अप्रैल 26, 2020

प्रेम और सामाजिक विषयों की कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - वो यादें
लेखिका - इंदु सिन्हा
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल
पृष्ठ - 96
कीमत - ₹200/-
2011 में सुकीर्ति प्रकाशन कैथल से प्रकाशित इंदु सिन्हा के कहानी-संग्रह में ग्यारह कहानियाँ हैं, जो प्रेम के पलों, प्रेम में संघर्ष और समाज के विविध विषयों से संबंधित हैं। लेखिका को प्रीत और पराग नाम विशेष प्रिय लगता है, तभी चार कहानियों के पात्र यही हैं। यह भी आभास होता है कि संभवतः ये एक ही युगल है, जिसकी कहानी को लेखिका ने चार भागों में विभक्त करके कहा है। तीन कहानियाँ तो एक श्रृंखला का ही हिस्सा लगती हैं।

बुधवार, अप्रैल 22, 2020

जीवन अनुभवों से निकले मोतियों का संग्रह

सूक्ति-संग्रह - मनोहर सूक्तियाँ
सूक्तिकार - हीरो वाधवानी
प्रकाशन - के.बी.एस. प्रकाशन, दिल्ली
कीमत - ₹450/-
पृष्ठ - 240 ( सजिल्द )
हीरो वाधवानी एक प्रसिद्ध सूक्तिकार हैं। "मनोहर सूक्तियाँ" उनका तीसरा सूक्ति संग्रह है, जो के.बी.एस. प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित है। इस संग्रह के दो भाग हैं। प्रथम भाग में सूक्तियाँ हैं और दूसरे भाग में हीरी वाधवानी के पूर्व प्रकाशित सूक्ति-संग्रहों पर की गई विभिन्न विद्वानों की समीक्षा को रखा गया। पुस्तक के अन्त में प्रकाशक का महत्त्वपूर्ण वक्तव्य है। प्रकाशक सूक्तियों को सिद्ध-सूत्र कहते हुए लिखते हैं -
"सूक्तियाँ अर्थात ऐसे सिद्ध सूत्र जो जीवन को जीने और सफल बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह कल्पना के आधार पर रची/कही कविता या कहानी से बिलकुल भिन्न जीवन के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान का पिटारा होते हैं, जो बहुत ही मुश्किल से प्राप्त होते हैं।" (पृ. - 239 )

रविवार, अप्रैल 19, 2020

रिश्तों के सच को दिखाती कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - रिश्तों का एहसास
लेखिका - सुरेखा शर्मा
प्रकाशन - समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद
कीमत - ₹150/-
पृष्ठ - 100
समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद से 2011 में प्रकाशित कहानी-संग्रह "रिश्तों का अहसास" की लेखिका हैं, 'सुरेखा शर्मा'। नाम के अनुरूप इस संग्रह की कहानियाँ समाज में व्याप्त रिश्तों को लेकर रची गई हैं। वृद्ध माता-पिता के प्रति व्यवहार, सास-बहू और पति-पत्नी के संबन्ध प्रमुखता से बयान हुए हैं। खून के रिश्तों के अतिरिक्त मानवता के नातों का भी बयान है। रिश्तों का कुरूप और सुंदर पक्ष, दोनों को लेखिका ने बड़ी खूबसूरती से बयान किया है। 

बुधवार, अप्रैल 15, 2020

रीतिकाल के लक्ष्य-ग्रन्थों-सा आभास देता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - मैं बनूँगा गुलमोहर कवि - सुशोभित सक्तावत प्रकाशन - लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ कीमत - ₹150/- पृष्ठ - 136
सुशोभित सक्तावत कृत "मैं बनूँगा गुलमोहर" प्रेम कविताओं और गद्यगीतों का संकलन है जिसे लोकोदय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। कविता-संग्रह की शुरूआत में कवि ने अपनी बात को कविता रूप में "और मैंने भी तो" शीर्षक से लिखा है, जिसमें वह होमर, बीथोवन और काफ्का के अपने क्षमताओं के विपरीत कार्य का वर्णन कर अपने द्वारा प्रेम तराने लिख डालने की बात करता है। इन प्रेम तरानों में कवि प्रेम का वर्णन करने के लिए अनेक माध्यमों को चुनता है, कभी वह संगीत का सहारा लेता है, कभी रंगों का, कभी प्रकृति का। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम भी प्रेम चर्चा के माध्यम हैं। वह पढ़े हुए नॉवलस का सहारा लेता है और उनके पात्रों के जिक्र से अपनी बात कहता है। कवि अपनी कविताओं में इन चीजों के ज्ञान का प्रदर्शन करता है और इसे प्रेम से जोड़ता है लेकिन प्रेम के स्वाभाविक वियोग और संयोग का चित्रण कम ही हो पाया है। प्रेमिका को देखना, उसको सोचना और प्रेम को बताने मात्र तक वह रुक जाता है। प्रेम के पलों के इक्का-दुक्का चित्रों को छोड़कर प्रेम कविता में जिस शिद्दत से मिलन और जुदाई को दिखाया जाना चाहिए उसका नितांत अभाव दिखा है।

बुधवार, अप्रैल 08, 2020

समाज, राजनीति, सोशल मीडिया का सच दिखाती लघुकथाएँ

लघुकथा-संग्रह - फिर वही पहली रात लेखक - विजय विभोर प्रकाशक - लेखक स्वयं पृष्ठ - 112 कीमत - ₹150/-
"फिर वही पहली रात" लघुकथा-संग्रह युवा लेखक विजय विभोर की कृति है, जिसे उसने खुद प्रकाशित किया है। इस संग्रह में 92 लघुकथाएँ हैं, जिनमें कुछ दो पृष्ठ तक का विस्तार लिए हुए हैं, तो कुछ दो पंक्तियों की हैं। लम्बाई महत्त्वपूर्ण नहीं, महत्त्वपूर्ण होता है कथानक और इसका प्रस्तुतिकरण। लघुकथा में एक ही प्रसंग होता है। अन्य कोई भी बात लघुकथा में शामिल करने से इसमें फालतू का विस्तार हो जाता है, जो इस विधा के दृष्टिकोण से उचित नहीं।

बुधवार, अप्रैल 01, 2020

तथाकथित विकास से पिसते निम्न मध्यम वर्ग को दिखाता उपन्यास

उपन्यास - मास्टर प्लान लेखिका - आरिफ अविस प्रकाशक - डायमंड बुक्स पृष्ठ - 135 कीमत - ₹150/-
डायमंड बुक्स से प्रकाशित युवा लेखिका आरिफ अविस का उपन्यास "मास्टर प्लान" दिल्ली को टोकियो में बदलने के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ते प्रभाव को दिखाता है। दिल्ली टोकियो तो नहीं बन पाता है, लेकिन इससे हजारों परिवारों का जीवन अंधकारमय बन जाता है। लेखिका ने कथानक में एक मुस्लिम परिवार को चुना है, जो दर्जी के पुश्तैनी धंधे से जुड़ा है और तरक्की के लिए कानपुर से दिल्ली आता है। तरक्की करता भी है, लेकिन कभी कुदरत की मार तो कभी सरकार की मार उसे फिर पुरानी स्थिति में ले जाती है। कुदरत की मार तो परिवार झेल जाता है, लेकिन सरकार का पहला झटका इस घर के बड़े लड़के को पागल बना जाता है तथा दूसरा झटका दूसरे लड़के को भीतर तक हिला जाता है, नायिका की माँ स्वर्ग सिधार जाती है और नई पीढ़ी के युवक से उसकी पढ़ाई छुड़वा लेती है। यह उपन्यास एक और  झटके की खबर के साथ समाप्त होता है, जो निश्चित रूप से इस परिवार को प्रभावित करेगा ।

बुधवार, मार्च 25, 2020

सहज रूप से ग्राह्य कविताओं का संग्रह

लघुकविता-संग्रह - दिन ढल रहा था कवि - रूप देवगुण प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल कीमत - ₹250/- पृष्ठ - 80 ( सजिल्द )
सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल से प्रकाशित "दिन ढल रहा था" रूप देवगुण की लघु कविताओं का संग्रह है, जिसमें 67 लघु कविताएँ 6 अध्य्यायों में विभक्त है। इनकी समरूपता इनके आकार को लेकर है। सभी कविताएँ 10-10 पंक्तियों की है। एक अध्याय में एक ही विषय की कविताएँ हैं या हम कह सकते हैं कि एक विषय पर कवि ने अलग-अलग बिम्बों को या अपने अलग-अलग दृष्टिकोण को एक साथ बयान किया है। 

बुधवार, मार्च 18, 2020

प्रदूषित हो रही गंगा के प्रति चिंता दिखाता संग्रह

लघुकविता-संग्रह - मासूम गंगा के सवाल कवयित्री - शील कौशिक प्रकाशक -साहित्यसागर, जयपुर पृष्ठ - 128 कीमत - ₹200/-
मासूम गंगा के सवाल" गंगा पर केंद्रित 108 लघुकविताओं का संग्रह है और इस अनूठी कृति की रचना की है शील कौशिक ने। साहित्यसागर, जयपुर से प्रकाशित इस कृति के बारे में कवयित्री का खुद का कहना है -
"मैं केवल आस्तिकता या अंधविश्वास का ढोल गले में बाँधकर नहीं पीट रही, बल्कि यह काव्य कृति गंगा को मानवीय दृष्टि से देखने का प्रयास मात्र है।" ( पृ. - 6 )

बुधवार, मार्च 11, 2020

भाषायी आडम्बर से मुक्त सरल और बोधगम्य कविताओं का संग्रह

लघुकविता-संग्रह - जो मैं न कह सका कवि - रूप देवगुण प्रकाशन - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल कीमत - ₹300/- पृष्ठ - 111 ( सजिल्द )
सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल से प्रकाशित रूप देवगुण कृत "जो मैं न कह सका" लघु कविताओं का संग्रह है। इसमें 91 कविताओं को 8 अध्यायों में बाँटकर प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक अध्याय के आगे एक लघु आलेख है, जिसमें कवि ने अध्याय के विषय में अपने विचार रखे हैं।

शनिवार, फ़रवरी 29, 2020

कोहरे को सूरज से उड़ा देने की चाहत से सराबोर संग्रह


कविता-संग्रह - कोहरा सूरज धूप

कवि - बृजेश नीरज
प्रकाशन - अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद
कीमत - 120/-
पृष्ठ - 112

अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद की साहित्य सुलभ योजना के अंर्तगत प्रकाशित बृजेश नीरज का कविता संग्रह "कोहरा सूरज धूप" अपने नाम के अनुरूप प्रकृति के चित्रण से भरपूर है, लेकिन कवि ने प्रकृति के मनोहारी चित्र कम ही खींचे हैं। प्रकृति के अवयव उद्दीपन का काम करते हैं। कवि निराश है, हालांकि वह हताश नहीं, उसके भीतर आक्रोश है और इसे बयान करने के लिए वह प्रकृति का सहारा लेता है। 

बुधवार, फ़रवरी 26, 2020

जीवन के सहज उपलब्ध विषयों पर रची गई लघुकथाएँ

लघुकथा-संग्रह – तुमने मुझको झिड़का क्यों नहीं
लघुकथाकार – रूप देवगुण
प्रकाशक – सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल
कीमत – 250/-
पृष्ठ – 80 ( सजिल्द )
सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल से प्रकाशित रूप देवगुण जी के लघुकथा-संग्रह "तुमने मुझे झिड़का क्यों नहीं" में 69 लघुकथाएँ हैं। यह संग्रह पांच भागों में विभक्त है। संग्रह का विभाजन विषय वस्तु को लेकर किया गया है, इसलिए कहा जा सकता है कि मोटे रूप से इस संग्रह में विषयों के पांच वर्ग हैं।

रविवार, फ़रवरी 16, 2020

सतसई काव्य परम्परा की महत्वपूर्ण कृति

पुस्तक - पीयूष सतसई
कवि - ज्ञानप्रकाश पीयूष
प्रकाशक - बोधि प्रकाशन, जयपुर
पृष्ठ - 136
कीमत - ₹150/-
परमात्मा, जीव, संसार, समाज, नैतिकता, जीवन शैली आदि तमाम विषयों पर चिंतन मनन करते हुए ज्ञानप्रकाश पीयूष जी ने जिस कृति की सृजना की है, वो है "पीयूष सतसई"। बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित यह सतसई सात अध्यायों में विभक्त है। प्रत्येक अध्याय में 100 दोहे हैं। अध्यायों का वर्गीकरण विषयानुसार तो नहीं कहा जा सकता, क्योंकि प्रत्येक अध्याय में सभी विषयों पर दोहे रचे गए हैं। 

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