देशवासियों को 62 वें गणतन्त्र की हार्दिक बधाई | 61 गणतन्त्र मनाए जा चुके हैं | 62 वाँ मनाए जाने की तैयारी है और कुछ समय बाद यह मनाया जा चुका होगा, लेकिन विचारणीय विषय यही है कि क्या इतना काफी है ? क्या गणतन्त्र से अभिप्राय दिल्ली में परेड मात्र है ? हर कोई इसका जवाब नहीं देगा, लेकिन हालात कुछ और बयाँ करते हैं | सरकारों पर सरकारें बदलती हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात | विपक्ष में आते ही सबको बुराइयाँ नजर आती हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद सब बुराइयाँ दिखनी बंद हो जाती हैं | इस बार कुछ परिवर्तन होगा, ऐसा नहीं है, परन्तु उम्मीद पर दुनिया कायम है | काश ! अच्छा हो - ये सभी सोच रहे हैं | देशवासी देश के कर्णधारों की तरफ बड़ी उम्मीद से ताक रहे हैं | वे कब उम्मीदों पर खरे उतरेंगे यह भविष्य के गर्भ में है |
आम आदमी को जीने के अधिकार मिलें, उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा हो, सुरक्षा और सुविधाएँ समान स्तर पर मिलें, नौकरी में अवसर की समानता प्रदान की जाए, सबको आगे बढने का मौका मिले, ये कुछ ऐसी मांगें हैं जो हर कोई मांग रहा है और ये कोई खैरात भी नहीं है अपितु देश के नागरिक होने के नाते हमारा हक भी है | हमारे पूर्वजों ने इन्हीं हकों को पाने के लिए बलिदान दिए थे | देश के कर्णधारों को ये हक देशवासियों को मुहैया करवाने ही चाहिए |
ये तो रही सरकार की जिम्मेदारी | आम जनता की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं | उन्हें भी अपनी जिम्मेदारियां निभानी चाहिए | अकेले हक मांगने से देश नहीं चलता | कर्त्तव्य भी जरूरी हैं | छोटी-सी बात होते ही जब हम देश की सम्पत्ति को नष्ट करने पर उतारू हो जाते है, तब देश कैसे बचेगा | देश हमारा घर है ये बात समझनी होगी |
आओ इस 62 वें गणतन्त्र पर हम सब देश हित का प्रण लें | देशवासी देश के बारे में सोचें और देश के कर्णधार देशवासियों के बारे में | देश हमसे है और हम देश से हैं - यही सोचकर जब हम फैसले लेंगे तो निस्संदेह देश का भला होगा |
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2 टिप्पणियां:
bhut achchha likha hai
bilkul sahi keh rahein hain aap ... hum sab ko apne apne hisse ki zimmedari nibhani chahiye ...
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