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सोमवार, अक्तूबर 29, 2018

राज्य कवि ‘हंस’ के काव्य संसार का अनुशीलन करती शोध-कृति

शोध-पुस्तक - सामाजिक चेतना के कवि उदयभानु हंस 
लेखिका – सुनीता ‘आनन्द’
प्रकाशक – अर्पित प्रकाशक 
पृष्ठ – 104
कीमत – 200 /- 
सामन्यत: शोध कार्य किसी उपाधि की प्राप्ति के लिए ही किया जाता है, लेकिन सुनीता ‘आंनद’ का यह पसंदीदा विषय है, इसलिए वे बिना किसी उपाधि हेतु इस कार्य में रत हैं | ‘तेजिन्द्र के काव्य में सामाजिक चेतना’ उनका पहला शोध-ग्रन्थ था, जिसका प्रकाशन हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से हुआ और इसी से प्रेरित होकर आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान भिवानी ने आपसी सहयोग आधारित पुस्तक प्रकाशन योजना के अंतर्गत सुनीता ‘आनन्द’ के हरियाणा के प्रथम राज्य कवि उदयभानु हंस जी से संबंधित शोध कार्य को प्रकाशित करने का निर्णय किया | लेखिका ने इस शोध का विषय हंस जी के काव्य में सामजिक चेतना को चुना | 

रविवार, अक्तूबर 21, 2018

आरक्षण आधारित दंगों और पत्रकारिता का सच बताता उपन्यास


उपन्यास - खोया हुआ विश्वास
लेखक – आनन्द प्रकाश ‘आर्टिस्ट’
प्रकाशन – शब्द-शब्द संघर्ष
पृष्ठ – 128
मूल्य – 150 /-
भारतीय समाज जातीय ढांचे में बुरी तरह फंसा हुआ है | जातियों में उंच-नीच का भेद है और इसी कारण जाति आधारित आरक्षण लागू है | समय-समय पर भिन्न-भिन्न जातियां आरक्षण की मांग करती हैं और इसके लिए आगजनी-लूटपाट की जाती है | इन दंगों में शरारती तत्व भी सक्रिय होते हैं और राजनेता राजनैतिक रोटियाँ सेंकते हैं | पत्रकार इस समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन चैनल निष्पक्ष नहीं | समाज के इसी सच को दिखाया है, आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट ने अपने उपन्यास “ खोया हुआ विश्वास ” में |

मंगलवार, अक्तूबर 02, 2018

लड़कियों, औरतों के जीवन पर सूक्ष्म नजर रखता कविता-संग्रह


कविता-संग्रह – ये कॉलेज की लड़कियाँ
कवयित्री – डॉ. आरती बंसल
प्रकाशक – प्रगतिशील प्रकाशन
पृष्ठ – 112
कीमत – 150/-
प्रगतिशील प्रकाशन से प्रकाशित डॉ. आरती बंसल के कविता-संग्रह ‘ ये कॉलेज की लडकियाँ ’ में 70 कविताएँ हैं | कवयित्री ने लडकियाँ शीर्षक से दो कविताएँ लिखी हैं, इसके अतिरिक्त वो लड़की, परम्पराओं से बंधी लड़की, ये कॉलेज की लडकियाँ कविताएँ भी हैं, अन्य कविताओं में भी लड़कियों को विषय बनाया गया है, जिससे स्पष्ट है कि लड़कियाँ इस संग्रह का केंद्र बिंदु है | कवयित्री लिखती है –
ये कॉलेज की लड़कियां / घर से निकलते वक्त /
सहेज लाती हैं अपने साथ / दादी के दिए संस्कार /
माँ की हिदायतें / और पिता का आशीर्वाद ( पृ. – 46 )

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