नशेडी, जुआरी और वेश्यागमन करने वाले व्यक्ति के परिवार के दुखों की कहानी है शरतचंद्र का उपन्यास शुभदा. शुभदा इस उपन्यास की केंद्र बिंदु है. उसका पति हारान बीस रूपये माह पर नौकरी करता है. इतनी आमदनी काफी है, लेकिन वह नशा करता है और कात्यायनी नामक वेश्या पर पैसे लुटाता है. पैसे के लिए गबन करता है, परिणामस्वरूप नौकरी चली जाती है. बाद में वह जुआ खेलता है, भिक्षा मांगता है.