कविता-संग्रह – अकुलाहटें मेरे मन की
कवयित्री – महिमा श्री
प्रकाशक – अंजुमन प्रकाशन
पृष्ठ – 112 ( पेपरबैक )
कीमत – 120/- ( साहित्य सुलभ संस्करण के अंर्तगत 20/- )
समाज में व्याप्त बुराइयाँ, भेद-भाव हर भावुक इंसान को व्याकुल करते हैं | कवयित्री ‘ महिमा श्री ’ भी इसी व्याकुलता को अपने कविता संग्रह “ अकुलाहटंक मेरे मन की ” में अभिव्यक्ति करती है | समसामयिक मुद्दों को लेकर भी उनकी कलम चलती है और शाश्वत मुद्दों पर भी |