BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, दिसंबर 30, 2015

प्रश्न पूछता और परिभाषाएँ गढ़ता कविता संग्रह

कविता संग्रह - कशिश 
कवयित्री - डॉ. आरती बंसल 
प्रकाशक - प्रगतिशील प्रकाशन, नई दिल्ली 
पृष्ठ - 80 ( पेपरबैक संस्करण )
कीमत - 150 / -
“ कशिश ” डॉ. आरती बंसल का प्रथम कविता संग्रह है, जो उन्हीं के शब्दों में भूत, वर्तमान और भविष्य से जुड़ा हुआ है | नारी मन की संवेदनाएँ इसमें हैं और यह भोगे हुए यथार्थ को अमली जामा पहनाने का प्रयास है | कवयित्री मानती है कि यह संग्रह सबके मन रूपी बगिया को महकाने में समर्थ होगा | इस संग्रह से गुजरते हुए यह बात सच जान पड़ती है | 

बुधवार, दिसंबर 23, 2015

हरियाणा की महिला रचनाकारों का समग्र मूल्यांकन करती कृति


पुस्तक - हरियाणा की महिला रचनाकार : विविध आयाम 
लेखिका - डॉ. शील कौशिक 
प्रकाशन - हरियाणा ग्रन्थ अकादमी,पंचकूला 
पृष्ठ - 388 ( सजिल्द )
कीमत - 260 
विधा कोई भी हो साहित्य सृजन साधना की मांग करता है और जब बात आलोचना की हो तो यह कार्य दूसरी विधाओं से अधिक श्रमसाध्य और दायित्वपूर्ण हो जाता है | आलोचक की आलोचना करते हुए कहा गया है कि आलोचक वह व्यक्ति है, जो लेखक के कंधे पर बैठकर कहता है कि तू बौना है | ( संभवत: यह उक्ति मुंशी प्रेमचन्द की है ) यह कटूक्ति बताती है कि आलोचना कार्य तलवार की धार पर चलने जैसा है, लेकिन तमाम खतरों को उठाते हुए यह कार्य किया जाना बेहद जरूरी है | साहित्य के क्षेत्र में भी अनेक विद्वान और विदुषियाँ इस कार्य को मनोयोग से कर रही हैं | इन्हीं विदुषियों में एक नाम है, डॉ. शील कौशिक जी का, जिन्होंने “ हरियाणा की महिला रचनाकार : विविध आयाम ” पुस्तक के रूप में एक श्रमसाध्य कार्य किया है | इस आलोचना ग्रन्थ में हरियाणा की 72 महिला रचनाकारों को लिया गया है | हरियाणा की रचनाकार होने का आधार हरियाणा में जन्म, हरियाणा सरकार में कार्यरत, सेवानिवृत या पेंशन-भोगी होना या जिनका पिछले 15 वर्षों से स्थायी निवास हरियाणा है, रखा गया है | हरियाणा की ये महिला साहित्यकार साहित्य की सभी विधाओं में लिख रही हैं | इस ग्रन्थ में साहित्यकारों को जन्म के आधार पर क्रम में रखा गया है | पहली महिला साहित्यकार इंद्रा स्वप्न का जन्म 1913 को हुआ है जबकि आख़िरी साहित्यकार चित्रा शर्मा का जन्म 1982 को हुआ | इस प्रकार यह 1913 से 1982 के बीच पैदा हुई महिला रचनाकारों की रचना यात्रा का शोधपूर्ण दस्तावेज है |

बुधवार, दिसंबर 16, 2015

प्रयोगधर्मी रचनाकारों की रचनाओं का गुलदस्ता

पुस्तक - कलरव ( सांझा संग्रह )
संपादिका - विभा रानी श्रीवास्तव 
प्रकाशन - ऑनलाइन गाथा 
पृष्ठ - 134, पेपर बैक 
कीमत - 100 / -
परिवर्तन जीवन का नियम है लेकिन यह नियम जितना शाश्वत है इसकी स्वीकार्यता उतनी सहज नहीं । परिवर्तन का विरोध हर स्तर पर सदा होता आया है । साहित्य भी इससे अछूता नहीं । साहित्य जीवन का प्रतिबिम्ब है इसलिए परिवर्तन का नियम इस पर भी लागू होता है और परिवर्तन के विरोध की सामान्य प्रवृति के कारण निराला की " जूही की कली " जैसी उत्कृष्ट कविता भी कभी अप्रकाशित लौट आई थी । आज हिंदी में जापानी विधाओं को लिखने का चलन बढ़ रहा है लेकिन इनको देखकर नाक-भौं चढ़ाने वाले भी कम नहीं । इसी प्रकार फेसबुक पर लिखी जा रही कविता के प्रति भी पुराने साहित्यकार वक्रदृष्टि रखते हैं । ऐसे दौर में विभा रानी श्रीवास्तव ने फेसबुक से रचनाकारों को लेकर जापानी विधाओं से संबंधित कविता संग्रह संपादित करने का जो निर्णय लिया है वह वास्तव में साहस भरा है । 

बुधवार, दिसंबर 09, 2015

रिश्तों की महक को बरकरार रखता कहानी संग्रह

पुस्तक - महक रिश्तों की 
लेखिका - डॉ. शील कौशिक 
प्रकाशक - पूनम प्रकाशन, दिल्ली 
कीमत - 100 / - 
" महक रिश्तों की " डॉ. शील कौशिक का प्रथम कहानी संग्रह है, जो 2003 में प्रकाशित हुआ था । इस संग्रह में लेखिका ने आस-पड़ौस के पात्रों और हमारे इर्द-गिर्द घटने वाली घटनाओं को लेकर 14 कहानियाँ लिखी हैं । ज्यादतर कहानियाँ आदर्श की स्थापना करने वाली और सुखान्त हैं । जीवन के उजले पक्ष का चित्रण करते हुए भी कुरूप पक्ष की झलकियाँ दिखाई गई हैं, हालांकि लेखिका का झुकाव आदर्श की तरफ ही है । 

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...