लेखक - दिलबागसिंह विर्क
प्रकाशक - अंजुमन प्रकाशन, प्रयागराज
पृष्ठ - 152
कीमत - 150/-
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श्री दिलबाग सिंह विर्क का प्रथम कहानी-संग्रह कवच समीक्षा हेतु मेरे सम्मुख है। पुस्तक का शीर्षक एवं आवरण पृष्ठ बहुत सुंदर होने के साथ-साथ यह अहसास कराता है जैसे कि यह शीर्षक उनकी सभी कहानियों का कवच हो। वर्ष 2005 से लेकर अद्यतन लेखक निरंतर लेखन से जुड़े रहे हैं । वे एक कवि, समीक्षक और संपादक होने के साथ-साथ एक कहानीकार भी हैं और उनके खाते में कई कविता-संग्रह, समीक्षा पुस्तक, संपादन एवं अनुवाद शामिल हैं। हिंदी के अलावा पंजाबी भाषा में भी उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। जैसा कि विर्क जी ने अपनी पुस्तक की समीक्षा में लिखा है कि उनकी मातृभाषा पंजाबी है लेकिन हिंदी की उनकी कहानियां पढ़ते हुए यह एहसास होता है कि हिंदी भाषा पर भी उनकी पकड़ गहरी और मजबूत है। उनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे बड़ी सीधी और सरल भाषा में लिखी गई हैं। शब्दों की दुरूहता कहीं भी दृष्टिगोचर नहीं होती। पात्रों का चरित्र-चित्रण भी कहानी के परिवेश अनुसार ही बहुत सही ढंग से किया गया है। संग्रह में शामिल सभी कहानियां अलग-अलग विषयों पर आधारित हैं जो कि उनकी विभिन्न मुद्दों पर साहित्यिक समझ को रेखांकित करती हैं । संग्रह की प्रथम कहानी "खूंटे से बंधे लोग" जब मैंने पढ़ी तो लेखक के लेखन शिल्प का प्रभाव छोड़ गई और बता गई कि आगे की सब कहानियां भी बहुत बेहतर लिखी गई होंगी। कहानी लेखन दरअसल जीवन में घटी हुई घटनाओं या फिर केवल कल्पना के आधार पर सोची गई घटनाओं का दर्पण है। कई बार यह दर्पण अंदर से बाहर की यात्रा करता है तो कभी बाहर से भीतर की। जिस प्रकार हर घटना में कुछ व्यक्ति और परिस्थितियां होती हैं उसी प्रकार कहानी में भी कुछ व्यक्ति, स्थान और परिस्थितियां होती हैं। कहानी लेखन में इन घटनाओं का चित्रण परिवेश और पात्रों के माध्यम से कुछ इस प्रकार किया जाता है कि वह पाठक की जिज्ञासा को अंत तक बनाए रखे। एक पाठक की मानसिकता को अपनी कलम के कौशल से अंत तक पकड़े रहना कहानीकार की सबसे बड़ी खूबी है और इस खूबी का विर्क जी ने बाखूबी निर्वाह किया है। यही कारण है कि उनकी कहानियां पुरस्कृत हुई हैं और पाठकों का उन्हें भरपूर प्यार मिला है। कहानियां चाहे स्त्री प्रधान हों या पुरुष प्रधान, किसी खास समस्या, विषय या मुद्दे को लेकर लिखी गई हों या सबसे ज्यादा दोहराए जाने वाले लेकिन जटिल विषय प्रेम पर लिखी गई हों या इन सबसे हटकर किसी सामाजिक या राजनैतिक विषय पर आधारित हों....... इन सब का ताना-बाना कुछ इस तरह से बुना जाना चाहिए कि वे कहानी को सार्थक करते हुए उन समस्याओं का निदान भी जरूर बताएं। इसके साथ ही दृश्यात्मकथा कहानी की सबसे बड़ी खूबी है। पाठक को लगे कि सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही घटित हो रहा है। और लेखक ने अपने इस प्रथम कहानी-संग्रह में यथासंभव इन खूबियों का निर्वहन भी किया है।