ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1965 में हुई । 1968 में हिंदी के लिए पहला ज्ञानपीठ (सुमित्रानन्दन पंत की कृति चिदम्बरा को ) मिला । शुरुआत में यह पुरस्कार कृति को दिया जाता था लेकिन 1982 में कृति के लिए अंतिम ज्ञानपीठ ( महादेवी वर्मा की कृति यामा को ) दिया गया । इसके बाद यह कृति विशेष की बजाए साहित्यकार को दिया जाने लगा ।
BE PROUD TO BE AN INDIAN
शनिवार, फ़रवरी 28, 2015
गुरुवार, सितंबर 11, 2014
बुधवार, जून 26, 2013
हिंदी साहित्य : काल विभाजन एवं नामकरण
साहित्य किसी भी भाषा का हो जब उसका इतिहास लिखा जाता है तो सबसे बड़ी समस्या उसके काल विभाजन और कालों के नामकरण की होती है । हिंदी भी इससे अछूती नहीं । हिंदी में काल विभाजन का प्रथम प्रयास सर जार्ज ग्रियर्सन ने किया लेकिन उनके द्वारे दिए गए नाम अध्यायों के शीर्षक अधिक हैं । मिश्र बन्धुओं ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया , भले ही उनका काल विभाजन सही नहीं माना जा सकता ( क्योंकि हिंदी की शुरुआत दसवीं सदी से हुई मानी जाती है ऐसे में हिंदी साहित्य की शुरुआत आठवीं सदी से नहीं मानी जा सकती , यह दोष अन्य विद्वानों के काल विभाजन में भी है ) लेकिन इस दिशा में उनका कदम उठाना सराहनीय है , इसके बाद के लगभग हर साहित्येतिहासकार ने इस दिशा में काम किया ।
कुछ प्रमुख विद्वानों के मत -
शनिवार, जून 22, 2013
शुक्रवार, जून 21, 2013
आधुनिक काल के प्रमुख साहित्यकार ( भाग - 1 )
आधुनिक काल की शुरुआत भारतेंदु काल ( 1857 -1900 ई . ) से मानी जाती है । भारतेंदु मंडल के कवियों ( भारतेंदु हरिश्चन्द्र, बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन , प्रताप नारायण मिश्र , अम्बिका दत्त व्यास, बालमुकन्द गुप्त , राधाचरण गोस्वामी, राधाकृष्ण दास ) से नए युग का सूत्रपात हुआ लेकिन इनसे पूर्व के कुछ कवि ( सेवक सरदार, राज लक्ष्मण सिंह, गोविन्द गिल्लाभाई आदि ) ऐसे भी हुए जिन्हें रीतिकाल के बाद के माना गया लेकिन वे भारतेंदु युग से पूर्व के थे इन्हें पूर्व प्रवर्तित काव्य परम्परा के कवि कहा जाता है ।
19 वीं सदी में जन्में प्रमुख साहित्यकार ( जन्म के क्रम पर आधारित ) निम्न हैं -
19 वीं सदी में जन्में प्रमुख साहित्यकार ( जन्म के क्रम पर आधारित ) निम्न हैं -
बुधवार, जून 19, 2013
हिंदी साहित्य का इतिहास लेखन ( भाग - 2 )
भाग एक से आगे
5. मिश्र बन्धु -
तीन भाई -
- प. गणेश बिहारी मिश्र
- डॉ. श्याम बिहारी मिश्र
- डॉ. शुकदेव बिहारी मिश्र
पुस्तक - " मिश्रबन्धु विनोद " ( चार भाग )
प्रकाशन - प्रथम तीन भाग -1913
चौथा भाग ( काल ) - 1914
" हिंदी नवरत्न " - मिश्र बन्धु विनोद के प्रथम तीन भागों का पूरक
शुक्रवार, जून 14, 2013
UGC NET हिंदी की तैयारी हेतु कुछ सुझाव
परीक्षा कोई भी हो हम तब तक सफलता हासिल नहीं कर सकते जब तक पाठ्क्रम और पेपर पैटर्न से परिचित नहीं । मंजिल तक पहुँचने के लिए जिस प्रकार दिशा और रास्ते का ज्ञान जरूरी है ठीक उसी प्रकार परीक्षा में बैठने से पूर्व पाठ्क्रम और पेपर पैटर्न को समझना जरूरी है ।
यूं तो नेट की परीक्षा में जुड़े सभी परीक्षार्थी इससे परिचित होंगे ही, फिर भी हिंदी की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों को पुन: स्मरण करवाने का प्रयास यहाँ कर रहा हूँ , शायद किसी को इससे लाभ मिल सके ।
यूं तो नेट की परीक्षा में जुड़े सभी परीक्षार्थी इससे परिचित होंगे ही, फिर भी हिंदी की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों को पुन: स्मरण करवाने का प्रयास यहाँ कर रहा हूँ , शायद किसी को इससे लाभ मिल सके ।
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