भाग- 1
भाग - 2
भाग - 3
भाग - 4
भाग - 5
भाग - 2
भाग - 3
भाग - 4
भाग - 5
आकर्षण प्रकृति का शाश्वत नियम है | नैगेटिव और पाजिटिव सदैव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं | मानव में भी विपरीत लिंगियों के बीच आकर्षण पाया जाता है | यह स्वाभाविक ही है | यही आकर्षण प्रेम का आधार है | आकर्षण के बिना प्रेम संभव ही नहीं, क्योंकि प्रेम तभी होगा, जब कोई अच्छा लगेगा | अच्छा लगना ही आकर्षण है | प्रेम के लिए आकर्षण आवश्यक तो है, लेकिन आकर्षण ही प्रेम नहीं | यह महज पहला सोपान है | आकर्षण हर बार प्रेम में बदले, यह भी ज़रूरी नहीं |