वर्तमान युग इंटरनेट का युग है . इंटरनेट पर हिंदी के ब्लॉग लेखक दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं . ब्लॉग लेखकों के बारे में लोगों की अलग-अलग राय है .कुछ इन्हें कुंठित मानसिकता का मानते हैं तो कुछ इन्हें लेखक मानने को ही तैयार नहीं . ब्लॉग लेखकों के खुद के नजरिए को देखें तो वो समाज में फैली बुराइयों , कुरीतियों को सुधारने में लगे हुए हैं . ब्लॉग लेखक क्या हैं , इनका स्थान क्या है , ये तो समय ही बताएगा .
ब्लॉग लेखन मेरी नजर में :----
यहाँ तक मेरी निजी मान्यता है , हिंदी का ब्लॉग लेखन विकासशील अवस्था में है और इसमें पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है . हाँ . अच्छे और सार्थक ब्लोग्स की कमी नहीं . एकल और सांझे ब्लॉग हैं , साहित्यिक और सामाजिक ब्लॉग हैं , विचार-विमर्श के ब्लॉग हैं .संक्षेप्त: प्रत्येक रंग है , लेकिन कमी है तो यही कि टांग खींच प्रतियोगिता इसमें भी है . असहमतियां हर जगह होती हैं . भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में असहमति की कद्र की जानी चाहिए , लेकिन जब असहमतियां विवाद का रूप धारण कर लें तब समझना चाहिए कि कुछ-न-कुछ गलत है . जब मुद्दों की बजाए निजी टीका-टिप्पणी होने लगे तब समझना चाहिए कि अभी सभ्य होना बाकि है , अभी शालीनता सीखना शेष है .
मेरा निजी अनुभव :---
मैं अपनी बात करूं तो मुझे इस संसार में आए जुम्मा-जुम्मा चार दिन हुए हैं . इन दिनों में मुझे भरपूर सहयोग मिला है .उत्साहवर्धक टिप्पणियाँ मिल रही हैं , काबिल लोग अनुसरण कर रहे हैं , सुधार हेतु सुझाव मिल रहे हैं और चाहिए क्या ? इस जगत के कटु अनुभव मेरे निजी नहीं हैं , यही मेरा सौभाग्य है लेकिन जब समाज में कडवाहट व्याप्त हो तो डरना भी जरूरी है और सुधार के प्रयास करना भी क्योंकि आग कब घर तक आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता .
मैं और ब्लॉग :---
जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मैं थोड़े दिन पहले ही ब्लॉग जगत से जुड़ा हूँ . इंटरनेट संबंधी मेरा ज्ञान मामूली है . ब्लॉग बनाना इतेफाकन था , लेकिन एक के बाद एक चार एकल ब्लॉग बना डाले , दो सांझे ब्लॉग की सदस्यता ले ली . इसके पीछे कारण यही था कि मैं पंजाबी-हिंदी दोनों में लिखता हूँ . पंजाबी के लिए sandli pairahn ( dilbag-virk.blogspot.com ) ब्लॉग बना लिया . हिंदी साहित्य में रूचि है . साहित्यकार तो खुद नहीं कहूँगा लेकिन साहित्य सृजन की कोशिश करता हूँ . दो पुस्तकें प्रकाशित हैं --
1. चंद आंसू , चाँद अल्फाज़ ( अगज़ल संग्रह )
अत: शुद्ध साहित्यिक ब्लॉग " साहित्य सुरभि " (sahityasurbhi.blogspot.com ) बनाया . क्रिकेट लेख पत्र - पत्रिकाओं के लिए लिखता रहा हूँ अत: square cut ( dilbagvirk.blogspot.com ) ब्लॉग बनाया . अन्य विचारों को , चर्चाओं को शब्दों में ढालने के लिए virk's view ( dsvirk.blogspot.com ) ब्लॉग बनाया . अलग-अलग ब्लॉग बनाने के पीछे यह सोच भी रही कि सबकी पसंद अलग-अलग होती है , फिर क्यों सबको सब कुछ पढने के लिए विवश किया जाए . सांझे ब्लॉग में AIBA और HBFI का सदस्य बनकर बेहद्द खुश हूँ क्योंकि इससे मैं खुद को ब्लॉग परिवार से जुड़ा मानता हूँ .
मेरे लक्ष्य
हालाँकि कुछ विशेष लक्ष्य लेकर नहीं चला हूँ , फिर भी अच्छा लिखने, सद्भाव-स्नेह बढाने की आकांक्षा है । ख़ुशी फ़ैलाने में योगदान दे सकूं और जहाँ तक हो सके दूसरों के गम बाँट सकूं, ऐसी मन में धारणा है । इन लक्ष्यों को पाने में कितना सफल रहूँगा ये भविष्य के गर्भ में है । आखिर में बस इतना
अंजाम की बात तो खुदा जाने
कोशिश तो कर इंसां होने की ।
* * * * *
5 टिप्पणियां:
आप एक सार्थक दुनिया में प्रविष्ट हुए हैं...आप अपने लक्ष्य में अवश्य सफल होंगे...शुभकामनाएँ !
बहुत सुन्दर पोस्ट है। धन्यवाद।
koshish hi rang lati hai...shubhkamnayen
...आप के विचारों का स्वागत है!..बहुत अच्छी तरह से आपने अपने विचारों को व्यक्त किया है!...अनेको शुभ कामनाएं!
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
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