भाग- 1
भाग - 2
भाग - 3
भाग - 4
भाग - 5
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भाग - 5
आकर्षण प्रकृति का शाश्वत नियम है | नैगेटिव और पाजिटिव सदैव एक दूसरे को आकर्षित करते हैं | मानव में भी विपरीत लिंगियों के बीच आकर्षण पाया जाता है | यह स्वाभाविक ही है | यही आकर्षण प्रेम का आधार है | आकर्षण के बिना प्रेम संभव ही नहीं, क्योंकि प्रेम तभी होगा, जब कोई अच्छा लगेगा | अच्छा लगना ही आकर्षण है | प्रेम के लिए आकर्षण आवश्यक तो है, लेकिन आकर्षण ही प्रेम नहीं | यह महज पहला सोपान है | आकर्षण हर बार प्रेम में बदले, यह भी ज़रूरी नहीं |
‘ वह वसुधा ही होगी ’ आकर्षण पर आधारित कहानी है | इस कहानी के पात्र प्रतीकात्मक हैं | पुरुष पात्र गगन है और स्त्री पात्र हैं – यामिनी, दामिनी, संध्या और वसुधा | चारों का संबंध गगन से है, लेकिन अलग-अलग मात्रा में | यामिनी का अर्थ है – काली रात | काली रात गगन पर छाती है, लेकिन वह सदा के लिए गगन पर आधिपत्य नहीं जमा सकती | दामिनी का अर्थ बिजली है | बिजली भी गगन में चमकती है, लेकिन इसका चमकना क्षणिक होता है | संध्या भी गगन पर घिरती है, लेकिन अल्प काल के लिए | जल्द ही वह कालिमा में बदल जाती है | वसुधा अर्थात धरती गगन से मिलती नहीं | दोनों में पर्याप्त दूरी है, लेकिन दोनों एक-दूसरे से बंधे हुए हैं | जहाँ वसुधा और गगन का मिलन असंभव है, वहीं उनकी जुदाई भी नहीं होती | वे सदा एक-दूसरे के सामने रहते हैं | यामिनी, दामिनी और संध्या का गगन से मिलन होता है, लेकिन उन्हें विछुड़ना पड़ता है, जबकि वसुधा और गगन न मिलते हैं और न ही विछुड़ते हैं | उनके संबंधों में एक कसक है और यही कसक इस संबंध को ज़िंदा रखती है |
कहानी के पात्रों में गगन के जीवन में सबसे पहले यामिनी आती है | गगन उसके प्रति आकर्षित होता है, हालांकि उसके सौन्दर्य को अप्रतिम नहीं कहा जा सकता –
“ उसके नैन-नक्श तीखे थे | उसका रंग श्यामल था | वह दुबली-पुतली थी | ”
उसके अलग होकर गगन सोचता है –
“ आदमी जवानी में यूँ ही क्यों आकर्षित हो जाता है ? उसमें क्या था ? कुछ भी तो नहीं | ”
कुछ भी नहीं होने के बावजूद गगन को उसका अपने जीवन में आना अच्छा लगता है –
“ किन्तु जैसा भी हुआ, कुछ तो हुआ था और जो कुछ हुआ था, कितना लुभावना हुआ था | ”
यामिनी के बाद गगन के जीवन में दामिनी का प्रवेश होता है | दामिनी की बातें, उसकी जीवन-शैली गगन को आकर्षित करती है, लेकिन उसकी बहन उसे सचेत करती हुई कहती है–
“ तुम क्यों अपना जीवन बर्बाद करने पर तुले हो | यह एक ऐसी लड़की है कि तुम्हें बेचकर खा जाएगी | इसका नाम दामिनी है | जानते हो दामिनी किसे कहते हैं ?बिजली को कहते हैं, बिजली को | बिजली जो चमकती है, भय देती है और लुप्त हो जाती है | जिस पर गिर जाए, उसे नष्ट कर डालती है | ”
“ तुम क्यों अपना जीवन बर्बाद करने पर तुले हो | यह एक ऐसी लड़की है कि तुम्हें बेचकर खा जाएगी | इसका नाम दामिनी है | जानते हो दामिनी किसे कहते हैं ?बिजली को कहते हैं, बिजली को | बिजली जो चमकती है, भय देती है और लुप्त हो जाती है | जिस पर गिर जाए, उसे नष्ट कर डालती है | ”
गगन दामिनी के बारे में अधिक न सोच सका, लेकिन –
“ उसे इतना ज़रूर लगा कि इस रास्ते में जहाँ चमक है, वहाँ घबराहट भी है, जहाँ चकाचौंध है, वहाँ सर्वनाश भी है | ”
दामिनी से दूर होने के बाद गगन के जीवन में संध्या का प्रवेश होता है | संध्या के बारे में गगन कहता है –
“ उसने सुरीला गला पाया था | उसकी इस मीठी आवाज़ में घुले भक्ति-भाव ने मुझे सचमुच आकर्षित कर लिया था | ”
गगन संध्या से जल्दी ही दूर हो जाता ही, क्योंकि उसकी धार्मिकता उसे निराशा का ही रूप लगती है | वह भाग्यवादी है | भूत-प्रेत में उसका विश्वास है |
इन तीनों के बाद गगन के जीवन में चौथी लड़की आती है, उसका नाम गगन को नहीं पता | वह उसे ट्रेन में मिलती है |
“ वह न साधु प्रवृत्ति की थी, न बहुत चंचल | उसके बोलने का एक विशेष लहजा था | उसके मादक नयन, मेरा ख्याल है, किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करसकते थे | बातें ही तो हैं, जो मन को मोहती हैं | और फिर वह तो मुँह और आँखों दोनों से बातें कर रही थी | मुझे ऐसा लगा था, जैसे मैं घायल हो गया हूँ | ”
यह लड़की उसके बाद गगन को नहीं मिलती | गगन अनुमान लगाता है कि वह स्वयं गगन है तो वह लडकी अवश्य ही वसुधा ही होगी | दोनों की दूरी के कारण ही उसे ध्रुव विश्वास है कि वह बिछुड़कर भी उससे जुड़ी रहेगी |
इन चार स्त्री पात्रों के माध्यम से लेखक दूरी के महत्त्व को प्रदर्शित करता है | दूरी के कारण आकर्षण बरकरार रहता है | गगन यामिनी, दामिनी और संध्या से निकटता हासिल कर लेता है, इसलिए उनका आकर्षण समाप्त हो जाता है | उसे अनाम लडकी से निकटता हासिल नहीं होती, इसलिए उसका आकर्षण सदा बना रहेगा | आकर्षण जो प्रेम का आधार है, वह जब तक है, प्रेम ज़िंदा है | जब आकर्षण समाप्त हो जाता है, तब प्रेम भी दम तोड़ देता है | लेखक इस तथ्य को बड़े प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त करता है | इस कहानी में लेखक ने नायिकाओं के सुंदर चित्र खींचे हैं | कहानी चार लघु कथानकों की श्रृंखला है, और अंत के द्वारा लेखक इसे एक कथानक के रूप में बदलने में सफल रहता है | लेखक का उद्देश्य प्रेम में दूरी के महत्त्व का प्रतिपादन करना है, जिसमें वह पूरी तरह सफल रहता है | स्वप्न के माध्यम से घटनाओं को याद करने के बहाने इस कथा को कहा जाता है, जो फ्लैशबैक तकनीक है |
आकर्षण को लेकर ही एक अन्य कहानी है – ‘ उपासना ’ | हालांकि यह कहानी आकर्षण के साथ-साथ अनमेल विवाह की समस्या को भी उद्घाटित करती है, लेकिन इस कहानी के नायक का नायिका की ओर आकर्षित होना प्रमुख विषय है | इसी आकर्षण के कारण ही वह नायिका के बारे में पता लगाता है और अनमेल विवाह की समस्या उभरती है | नायक को उपासना बस में मिलती है, और वह उसके आकर्षण में बंध जाता है, हालांकि पहली मुलाक़ात में उसे कुछ भी जानकारी नहीं मिलती | तीन मुलाकातों के बाद वह उसका नाम जान पाता है, लेकिन उपासना से उसकी बात नहीं होती | उपासना के बारे में उसे जो जानकारी मिली थी, वह बाहरी स्रोतों से ही मिली थी | प्रेम की अभिव्यक्ति न कर पाना नायक की कमजोरी है, उसकी झिझक है, लेकिन परोक्ष रूप से इसमें सामाजिक संस्कारों का भी बड़ा हाथ है | भारतीय समाज इस मामले में अजूबा है | भारत में प्रेम की महिमा बहुत है, लेकिन प्रेम करना इस देश में संभव नहीं | समाज के जटिल नियम सदा आड़े आते हैं | कुछ लोग समाज की इस जटिलता के डर से ही आगे नहीं बढ़ पाते | इस कहानी का नायक भी इसी का शिकार है |
भारत का अजूबापन विवाह के मामले में इससे भी बढ़कर है | वर्तमान में भले हालात कुछ बदले हैं, लेकिन अभी भी सब कुछ सामान्य नहीं हुआ | अभी परिवर्तन का दौर है, जिसमें कुछ पुरातन परम्पराओं के पाँव पूरी तरह से उखड़े नहीं और कुछ परम्पराएं तो अभी भी मजबूती से पैर जमाए हुए हैं | बहुधा लड़के-लड़की की मुलाक़ात शादी के बाद होती है | कुछ रिश्ते बेहद महत्त्वपूर्ण होते हैं और इन रिश्तों को बचाने के लिए यहाँ बड़े-बड़े बलिदान दिए जाते हैं | दामाद की अहमियत बहुत अधिक है | उपासना का जीजा भी अपने इसी अधिकार का नाजायज लाभ उठाकर उपासना की शादी अपने भाई से करवा देता है | वह उपासना से कई साल बड़ा है | उसे शराब की लत है और आर्थिक रूप से भी वह अधिक सम्पन्न नहीं |
नायक को यह जानकारी उपासना की ससुराल में उपासना के घर के पास रहने वाले श्याम से मिलती है | श्याम बताता है –
“ विवाह के पहले दिन यहाँ की औरतों में इसके सौन्दर्य की बहुत चर्चा हुई थी, किन्तु इन दो वर्षों में वह ढल-सी गई है | घर से बाहर बहुत कम निकलती है | इसे अपने पति के साथ जाते मैंने कभी नहीं देखा है | क्या जाए पति के साथ | इसके पति के सारे बाल सफेद हैं | बदसूरत-सा है | छोटी-सी दुकान करता है | मैट्रिक भी नहीं है | बहुत थोड़े पैसे कमाता है | ऊपर से शराब पीने की लत है | उधर से उपासना बी.ए. पास है | सुंदर भी है | बताओ इनका आपस में क्या मेल है | समाज वाले कुछ भी नहीं सोचते कि कौन किसके लायक है | ”
दो वर्षों में जो उपासना ढल जाती है, वही उपासना जिंदगी के संघर्ष में भी हार जाती है और आत्महत्या कर लेती है | इस कहानी की शुरूआत उपासना की मृत्यु की खबर के साथ होती है | लेखक फ्लैशबैक तकनीक के सहारे समाज का कुरूप पक्ष उजागर करता है | नायक के भीतर आक्रोश है, उपासना का जीजा उसे कसाई दिखाई दे रहा है | वह यह भी सोचता है कि अगर वह आगे बढ़ता तो उपासना जीवन की यातनाओं से बच सकती थी, लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता | हठधर्मी समाज एक और औरत की बली ले चुका है | उपासना नायक से कभी भी घुली-मिली नहीं, लेकिन उसका आत्महत्या कर लेना नायक को गहरी पीड़ा पहुंचाता है, क्योंकि एक आकर्षण के कारण वह उससे जुड़ा हुआ है | लेखक आकर्षण के इसी जादू को दिखाना चाहता है, जिसमें उसे सफलता मिली है |
इन दोनों कहानियों में लेखक पहली कहानी में पात्रों के नाम प्रतीक के रूप में प्रयोग करता है और आकर्षण के लिए दूरी के महत्त्व का प्रतिपादन करता है, तो दूसरी कहानी नायक के पश्चाताप को दिखाती कि क्यों वह आगे नहीं बढ़ा | उसका आगे बढ़ना एक लड़की को बचा सकता था, जो अनमेल विवाह की भेंट चढ़ गई | ‘ उपासना ’ कहानी में नायक उपासना को प्रेमिका न बना पाने पर दुखी है, जबकि ‘ वह वसुधा ही होगी ’ में वसुधा के प्रति ऐसी कोई धारणा नहीं रखता | जीवन में मिलने वाले हर विपरीत लिंगी को जीवन साथी तो नहीं बनाया जा सकता, फिर भी कुछ लोग हमें आकर्षित अवश्य करते हैं | इस सहज आकर्षण में कोई बुराई भी नहीं | ‘ वह वसुधा ही होगी ’ इसी धारणा की स्थापना करती है | इस कहानी में लेखक ने अलग-अलग प्रकार के नारी पात्रों के चरित्र को उद्घाटित किया है या यूं कह सकते हैं कि लड़कियों को चार वर्गों में वर्गीकृत किया है | ‘ उपासना ’ इन चारों से अलग प्रकार की पात्र है | वह उन बेबस लड़कियों का प्रतिनिधित्व करती है, जो चाबी वाले खिलौने की तरह जीवन-यापन करती हैं | इस प्रकार लेखक इन दोनों कहानियों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के स्त्री पात्रों को चित्रित करने में सफल रहा है | दोनों कहानियों के नायक पवित्र सोच के धनी हैं | ऐसे पात्र अगर आम नहीं, तो अजूबा भी नहीं | ‘ वह वसुधा ही होगी ’ चार कथानकों की एक श्रृंखला है, जिसे बड़ी सुन्दरता से एक धागे में पिरोया गया है, जबकि ‘ उपासना ’ फ्लैश बैक तकनीक की सुंदर कहानी है | ये दोनों कहानियां समाज में व्याप्त उस आकर्षण को दिखाती हैं जो हर उस जगह मिलेगा, जहां भी विपरीत लिंगी मौजूद होंगे | हर आकर्षण के पीछे वासना नहीं होती और हर आकर्षण वासना में नहीं बदलता, यह हम समाज में देखते हैं और समाज के इसी पक्ष को प्रतिबिम्बित करने में ये कहानियाँ सफल रही हैं |
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दिलबागसिंह विर्क
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