कविता-संग्रह – दशरथ
है वनवास ने
कवि – गौतम
इलाहाबादी
प्रकाशक – अमृत
बुक्स
कीमत – 250 /-
पृष्ठ – 96 ( सजिल्द
)
गौतम इलाहाबादी द्वारा रचित “ दशरथ है
वनवास में ” शिल्प के दृष्टिकोण से भले ही दोहा-संग्रह लगता हो, लेकिन है यह
कविता-संग्रह ही | कवि ने भी इसे कविता-संग्रह ही कहा है, क्योंकि दस-दस दोहों को
39 शीर्षकों के अंतर्गत रखा गया है | दोहे मुक्तक होते हैं, लेकिन इस संग्रह में
बहुधा दोहे तब तक समझ नहीं आते, जब तक कविता के शीर्षक को ध्यान में न रखा जाए | यथा –
करता मेहनत सर्वदा,
कभी न माँगे भीख
हो सके तो आप भी,
लेवें उससे सीख | ( पृ – 34 )