BE PROUD TO BE AN INDIAN

रविवार, नवंबर 08, 2015

रचनाधर्मिता का अलग नजरिया - नरेंद्रकुमार गौड़

युवा रचनाकार दिलबाग सिंह विर्क अनेक साहित्यिक विधाओं के सक्रिय साहित्यकार हैं किन्तु कविता के माध्यम से अपनी बात सशक्त ढंग से कहने में इन्हें महारत हासिल है | समीक्ष्य कृति '  महाभारत जारी है ' से पहले भी इनके पांच कविता संकलन प्रकाशित हो चुके हैं | हिंदी साहित्य जगत में सबसे अधिक कविता संग्रह ही प्रकाशित हो रहे हैं किन्तु ऐसा बहुत ही कम होता है कि कोई कविता संग्रह पढकर पाठक को महसूस हो कि हाँ मैंने कुछ पढ़ा है | दिलबाग सिंह विर्क के इस कविता संग्रह को पढ़कर ऐसा ही महसूस होगा कि हाँ मैंने कुछ पढ़ा है | पाठक के मन-मस्तिष्क को भरपूर पौष्टिक खुराक देने वाली कविताओं का संकलन है ' महाभारत जारी है ' | 

बुधवार, अक्टूबर 28, 2015

एक सार्थक प्रयास है हिंदी-हाइगा का प्रकाशन

ब्लॉग जगत में हाइगा के लिए ख्याति प्राप्त नाम ऋता शेखर मधु जी ने हाइगा की पुस्तक के साथ प्रिंट मीडिया में भी छाप छोड़ी है । हाइगा एक जापानी विधा है - हाइकु, तांका , चोका, सेदोका आदि की तरह लेकिन इसमें भेद यह है कि यह चित्र पर आधारित है । हाइकु और चित्र का मेल है हाइगा । इसी दृष्टिकोण से पुस्तक प्रकाशन एक कठिन कार्य था लेकिन मधु जी ने कर दिखाया । 

बुधवार, अक्टूबर 07, 2015

ख़ुद से अनजान न होने का उदघोष करता कविता-संग्रह

पुस्तक - मैं अनजान नहीं
कवयित्री - मीनाक्षी आहुजा
प्रकाशन - बोधि प्रकाशन, जयपुर
पृष्ठ - 120
मूल्य -  150 /-
" मैं अनजान नहीं " मीनाक्षी आहुजा की दूसरी काव्य कृति है । इससे पूर्व वे " रेत पर बने पदचिह्न " नामक काव्य कृति से साहित्य की जमीन पर अपने पदचिह्न स्थापित कर चुकी हैं और यह संग्रह उस छाप को और गहरा करता है । इस संग्रह में 99 कविताएँ हैं और कवयित्री ने लघु आकार की कविताएँ अधिक रखी हैं, जो अपने भीतर गहरे अर्थों को समेटे हुए हैं ।

मंगलवार, जून 30, 2015

वाक्यांश के लिए प्रयुक्त शब्द { भाग - 1 }


  • अंडज - अंडे से जन्म लेने वाला |
  • अकथनीय - जिसको कहा न जा सके | 
  • अकाट्य - जिसको काटा न जा सके | 
  • अक्षम्य - जो क्षमा न किया जा सके |  
  • अखंडनीय - जिसका खंडन व किया जा सके |
  • अखाद्य - जो खाने योग्य न हो | 
  • अगणित - जिसकी गिनती न की जा सके | 
  • अगाध - जो बहुत गहरा हो |
  • अगोचर - जो इन्द्रियों द्वारा न जाना जा सके | 
  • अग्रगण्य - जो पहले गिना जाता हो |
  • अग्रणी - सबसे आगे रहनेवाला |
  • अचिंत्य - जिसका चिंतन न किया जा सके | 
  • अचूक - जो खाली न जाय | 
  • अच्युत - जो अपने स्थान या स्थिति से अलग न किया जा सके | 
  • अछूत - जो छूने योग्य न हो |
  • अछूता - जो छुआ न गया हो |
  • अजन्मा - जिसने अभी तक जन्म न लिया हो | 
  • अजर - जो कभी बूढ़ा न हो |
  • अजातशत्रु - जिसका कोई शत्रु न हो | 
  • अजेय - जिसको जीता न जा सके |
  • अज्ञात - जिसका पता न हो | 
  • अज्ञेय -जिसे जाना न जा सके | 
  • अटल - जो अपनी बात से न टले | 
  • अटूट - न टूटनेवाला | 
  • अडिग - जो अपनी बात से न डिगे | 
  • अतर्क्य / तर्कातीत - जो तर्क से परे हो | 
  • अतिक्रमण - सीमा का अनुचित उल्लंघन | 
  • अतिथि - जिसके आगमन की तिथि निश्चित न हो | 
  • अतिवृष्टि - आवश्यकता से अधिक बरसात |
  • अतिशयोक्ति - किसी बात को अत्यधिक बढ़ाकर कहना | 
  • अतीत - जो व्यतीत हो गया हो | 
  • अतीन्द्रिय - इन्द्रियों की पहुँच से बाहर | 
  • अतुलनीय - जिसकी तुलना न की जा सके | 
  • अत्याज्य - जिसको त्यागा न जा सके | 
  • अथाह - जिसकी गहराई का पता न लग सके | 
  • अदम्य - जिसका दमन न किया जा सके | 
  • अदर्शनीय - जो देखने योग्य न हो | 
  • अदृश्य - जिसे देखा न जा सके | 
  • अदृष्टपूर्व - जो पहले न देखा गया हो | 
  • अदूरदर्शी - आगे का विचार न कर सकनेवाला |
  • अद्यतन - जो आज तक से संबंध रखता हो |
  • अद्वितिय - जिसके बराबर दूसरा न हो |
  • अधर्म - धर्म-शास्त्र के विरुद्ध कार्य | 
  • अधिकृत - जिस पर किसी ने अधिकार कर लिया हो / जिसे अधिकार में ले लिया गया हो |
  • अधित्यका - पहाड़ के ऊपर की ज़मीन |
  • अधिनायक - सर्वाधिक अधिकार प्राप्त शासक | 
  • अधिनियम - विधायिका द्वारा स्वीकृत नियम |
  • अधिशुल्क - वास्तविक मूल्य से अधिक लिया जानेवाला शुल्क | 
  • अधिसूचना - वह सूचना जो सरकार के प्रयास से जारी हो | 
  • अधुनातन - जो अब तक से संबंध रखता है | 
  • अधोहस्ताक्षरकर्ता - जिसके हस्ताक्षर नीचे अंकित हैं | 
  • अध्यादेश - अादेश जो एक निश्चित अवधि तक ही लागू हो | 
  • अध्यूढ़ा - वह स्त्री जिसके पति ने दूसरी शादी कर ली हो |
  • अनन्तर - जो बिना अंतर के घटित हो |
  • अनन्य - अन्य से संबंध न रखनेवाला / किसी एक में ही आस्था रखनेवाला |
  • अनन्योपाय - जिसका कोई दूसरा उपाय न हो | 
  • अनपेक्षित - जिसकी अपेक्षा न हो |
  • अनभिज्ञ - जिसे किसी बात का पता न हो |

{ विभिन्न व्याकरणों से संग्रहित }

शनिवार, मार्च 14, 2015

हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन 12  मार्च 1954 को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। सन् 1954 में अपनी स्थापना के समय से ही साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए।
                         पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है।
हिन्दी में दिए गए साहित्य अकादमी पुरस्कारों की सूची

शनिवार, फ़रवरी 28, 2015

ज्ञानपीठ पुरस्कार

ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1965 में हुई । 1968 में हिंदी के लिए पहला ज्ञानपीठ (सुमित्रानन्दन पंत की कृति चिदम्बरा को ) मिला । शुरुआत में यह पुरस्कार कृति को दिया जाता था लेकिन 1982 में कृति के लिए अंतिम ज्ञानपीठ ( महादेवी वर्मा की कृति यामा को ) दिया गया । इसके बाद यह कृति विशेष की बजाए साहित्यकार को दिया जाने लगा । 

हिंदी की झोली में आए ज्ञानपीठ पुरस्कार -

गुरुवार, सितंबर 11, 2014

आदिकाल का आरंभ और हिंदी का प्रथम कवि

किसी भी भाषा के साहित्य से जुड़ा हुआ प्रथम प्रश्न होता है कि पहला कवि कौन-सा था और भाषा विशेष में साहित्य सृजन कब से हुआ | हिंदी भी इस प्रश्न से अछूती नहीं | साहित्येतिहासकारों ने अपने-अपने तर्कों के साथ इन प्रश्नों के उत्तर दिए हैं | कुछ प्रमुख मत निम्नलिखित हैं -

हिंदी साहित्य का आरंभ -


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