BE PROUD TO BE AN INDIAN

सोमवार, अप्रैल 01, 2013

हजारीप्रसाद द्विवेदी - एक झलक

काफी समय पहले हिंदी नेट हेतु तैयारी की थी , कुछ नोट्स बनाए थे | वर्तमान में जब पात्रता परीक्षा में बदलाव के बाद की स्थिति देखी तो एक बार फिर प्रयास करने की सोची और भगवान की कृपा से सफलता मिली । इंटरनेट ने भी काफी मदद की  । क्योंकि इस परीक्षा में पुस्तकों और लेखकों का नाम और उनका क्रम ज्यादातर पूछा जाता है , उस दृष्टिकोण से ही मैंने इन नोट्स को रूप दिया है । हालांकि इनकी प्रामाणिकता का कोई दावा मैं नहीं करता और आप सबसे निवेदन है कि अगर कोई गलती दिखे तो तर्क सहित टिप्पणी जरूर करें ताकि इसे प्रामाणिक और परीक्षोपयोगी बनाया जा सके ।    

हजारीप्रसाद द्विवेदी

जन्म - 19 अगस्त 1907,  बलिया जिले का आरत दूबे का छपरा
पिता - अनमोल दूबे ( संस्कृत के पंड़ित )
माता - ज्योति ( कली ब्रह्मनौली के विख्यात पंड़ित देवनारायण की पुत्री )
बचपन का नाम - बैजनाथ
विवाह - भगवती देवी से 1927 ई. में
मृत्यु - 19 मई 1979, दिल्ली


मंगलवार, जनवरी 15, 2013

आधुनिकता की सबसे बड़ी हार

फरीदाबाद के रेलवे स्टेशन पर लगभग दस घंटे रुकना पड़ा । कारण एक तो पत्नी का साक्षात्कार जल्दी समाप्त हो गया था दूसरा पंजाब मेल दो घंटे लेट थी । इतनी लंबी अवधि का इंतजार सामान्यतय नीरसता भरा रहता लेकिन मेरे लिए यह रोमांचक अनुभव लेकर आया ।

शनिवार, जनवरी 05, 2013

बेअकल लड़कियाँ

शीर्ष देखकर चौंक गए क्या ? बात तो चौंकने की ही है मगर है सच । अजी अभी से तेवर गर्म हो गए, पहले मेरी बात तो सुनिए । माना आज की लड़कियाँ सफलता के हर  शिखर को छू रहीं हैं मगर इससे उन्हें विदुषी होने का प्रमाण पत्र नहीं दिया जा सकता । आप फिर लाल पीले हो गए ।

गुरुवार, अक्टूबर 04, 2012

हो न हो - सुधीर मोर्य का प्रेम काव्य

कविता संग्रह - हो न हो 
कवि - सुधीर मौर्य सुधीर 
प्रकाशक - मांडवी प्रकाशन, गाजियाबाद 
पृष्ठ  -  128
मूल्य - 100 रु 
हो न हो - युवा कवि सुधीर मोर्य सुधीर का तीसरा काव्य संग्रह है । यह उनकी पांचवीं पुस्तक है । कवि के अनुसार वे गुप्त, पन्त, निराला और दिनकर जी से प्रभावित हैं । उनके खुद के अनुसार इस संग्रह की रचनाएं उनके पहले दो संग्रहों की रचनाओं से बेहतर हैं ।
                  हो न हो वास्तव में पठनीय काव्य संग्रह है जिसमें मुक्त छंद कविता, तुकान्तक कविता और गीत हैं । पहली नजर में यह प्रेम काव्य है जिसमें प्रेमिका की खूबसूरती का निरूपण है, प्रेमिका की याद है, प्रेमिका की बेवफाई है अर्थात संयोग वियोग दोनों में कवि ने कविता लिखी है । गरीबी और जाति प्रेम में बाधक है । कविताओं में इस स्थिति का वर्णन करके कवि समाज का कुरूप चेहरा दिखाता है ।

मंगलवार, जून 12, 2012

विराज के दुखों की गाथा है बिराज बहू

शरतचंद्र का उपन्यास बिराज बहू विराज के दुखों की गाथा है । पति के कोई काम न करने का दुःख उठाती है विराज । ननद को दिए गए दहेज़ और अकाल के कारण आई गरीबी का दुःख  उठाती है विराज । सतीत्व में सावित्री से प्रतिस्पर्द्धा करने को उत्सुक विराज सतीत्व से लड़खड़ा जरूर जाती है लेकिन पतित होने से पूर्व ही वह खुद को संभाल लेती है और अंत में पति के पास रहते हुए वैसी ही मृत्यु को प्राप्त होती है जैसी कि विराज के अनुसार एक सती को मिलनी चाहिए ।

बुधवार, मई 30, 2012

खट्टी-मीठी फेसबुक

इन्टरनेट ने आज अपनी पहुंच आम आदमी तक बना ली है | विकसित देशों में तो यह पहले ही काफी प्रचलित था , अब भारत जैसे विकासशील देशों में भी इसका प्रयोग करने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है | इन्टरनेट प्रयोग करने वाले देशों में भारत अमेरिका , चीन के बाद तीसरे नम्बर पर है |

शनिवार, अप्रैल 07, 2012

डॉ. रूप देवगुण का समीक्षात्मक ग्रंथ- हरियाणी के इक्कीस काव्य-संग्रह

कविता , ग़ज़ल ,  कहानी , लघुकथा , समीक्षा और संपादन संबंधी 30 पुस्तकों के रचयिता हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रूप देवगुण जी , सेवानिवृत स्नातकोतर विभागाध्यक्ष ( हिंदी ) , राजकीय नैशनल महाविद्यालय सिरसा , ने हरियाणा के कवियों द्वारा रचित 21 काव्यों की समीक्षा अपने समीक्षा ग्रन्थ " हरियाणा के इक्कीस काव्य संग्रह " में की है । इस ग्रन्थ में शामिल पुस्तकें हैं -----
1.   मेरे पास आकाश नहीं है  - किरन मल्होत्रा
2.   रेत पर बने पदचिन्ह       - मीनाक्षी आहूजा 
3.   निर्णय के क्षण                - दिलबाग विर्क 

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...