कहानी-संग्रह - धरती की तलाश में
लेखक - अजैब सिंह
प्रकाशक - लेखक स्वयं (90507-94757)
पृष्ठ - 144
कीमत - 150/-
अजैब सिंह से मैं फेसबक के जरिए परिचित हुआ । फेसबुक पर डाली उनकी पोस्टस समसामयिक मुद्दों पर आधारित होती हैं । उनकी इन रचनाओं से महसूस होता है कि वे मेहनती और उत्साही युवा हैं । उनसे बिना मिले भी मैं कह सकता हूँ कि वे विसंगतियों को देखकर चुप नहीं रहते । पेशे से अध्यापक होने के बावजूद उनकी तस्वीरें उन्हें किसान और पशुपालक सिद्ध करती हैं, लेकिन इसका कदापि अर्थ नहीं कि वे अध्यापन के पेशे के प्रति लापरवाह हैं । शिक्षा जगत में हो रहे अव्यावहारिक प्रयोगों पर उनकी टीस उनकी पोस्टों में झलकती है । सक्षम भैंस उनकी ऐसी ही चर्चित पोस्ट है, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी कहानी में भी किया है । उनका जो रूप फेसबुक पर मिलता है, वही रूप कहानियों में भी विद्यमान है । उनके तेवर उनकी कहानियों को प्रभावी बनाते हैं ।
साहित्य के क्षेत्र में अजैबसिंह पहली पुस्तक के रूप में कहानी-संग्रह "धरती की तलाश में" में लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं । इस कहानी संग्रह में सात कहानियाँ हैं । पहली पुस्तक के बावजूद सन्तोषजनक बात यह है कि अजैबसिंह को कहानी कहनी आती है । भाषा पर उनकी पकड़ है । खुद जमीन से जुड़े होने के कारण उन्होंने विषय काल्पनिक जगत से न चुनकर यथार्थ से चुने हैं । विषयों का निर्वाह अनेक तरीकों से किया जा सकता है, आपका अनुभव इस क्षेत्र में बहुत लाभदायक है, इसलिए एक ही विषय पर एक नवांगतुक और एक प्रौढ़ लेखक की कहानी में जमीन-आसमान का अंतर हो सकता है, लेकिन सन्तोष की बात ये है, कि अजैबसिंह नवांगतुक लेखक होने के बावजूद कथानक रोचक बना पाने में सफल रहा है ।
इस संग्रह की पहली कहानी है "तलाक से हलाक तक" गरीब मुसलमान परिवार की कहानी है जो तीन तलाक के संबन्ध में है । आने वाले दिनों में इस विषय पर अनेक कहानियां लिखी जाएंगी । फिलहाल इस विषय पर ये मेरे द्वारा पढ़ी गई पहली कहानी है और संभवतः यह बहुत से लोगों द्वारा इस विषय पर पढ़ी जाने वाली पहली कहानी होगी । हर चीज के नकारात्मक पहलू होते हैं, तीन तलाक के नकारात्मक पहलुओं को इस कहानी में दिखाया गया है । इस संग्रह की दूसरी कहानी किसान जीवन पर आधारित है । किसानों की कौन-कौन से समस्याएं आती हैं और वे क्या समाधान चाहते हैं, यही दिखाती है कहानी "जिसकी लाठी उसकी भैंस" । कहानीकार लिखता है -
“तारे, मैं ऐसी कलम बनाना चाहता हूँ कि जो मेरे जैसे लाचार और पीड़ित किसानों को इंसाफ दिला दे ।”
किसान और कलम का अद्भुत सुमेल है यह, शायद यह लेखक के निजी व्यक्तित्व को भी रेखांकित करती है । तीसरी कहानी 'लो मैरिट' भर्ती प्रकिया के सच को दिखाती है, हालांकि इसका अंत इसे अन्य स्तर पर ले जाता है लेकिन मूल विषय भर्ती प्रक्रिया ही है । हरियाणा के बारे में प्रचलित है कि यहाँ भर्ती के आठ चरण होते हैं - प्री, मेन, इंटरव्यू, धरना, लाठीचार्ज, हाई कोर्ट, सुप्रीमकोर्ट और सी बी आई जांच । ये महज मजाक नहीं बल्कि कड़वा सच है । हरियाणा की हर भर्ती कोर्ट में चैलेंज होती है । कई भर्तियों में तो कर्मचारी दो-दो पदोन्नति ले गए और उन पर बाहर निकलने की तलवार अभी भी लटकी हुई है । युवकों पर लटकती भर्ती प्रक्रिया का युवकों पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे किस प्रकार रणनीति बनाते हैं , संगठन में किस प्रकार की राजनीति होती है और उन्हें किन-किन हालात का सामना करना पड़ता है, वो इस कहानी में विस्तार से बताया गया है ।
'धरती की तलाश में' कहानी में लेखक एक ऐसे युवक की कहानी कहता है जो विपरीत परिस्थियों से जूझते हुए नौकरी प्राप्त करता है । पढ़ाई के साथ काम करने में उसे कोई संकोच नहीं रहा, लेकिन नौकरी पाकर वह आराम की ज़िंदगी जीना चाहता है , लेकिन इस बात को लेकर पिता से तकरार रहता है । पिता उसे जो सन्देश देते हैं वही इस कहानी का मर्म है । 'कल्लू' एक चरित्र प्रधान कहानी है । कल्लू के चरित्र चित्रण के लिए लेखक फ्लैश बैक तकनीक का सहारा लेता है और बड़ी बारीकी से हर पहलू को उघाड़ता है ताकि पाठक कल्लू के प्रति अपनी धारणा बना सके । 'दूसरा पति' कहानी एक स्थान पर कार्यरत महिला-पुरुष कर्मचारियों के बनते बिगड़ते संबंधो की कहानी है । लेखक ने इस कहानी में सभी पात्रों के चरित्र चित्रण का विशेष प्रयास किया है । अंतिम कहानी 'बेबस बबली' । बेबसी औरत की किस्मत है, तभी तो राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है -
अबला जीवन तेरी हाय यही कहानी !
आंचल में है दूध और आंखों में पानी
आँखों में पानी के कई कारण रहते हैं । कई बार वह कमजोर होती है तो कई बार वह मजबूत होकर भी नारी सुलभ स्वभाव के कारण बेबस हो जाती है । बबली बेबस है, लेकिन वह कमजोर नहीं है । वह कमजोर थी, लेकिन उसने खुद को मजबूत बनाया है । यह कहानी एक औरत के कमजोर से मजबूत होने की दास्तां भी है और उसके नारी सुलभ स्वभाव को भी दिखाती है ।
संग्रह की सात कहानियाँ हैं और सभी एक-दूसरे से अलग प्रकार की हैं । अतः कहानी संग्रह विषय को लेकर पर्याप्त विविधता लिए हुए है । कहानियों में तथ्यों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है, इससे इन विषयों से अनभिज्ञ व्यक्ति भी पूरे घटनाक्रम को आसानी से समझ सकता है । कथा को संवादों के माध्यम से आगे बढ़ाया गया है । संवाद छोटे और आकर्षक हैं ।
संक्षेप में, अजैब सिंह का पहला प्रयास सार्थक है । आशा है कि हिंदी साहित्य जगत में उनके इस प्रयास का भरपूर स्वागत होगा ।
दिलबागसिंह विर्क
8708546183
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