BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, अप्रैल 29, 2020

खुद से बात करने, सकारात्मक रहने की सलाह देती पुस्तक

पुस्तक - 5 पिल्स लेखक - डॉ. अबरार मुल्तानी प्रकाशन - राधकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली कीमत - ₹150/- पृष्ठ - 144
राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित "5 पिल्स" डॉ. अबरार मुल्तानी की डिप्रेशन-स्ट्रेस मुक्ति विषय से संबंधित पुस्तक है। डॉ. मुल्तानी पेशे से डॉक्टर हैं और वे दवाइयों से तो मरीजों को ठीक करते ही हैं, साथ-ही-साथ अपने लेखन द्वारा भी स्वस्थ रहने के उपाय बताते हैं। डिप्रेशन का संबन्ध तो जीवन-शैली से है, इसलिए इस विषय पर पुस्तक दवाई से अधिक महत्त्वपूर्ण है, लेकिन पुस्तक कोई भी हो, तभी अपना प्रभाव दिखाती है, जब उसे सिर्फ पढ़ने तक न रखकर उसकी बातों को जीवन में उतारा जाए। यही समझाने के लिए डॉ. मुल्तानी ने पुस्तक की शुरूआत में ही पुस्तक का अधिकतम लाभ उठाने का तरीका बताया है और यह तरीका सिर्फ इसी पुस्तक तक न रखकर हर पुस्तक पर अपनाया जाए तो पुस्तकें निस्संदेह अधिक उपयोगी हो पाएँगी।

रविवार, अप्रैल 26, 2020

प्रेम और सामाजिक विषयों की कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - वो यादें
लेखिका - इंदु सिन्हा
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल
पृष्ठ - 96
कीमत - ₹200/-
2011 में सुकीर्ति प्रकाशन कैथल से प्रकाशित इंदु सिन्हा के कहानी-संग्रह में ग्यारह कहानियाँ हैं, जो प्रेम के पलों, प्रेम में संघर्ष और समाज के विविध विषयों से संबंधित हैं। लेखिका को प्रीत और पराग नाम विशेष प्रिय लगता है, तभी चार कहानियों के पात्र यही हैं। यह भी आभास होता है कि संभवतः ये एक ही युगल है, जिसकी कहानी को लेखिका ने चार भागों में विभक्त करके कहा है। तीन कहानियाँ तो एक श्रृंखला का ही हिस्सा लगती हैं।

बुधवार, अप्रैल 22, 2020

जीवन अनुभवों से निकले मोतियों का संग्रह

सूक्ति-संग्रह - मनोहर सूक्तियाँ
सूक्तिकार - हीरो वाधवानी
प्रकाशन - के.बी.एस. प्रकाशन, दिल्ली
कीमत - ₹450/-
पृष्ठ - 240 ( सजिल्द )
हीरो वाधवानी एक प्रसिद्ध सूक्तिकार हैं। "मनोहर सूक्तियाँ" उनका तीसरा सूक्ति संग्रह है, जो के.बी.एस. प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित है। इस संग्रह के दो भाग हैं। प्रथम भाग में सूक्तियाँ हैं और दूसरे भाग में हीरी वाधवानी के पूर्व प्रकाशित सूक्ति-संग्रहों पर की गई विभिन्न विद्वानों की समीक्षा को रखा गया। पुस्तक के अन्त में प्रकाशक का महत्त्वपूर्ण वक्तव्य है। प्रकाशक सूक्तियों को सिद्ध-सूत्र कहते हुए लिखते हैं -
"सूक्तियाँ अर्थात ऐसे सिद्ध सूत्र जो जीवन को जीने और सफल बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह कल्पना के आधार पर रची/कही कविता या कहानी से बिलकुल भिन्न जीवन के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान का पिटारा होते हैं, जो बहुत ही मुश्किल से प्राप्त होते हैं।" (पृ. - 239 )

रविवार, अप्रैल 19, 2020

रिश्तों के सच को दिखाती कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - रिश्तों का एहसास
लेखिका - सुरेखा शर्मा
प्रकाशन - समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद
कीमत - ₹150/-
पृष्ठ - 100
समन्वय प्रकाशन, गाजियाबाद से 2011 में प्रकाशित कहानी-संग्रह "रिश्तों का अहसास" की लेखिका हैं, 'सुरेखा शर्मा'। नाम के अनुरूप इस संग्रह की कहानियाँ समाज में व्याप्त रिश्तों को लेकर रची गई हैं। वृद्ध माता-पिता के प्रति व्यवहार, सास-बहू और पति-पत्नी के संबन्ध प्रमुखता से बयान हुए हैं। खून के रिश्तों के अतिरिक्त मानवता के नातों का भी बयान है। रिश्तों का कुरूप और सुंदर पक्ष, दोनों को लेखिका ने बड़ी खूबसूरती से बयान किया है। 

बुधवार, अप्रैल 15, 2020

रीतिकाल के लक्ष्य-ग्रन्थों-सा आभास देता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - मैं बनूँगा गुलमोहर कवि - सुशोभित सक्तावत प्रकाशन - लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ कीमत - ₹150/- पृष्ठ - 136
सुशोभित सक्तावत कृत "मैं बनूँगा गुलमोहर" प्रेम कविताओं और गद्यगीतों का संकलन है जिसे लोकोदय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। कविता-संग्रह की शुरूआत में कवि ने अपनी बात को कविता रूप में "और मैंने भी तो" शीर्षक से लिखा है, जिसमें वह होमर, बीथोवन और काफ्का के अपने क्षमताओं के विपरीत कार्य का वर्णन कर अपने द्वारा प्रेम तराने लिख डालने की बात करता है। इन प्रेम तरानों में कवि प्रेम का वर्णन करने के लिए अनेक माध्यमों को चुनता है, कभी वह संगीत का सहारा लेता है, कभी रंगों का, कभी प्रकृति का। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम भी प्रेम चर्चा के माध्यम हैं। वह पढ़े हुए नॉवलस का सहारा लेता है और उनके पात्रों के जिक्र से अपनी बात कहता है। कवि अपनी कविताओं में इन चीजों के ज्ञान का प्रदर्शन करता है और इसे प्रेम से जोड़ता है लेकिन प्रेम के स्वाभाविक वियोग और संयोग का चित्रण कम ही हो पाया है। प्रेमिका को देखना, उसको सोचना और प्रेम को बताने मात्र तक वह रुक जाता है। प्रेम के पलों के इक्का-दुक्का चित्रों को छोड़कर प्रेम कविता में जिस शिद्दत से मिलन और जुदाई को दिखाया जाना चाहिए उसका नितांत अभाव दिखा है।

बुधवार, अप्रैल 08, 2020

समाज, राजनीति, सोशल मीडिया का सच दिखाती लघुकथाएँ

लघुकथा-संग्रह - फिर वही पहली रात लेखक - विजय विभोर प्रकाशक - लेखक स्वयं पृष्ठ - 112 कीमत - ₹150/-
"फिर वही पहली रात" लघुकथा-संग्रह युवा लेखक विजय विभोर की कृति है, जिसे उसने खुद प्रकाशित किया है। इस संग्रह में 92 लघुकथाएँ हैं, जिनमें कुछ दो पृष्ठ तक का विस्तार लिए हुए हैं, तो कुछ दो पंक्तियों की हैं। लम्बाई महत्त्वपूर्ण नहीं, महत्त्वपूर्ण होता है कथानक और इसका प्रस्तुतिकरण। लघुकथा में एक ही प्रसंग होता है। अन्य कोई भी बात लघुकथा में शामिल करने से इसमें फालतू का विस्तार हो जाता है, जो इस विधा के दृष्टिकोण से उचित नहीं।

बुधवार, अप्रैल 01, 2020

तथाकथित विकास से पिसते निम्न मध्यम वर्ग को दिखाता उपन्यास

उपन्यास - मास्टर प्लान लेखिका - आरिफ अविस प्रकाशक - डायमंड बुक्स पृष्ठ - 135 कीमत - ₹150/-
डायमंड बुक्स से प्रकाशित युवा लेखिका आरिफ अविस का उपन्यास "मास्टर प्लान" दिल्ली को टोकियो में बदलने के एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार पर पड़ते प्रभाव को दिखाता है। दिल्ली टोकियो तो नहीं बन पाता है, लेकिन इससे हजारों परिवारों का जीवन अंधकारमय बन जाता है। लेखिका ने कथानक में एक मुस्लिम परिवार को चुना है, जो दर्जी के पुश्तैनी धंधे से जुड़ा है और तरक्की के लिए कानपुर से दिल्ली आता है। तरक्की करता भी है, लेकिन कभी कुदरत की मार तो कभी सरकार की मार उसे फिर पुरानी स्थिति में ले जाती है। कुदरत की मार तो परिवार झेल जाता है, लेकिन सरकार का पहला झटका इस घर के बड़े लड़के को पागल बना जाता है तथा दूसरा झटका दूसरे लड़के को भीतर तक हिला जाता है, नायिका की माँ स्वर्ग सिधार जाती है और नई पीढ़ी के युवक से उसकी पढ़ाई छुड़वा लेती है। यह उपन्यास एक और  झटके की खबर के साथ समाप्त होता है, जो निश्चित रूप से इस परिवार को प्रभावित करेगा ।

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