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रविवार, मार्च 25, 2018

सतरंगी चमक बिखेरता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - सतरंगी आईना 
कवयित्री - मनजीतकौर ' मीत '
प्रकाशक - तस्वीर प्रकाशन, कालांवाली 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 150/- ( सजिल्द )
44 छन्दमुक्त कविताओं, 28 ग़ज़लनुमा कविताओं और 5 गीतों से सजी कृति है " सतरंगी आईना " | छन्दमुक्त कविताओं में भी ग़ज़ल और गीत शैली की कविताओं का समावेश है | कवयित्री ने इस संग्रह में यहाँ शिल्पगत विविधता को स्थान दिया है, वहीं भावगत विविधता को भी स्थान दिया है, जिससे यह संग्रह सही अर्थों में सतरंगी बन पड़ा है |

बुधवार, मार्च 21, 2018

विसंगतियों पर चिन्तन करती कृति

कविता-संग्रह - नदी को तलाश है 
कवि - डॉ. राजकुमार निजात 
प्रकाशक - एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ - 128 
कीमत - 300 / - ( सजिल्द )
जीवन की विसंगतियों और प्रकृति के बदलते रूप पर चिन्तन करती हुई 42 मध्यम आकार की और 140 लघु आकार की कविताओं का संग्रह है ' नदी की तलाश है '| कवि को नदी का निरंतर बहना किसी तलाश पर निकलना लगता है |

शुक्रवार, मार्च 16, 2018

आज के दौर का सच कहती लम्बी कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है 
लेखिका - प्रियंका ओम 
प्रकाशक - रेडग्रेब बुक्स 
पृष्ठ - 184 
कीमत - 175/- ( पेपर बैक )
सिर्फ पाँच कहानियों का संग्रह है " मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है " | पुस्तक में 184 पृष्ठ हैं और कहानियाँ पाँच तो स्पष्ट है कि कहानियाँ लम्बी हैं | अंतिम कहानी अन्यों की अपेक्षा छोटी है जबकि पहली सबसे लम्बी है | बीच की तीन कहानियाँ भी 40-40 पृष्ठ के लगभग हैं | आकार बड़ा होने की बावजूद कथानक के दृष्टिकोण से ये कहानियाँ ही हैं, लघु उपन्यास जैसा कुछ नहीं | लेखिका ने पात्रों के चरित्र उदघाटन, सजीव वर्णन और अपने ज्ञान के आधार पर विषयों को विस्तार दिया है | विषय आधुनिक जीवन और विशेषकर उन जगहों से संबंधित हैं जहाँ लेखिका रह रही है या रहती रही है |

रविवार, मार्च 04, 2018

अंतिम पलों में दुविधा से जूझते भीष्म की कथा कहता उपन्यास

उपन्यास - बोलो गंगापुत्र 
लेखक - डॉ. पवन विजय 
प्रकाशक - रेड्ग्रेब 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 99 /- ( पेपरबैक )
इतिहास हमेशा विजेताओं द्वारा लिखित होता है, इसलिए इतिहास में विजेताओं का यशोगान होना स्वाभाविक है | इतिहासकार और साहित्यकार का प्रमुख अंतर यही है कि साहित्यकार इतिहासकार की तरह हमेशा विजेताओं के पक्ष में खड़ा नहीं होता | साहित्य में प्राय: दबे-कुचले वर्गों, पात्रों का पक्ष लिया जाता है | डॉ. पवन विजय कृत उपन्यास " बोलो गंगापुत्र " महाभारत के युद्ध के बाद के दिनों में शरशैय्या पर पड़े भीष्म को युद्ध के विषय में मंथन करते और दुर्योधन के पक्ष में विचार करते हुए दिखाता है | इस उपन्यास में विजेता पक्ष पर ऊँगली उठाई गई |

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