BE PROUD TO BE AN INDIAN

बुधवार, मई 23, 2018

समाज में दिव्यांगों की दशा और दिशा का चित्रण करता लघुकथा-संग्रह

लघुकथा-संग्रह – दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएँ 
लेखक – राजकुमार निजात 
प्रकाशक – एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ – 136 
कीमत – 400 /- ( सजिल्द )
अनेकता जहां भारतीय समाज की विशेषता है वहीं भेदभाव का होना इसके माथे पर कलंक जैसा है | भारतीय समाज में जाति, आर्थिकता के आधार पर ऊँच-नीच तो है ही, शारीरिक व मानसिक सक्षमता के आधार पर भी वर्ग हैं | निशक्तजन दिव्यांग कहलाते हैं | कई बार समाज दिव्यांगों के प्रति सामान्यजन जैसा व्यवहार नहीं करता | कहीं इनके प्रति घृणा है, तो कहीं सहानुभूति जबकि बहुधा दिव्यांग इन दोनों को नहीं चाहता | वो चाहता है कि उसे सामान्य पुरुष-स्त्री जैसा सम्मान दिया जाए | राजकुमार निजात जी ने समाज के दिव्यांगों के प्रति नजरिए का बड़ी बारीकी से विश्लेषण करते हुए ‘ दिव्यांग जगत की 101 लघुकथाएँ ’ नामक लघुकथा-संग्रह का सृजन किया है | इस संग्रह में समाज में दिव्यांगों की स्थिति का वर्णन तो है ही, दिव्यांगों के नजरिए से समाज को भी देखा गया है | दिव्यांगों की मनोस्थिति को भी समझा गया है | कुछ दिव्यांग अपनी दिव्यांगता के कारण हीनभावना के शिकार हो जाते हैं, जबकि कुछ अपने हौसले से दिव्यांगता पर विजय पा लेते हैं | लेखक ने इन सभी स्थितियों को लघुकथाओं की कथावस्तु में पिरोया है |

रविवार, अप्रैल 08, 2018

प्रेम के साथ-साथ यथार्थ की बात करता संग्रह

कविता-संग्रह - बस तुम्हारे लिए 
कवयित्री - मीनाक्षी सिंह 
प्रकाशक - अंजुमन प्रकाशन 
पृष्ठ - 120 
कीमत - 120 /- ( पेपरबैक )
मेरी चाहतों का आसमां, यथार्थ धरातल, सुकून-ए-दर्द, रीते-रीते से पल और सकारात्मक बढ़ते कदम नामक पाँच शीर्षकों में विभक्त 68 कविताओं का गुलदस्ता है मीनाक्षी सिंह का कविता-संग्रह ' बस तुम्हारे लिए ' | इन 68 रचनाओं में 67 कविताएँ और 26 हाइकु हैं | कवयित्री ने प्रेम, दर्द, यथार्थ आदि अलग-अलग फ्लेवर की कविताओं को अलग-अलग शीर्षक के अंतर्गत रखा है | 

रविवार, मार्च 25, 2018

सतरंगी चमक बिखेरता कविता-संग्रह

कविता-संग्रह - सतरंगी आईना 
कवयित्री - मनजीतकौर ' मीत '
प्रकाशक - तस्वीर प्रकाशन, कालांवाली 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 150/- ( सजिल्द )
44 छन्दमुक्त कविताओं, 28 ग़ज़लनुमा कविताओं और 5 गीतों से सजी कृति है " सतरंगी आईना " | छन्दमुक्त कविताओं में भी ग़ज़ल और गीत शैली की कविताओं का समावेश है | कवयित्री ने इस संग्रह में यहाँ शिल्पगत विविधता को स्थान दिया है, वहीं भावगत विविधता को भी स्थान दिया है, जिससे यह संग्रह सही अर्थों में सतरंगी बन पड़ा है |

बुधवार, मार्च 21, 2018

विसंगतियों पर चिन्तन करती कृति

कविता-संग्रह - नदी को तलाश है 
कवि - डॉ. राजकुमार निजात 
प्रकाशक - एस.एन.पब्लिकेशन 
पृष्ठ - 128 
कीमत - 300 / - ( सजिल्द )
जीवन की विसंगतियों और प्रकृति के बदलते रूप पर चिन्तन करती हुई 42 मध्यम आकार की और 140 लघु आकार की कविताओं का संग्रह है ' नदी की तलाश है '| कवि को नदी का निरंतर बहना किसी तलाश पर निकलना लगता है |

शुक्रवार, मार्च 16, 2018

आज के दौर का सच कहती लम्बी कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है 
लेखिका - प्रियंका ओम 
प्रकाशक - रेडग्रेब बुक्स 
पृष्ठ - 184 
कीमत - 175/- ( पेपर बैक )
सिर्फ पाँच कहानियों का संग्रह है " मुझे तुम्हारे जाने से नफ़रत है " | पुस्तक में 184 पृष्ठ हैं और कहानियाँ पाँच तो स्पष्ट है कि कहानियाँ लम्बी हैं | अंतिम कहानी अन्यों की अपेक्षा छोटी है जबकि पहली सबसे लम्बी है | बीच की तीन कहानियाँ भी 40-40 पृष्ठ के लगभग हैं | आकार बड़ा होने की बावजूद कथानक के दृष्टिकोण से ये कहानियाँ ही हैं, लघु उपन्यास जैसा कुछ नहीं | लेखिका ने पात्रों के चरित्र उदघाटन, सजीव वर्णन और अपने ज्ञान के आधार पर विषयों को विस्तार दिया है | विषय आधुनिक जीवन और विशेषकर उन जगहों से संबंधित हैं जहाँ लेखिका रह रही है या रहती रही है |

रविवार, मार्च 04, 2018

अंतिम पलों में दुविधा से जूझते भीष्म की कथा कहता उपन्यास

उपन्यास - बोलो गंगापुत्र 
लेखक - डॉ. पवन विजय 
प्रकाशक - रेड्ग्रेब 
पृष्ठ - 112 
कीमत - 99 /- ( पेपरबैक )
इतिहास हमेशा विजेताओं द्वारा लिखित होता है, इसलिए इतिहास में विजेताओं का यशोगान होना स्वाभाविक है | इतिहासकार और साहित्यकार का प्रमुख अंतर यही है कि साहित्यकार इतिहासकार की तरह हमेशा विजेताओं के पक्ष में खड़ा नहीं होता | साहित्य में प्राय: दबे-कुचले वर्गों, पात्रों का पक्ष लिया जाता है | डॉ. पवन विजय कृत उपन्यास " बोलो गंगापुत्र " महाभारत के युद्ध के बाद के दिनों में शरशैय्या पर पड़े भीष्म को युद्ध के विषय में मंथन करते और दुर्योधन के पक्ष में विचार करते हुए दिखाता है | इस उपन्यास में विजेता पक्ष पर ऊँगली उठाई गई |

मंगलवार, फ़रवरी 20, 2018

आस-पास मौजूद कहानियों का संग्रह

कहानी-संग्रह - ज़िन्दगी आइस-पाइस
कहानीकार - निखिल सचान
प्रकाशन - हिन्द युग्म
पृष्ठ - 144
कीमत - 100/ ( पेपरबैक )
आस-पड़ौस में मौजूद पात्रों और घट रही घटनाओं पर आधारित 9 कहानियों का संग्रह है " जिंदगी आइस पाइस " । इन कहानियों को बयां करने में लेखक ने अपनी पढ़ाई, अपने फिल्मी ज्ञान, धारावाहिकों के ज्ञान, क्रिकेट के ज्ञान आदि का भरपूर प्रयोग किया है । यदि कहा जाए कि लेखक ने कहानी कहने के लिए अपने ज्ञान को आधार बनाया है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।

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