कहानी-संग्रह - कवच
लेखक - दिलबाग सिंह विर्क
लेखक - दिलबाग सिंह विर्क
प्रकाशक - अंजुम प्रकाशन
संस्करण - प्रथम, जनवरी 2019
पृष्ठ - 152
अजैबसिंह सैनी जी के विचार -
दोस्तो, दिलबागसिंह विर्क जी की पुस्तक पढ़ने पर जिस साहित्यिक आस्वादन की अनुभूति होती है, उसे प्रकट वही कर सकता है जिसने इन कहानियों को पढा हो । वास्तव में इस आस्वादन को महसूस किया जा सकता है, बयाँ नहीं । "खूँटे से बंधे लोग" कहानी बड़ी ही हास्य-व्यंग्य व रोमांटिक रस से परिपूर्ण है । "हश्र" कहानी प्यार की बड़ी दर्दनाक दास्तां है । "सुक्खा" कहानी हमें बताती है कि सरकारें किसानों का कर्ज़ माफ़ सिर्फ अपने वोटबैंक के लिए करतीं हैं, किसान को संकट से उबारने के लिए नहीं । किसानों को उनकी फसल का उचित रेट मिले, न कि क़र्ज़ माफ़ करके उन्हें मुफ्तखोर बनाए । "सुक्खा" कहानी पढ़ कर एक बार तो मुझे भी अपनी अपव्ययी-प्रवृत्ति पर चिंता होने लगी थी ...। 8वीं कहानी है -- "चर्चाएं" । इस कहानी में लगभग हर रस विद्यमान है । संरचना की दृष्टि से यह कहानी बेहद संतुलित और उपदेशात्मक सुखान्त लिए है । समगोत्र-विवाह पर आधारित कहानी "बलिदान" पर आकर मेरी भौंहें तन जातीं हैं । समगोत्र-विवाह समाज पर कलंक है, इसे बढ़ने से रोकना होगा । माता-पिता को चाहिए कि वे समय रहते अपने बच्चों को इस व्यवस्था के बारे में जागरूक करें कि अपने गोत्र में शादी करना सामाजिक, नैतिक व वैज्ञानिक दृष्टि से सर्वथा अनुचित है ।
प्रबुद्धजनों से मेरी विनती है कि समगोत्र विवाह को अनैतिक ठहराते हुए समाज को जागरूक करें ताकि मनोज-बबली जैसे काण्ड दोबारा घटित न हो सकें ।
श्री विजय विभोर जी के मतानुसार कवच -
शुरू करते है कवच को खंगालना इसमें पाठक की कितनी सुरक्षा का इंतज़ाम किया गया है --
खूँटों से बंधे लोगों को दो पाटन के बीच च्यूइंगम सा हस्र कर सुक्खा, दलदल को कवच बना चर्चाएँ इज़हार करते हुए रोजग़ार परक गर्लफ्रैंड जैसी कोई चीज़ की क़ीमत पर बलिदान कर ज़िंदगी का अन्याय सहन कर संबल सहित बीच का रास्ता अपना प्रदूषण और फिसलन भरी ज़ुबान से गुनहगार सुहागरात मना कर कहता है मैं बेवफ़ा ही सही।
जी हाँ इन सब 21 कहानियों को पढ़ने के बाद साफ होता है कि "कवच" में दिलबाग सिंह विर्क जी ने मानव का सही चरित्र उकेरा हैं। भले ही वह खूंटे से बंधा महसूस करने वाला हो या दो पाटन की बीच फंसा हो या फिर सामने वाली को बेवफाई का ताज पहनाता हो।
एक से बढ़कर एक हैं कवच में कहानियाँ। लेकिन जब पाठक आनंदित होना शुरू होता है तो कहानी कहती है, "बस बहुत हुआ अब मैं खत्म हो गयी हूँ, दूसरी को पढ़ो।" अगली को पढ़ते हैं तो वह स्वयं को पिछली से ज़्यादा सशक्त साबित करती ही रोचकता पर लाकर अपने को खत्म कर लेती है। लेखक की यह ख़ासियत उनकी कलम की ताकत को साबित कर रही कि वह एक्सट्रीम पर लाकर पाठक को छोड़ती है, उसकी जिज्ञासा बनाए रखती है; उसको बोर नहीं होने देती।
विशेष लेखक ने स्वकथन के साथ सीधे ही किताब को छपवा दिया है। यह एक बड़े लेखक की निशानी है। किसी से कोई भूमिका, प्राक्कथन या विद्वतजनों की टिप्पणियाँ आदि नहीं लिखवायी। क्षमा करें झिकझिक से बचकर समय पर पाठकों तक पहुँचने का सही निर्णय है लेखक का। आखिर पाठक ने ही तो निर्णय करना है किसे खरीद कर पढ़ना है या किसे उपहार के बाद भी नहीं पढ़ना।
स्पष्तः छपाई के मामले में ठीक है। कवर पेज क्या कहना चाहता है समझ नहीं आता कम से कम मुझ जैसे को तो समझ आया नहीं। हाँ कवर के बैक पर विभिन्न कहानियों के चुनिंदा चुटीले संवाद पाठक के मस्तिष्क को झकझोरने का काम करते हैं और हर कहानी को पढ़ने को कहते प्रतीत होते हैं। पेपर के मामले में पुरातन सी लगी, लेकिन जो क़ीमत रखी गयी है; उस कीमत में ख़ास दिक्कत भी महसूस नहीं होती। फिर कहावत भी है न शक़्ल पर न जा अक़्ल देख।
कुल मिलाकर विर्क साहब ने पाठकों के लिए एक बढ़िया कवच तैयार किया है। साहित्यक प्रेमियों को यह कवच धारण करने पर अपने साहित्य प्रेम की पैसा वसूल सी सुरक्षा महसूस होगी।
श्रीमती मनजीतकौर मीत जी की नजर में -
कहानी जगत में अपनी ख़ास पहचान बना चुके दिलबाग सिंह विर्क का कहानी संग्रह 'कवच' आज के सामाजिक ताने बाने का जीता जागता दस्तावेज़ है ।ये कहानियां लेखक की मात्र कल्पना शीलता ही नहीं वरन वे स्वयं पात्रों को जीता है ।किसी भी पात्र को लेखक जब स्वयं जीता और भोगता है तब कहानी में अधिक रोचकता ,मौलिकताऔर जीवंतता आती है ऐसे ही किरदार और कहानियां कालजयी बनती हैं ।
खूँटों से बंधे लोग ,पुस्तक आवरण कहानी कवच, गर्लफ्रैंड जैसी कोई चीज़, कीमत, प्रदूषण विशेष तौर पर अपना प्रभाव छोड़ती हैं । दो पाटन के बीच कहानी में पारिवारिक झगड़े , सुक्खा कहानी किसानों के कर्ज़ के हालात और दलदल आज के बिगड़े नौजवानों पर आधारित कहानियां हैं ।कई कहानियां आज के स्त्री पुरूष सम्बंधों का लेखा जोखा हैं । दिलबाग जी का 'कवच' कहानी जगत में एक ख़ास मुकाम बना पाएगा ऐसा मेरा विश्वास है।लेखक को एक बार फिर साधुवाद।
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1 टिप्पणी:
बधाई और शुभकामनाएं।
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