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बुधवार, जनवरी 24, 2018

सरल-सहज भाषा की प्रभावशाली लघुकविताएँ

लघुकविता-संग्रह - चाँदनी रात में उड़ते बगुले 
कवि - रूप देवगुण 
प्रकाशक - सुकीर्ति प्रकाशन, कैथल 
पृष्ठ - 80 
मूल्य - 250 /- ( सजिल्द )
आकार में क्षणिका से बड़ी और कविता से छोटी होती है लघुकविता  | लघुकविता साहित्य की नई विधा है और लघुकथा की तरह ही अपनी जगह बना रही है | प्रो. रूप देवगुण इस विधा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं | उनकी सदी प्रकाशित कृति " चाँदनी रात में उड़ते बगुले " 120 लघुकविताओं का संग्रह है, जो 9 खंडों में विभक्त है |
                              प्रथम खंड " कई बार ज़िंदगी में " में 10 कविताएँ हैं | कवि ज़िंदगी को अलग-अलग नजरिये से देखता है | ज़िंदगी में हँसी-ठहाके के दिनों में लगता है कि जीवन में जवानी उतर आई है | ज़िंदगी में खीझ का भरना गर्मी की ऋतु-सा है | आँधी की रेट किरकिरी भर देती है तो बरसात नहला देती है | ज़िंदगी में ऐसा वक्त भी आता है जब न ज्यादा ख़ुशी होती है, न गम | जीवन में नदी का पदार्पण भी होता है | कवि कहता है - 
यह सब कुछ होता है  / कभी आँसू, कभी हँसी /
तो कभी विपरीत परिस्थितियों के थपेड़े ( पृ. - 13 )
                          दूसरे खंड का शीर्षक पुस्तक का शीर्षक है | इस खंड में 8 कविताएँ हैं | कवि पक्षियों के जरिए जीवन को देखता है | पड़ोसियों का हालचाल पूछना. पौ फ्त्मे के बाद रात का हाल जानना मानवीकरण के सुंदर उदाहरण हैं | रुग्न पक्षी को साथी का सहारा है | पक्षी यथार्थ और कल्पना के बीच रहते हैं | पक्षियों के पंख कवि को कुदरत का वरदान लगते हैं | तीसरा खंड " बिछुडन का दर्द " 10 दर्द भरी लघुकविताओं को समेटे हुए है | यह पीड़ा दूर जाते बेटे की भी है और फ़ौज में जाते पति की भी | इसमें ससुराल जाती बेटी का दुःख है तो वैधव्य की पीड़ा भी है | कॉलेज से बिछुडती सहपाठिने भी दुखी हैं | पक्षी भी बिछुड़ने के दर्द को समझते हैं | कवि दिल की दूरी को असीमित मानता है |
                 चौथे खंड " फिर बचपन में " में 10 कविताएँ हैं जो बचपन को याद करती हैं | कवि निक्कर पहनना, टॉफी खाना और बाऊजी की गोद में बैठना चाहता है | वह स्लेट पर सवाल निकालना चाहता है, बरसात में नहाना चाहता है और पतंग उड़ाना चाहता है | " ये फूल जो तुम लाए हो " पाँचवाँ खंड है | इस खंड में 8 कविताएँ हैं | कवि नहीं चाहता कि उसके लिए फूल तोड़े जाएँ | आँधी में फूल तड़पने लगते हैं | एक फूल तोड़ने पर दूसरे की पत्तियों का गिरना कवि को फूलों की आत्मीयता लगता है | उन्हें प्रियतम का चेहरा फूल-सा सुंदर दिखता है | वे लिखते हैं - 
इन फूलों की महक को / अपने साथ ले जाओ जरा ( पृ. - 36 )
                 छठे खंड को कवि " जब मैं नहीं रहूंगा " शीर्षक देकर इसमें 10 लघुकविताएं रखता है | कवि उन पलों की कल्पना करता है  जब वह संसार में नहीं होगा लेकिन वह आसपास ही, मुस्कराहट में, चाँदनी में मौजूद रहेगा | लोहड़ी की रेवड़ियों में, खेतों की फसलों में, नदियों के कल-कल में वही छिपा होगा | सांतवें खंड का शीर्षक " सुंदर सृष्टि, सृजनकर्ता इससे भी ज्यादा सुंदर " है | इस खंड की 10 लघुकविताओं में कवि सृष्टि की सुन्दरता को शब्दों में पिरोता है | बादलों का छाना, पहाड़ों पर चीड, देवदार के पेड़, समुद्र का नजारा, रंग-बिरंगे पक्षी, फूलों से भरी बगिया उसे आकर्षित करते हैं तो वह यह भी सोचता है -  
ये आकर्षण बनाने वाला कोई तो होगा /
यह सोच बन रही है मेरे भीतर ( पृ. - 51 )
                       आठवाँ खंड " धुंध छा जाती है जीवन में " है | इस खंड में 16 कविताएँ हैं | कवि धुंध को उस अज्ञात स्थिति की तरह लेता है, जब आदमी जीवन में क्या करे, क्या न करे की ऊहापोह में फंस जाता है | धुंध अपना जादू बिखेरती है, मौसम गुमसुम हो जाता है, वाहनों की गति थम जाती है लेकिन कवि इसे सर्दी का तोहफा मानते हुए हंसकर स्वीकार करने की बात करता है | वह आशावादी है - 
धुंध जब भी / आई मेरे जीवन में / विचारों का डाला /
प्रकाश मैंने उस पर / वह हटती रही   ( पृ. - 56 )
धुंध के बाद धूप का निकलना भी कवि की आशावादी सोच को दिखाता है |
                     अंतिम खंड " विविधपक्षीय लघुकविताएं  " 38 लघुकविताओं को समेटे हुए है | कवि को बेटी न होने का अफ़सोस है, लेकिन वह अपनी पुत्रवधू को ही बेटी मानता है | बेटे का जिम्मेदारी उठाना उसे अच्छा लगता है | वह अपनी जीवन संगिनी को सदा ही पाना चाहता है | उसे पौत्री चिड़िया सी तो पौत्र झरने-सा लगता है | वह हँसी और आँसुओं का संबंध जानना चाहता है, सपनों में बचपन के दिनों को देखता है | वह हर हालात में ख़ुश रहने की सीख देता है, लेकिन बाल मजदूरी को देख दुखी होता है | बेटे का पिता से गुस्से से बोलना उसे अखरता है तो इसी भी भलाई भी देखता है | वह ज़िंदगी में समझौतों का महत्त्व जानता है |
                            संक्षेप में, कवि इन लघुकविताओं में जीवन दर्शन को ब्यान करता है | भाषा सरल और सहज है | लघु आकार के कारण कविताएँ प्रभावी बन पड़ी हैं | इनके सृजन के लिए कवि बधाई का पात्र है |
दिलबागसिंह विर्क 
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