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बुधवार, मार्च 20, 2019

महिमाश्री की नज़र में कहानी-संग्रह कवच

आधुनिक परिवेश और आभासी संसार के किस्से- “कवच
कहानी संग्रह- कवच
लेखक-दिलबागसिंग विर्क
प्रकाशक- अंजुमन प्रकाशन
मूल्य-150
प्राप्ति स्थान - पेपरबैक संस्करण, kindle 
मुहब्बत में असफल प्रेमियों के लिए दो रास्ते होते हैं। एक, तो प्रेमी को भूल जाओ और दूसरा, प्रेमी को दिल के किसी कोने में छुपाकर उसके यादों में जिंदगी गुजार दो।

               उपरोक्त पंक्तियां कहानी संग्रह “कवच” से उद्धृत है। श्री दिलबागसिंह विर्क का यह पहला कहानी संग्रह है। जिसमें कुल इक्कीस कहानियाँ हैं।सभी कहानियों के पात्र बेहद जाने-पहचाने हैं। हमारे -आपके ही परिवेश से निकल कर आये हैं।आज का मनुष्य आधुनिक जीवन की अच्छाइयों के साथ कुछ विचित्र सी विंडम्बनाओं से भी बावस्ता हो रहा है। जिसे लेखक ने अपनी दृष्टि, सहज बुद्दि और सरल लेखन से उन्हें कलमबद्ध किया है। इन कहानियों की विशेषता यह है कि ये लंबी नहीं है और सहजता से अपनी बात कह जाती हैं और कई बार पाठक के लिए प्रश्न भी छोड़ जाती हैं तो कभी समाधान भी । मानवीय संवेगों और आवेगो से प्रतिचालित आधुनिक मनुष्य कई बार समझ नहीं पा रहा होता कि उसे चाहिए क्या। इंटरनेट के आने और सोशल साइट और एप्प की आमद ने उसकी पहूँच इतनी व्यापक कर दी है कि हर पल वह इसके जाल में फंसा रहना चाहता है।आभासी दुनिया की जिज्ञासा कब आदत में बदल जाती है और आदत कब लत में उसे भान ही नहीं होता। चौबीस घंटे आभासी दुनिया में उसकी आवा-जाही बनी रहती है।इस क्रम में वह कई महत्वपूर्ण बदलाव से गुजरता हैं जिसमें कोई बड़ी जीत हासिल करता तो कोई फिसलन भरे रास्तों पर चल पड़ता है।
             हमेशा से पुरुष परिवार से इतर अपनी लालसाओं के व्यामोह में भटकता रहा है और अपनी स्वतंत्र चाहना की आदिम कसक को पूरा करने के लिए नित नये रास्ते बनाता रहा है। स्त्रियाँ इससे वंचित रही हैं या की गई थी ।किंतु आज स्त्रियाँ भी आभासी संसार में अपनी स्वतंत्रता के मद्दे नज़र वो सब हासिल करने की जुगत में हैं जो सिर्फ पुरुषों तक सीमित था। स्त्री –पुरुष के संबंध जीतने जटिल रहे हैं उतना ही उनके बीच आकर्षण भी बना रहा है। इन संबंधों के विभिन्न रुपों पर लेखक ने ईमानदारी से कलम चलाई है।
                 स्त्री-पुरुष के सामाजिक दायरे और परिवार संस्था से इतर आभासी प्रेम संबंधों की कहानी है- “ खूंटों से बँधे लोग” । इस कहानी संग्रह की सबसे सशक्त कहानी है। फेसबुक की आमद के बाद वैवाहिक स्त्री-पुरुष की मित्रता और उसके बाद उस आभासी रिश्ते को लेकर दोहरा जीवन और अंर्तद्वंद को रेखांकित करता कथानक । पुरुष की क़स्बाई मानसिकता और संकोच और आज की स्त्री का बेबाक अंदाज और अधिकार जताने का ढ़ग। पुरुष स्वंय तो आभासी दुनिया में स्त्री से मित्रता निभाता है किंतु अपनी पत्नी से ऐसे किसी पुरुष से मित्रता की अपेक्षा उसे डरा देती है। जिसे इस कहानी में बहुत ही सहजता और खूबसूरती से रचा गया है।
           ऐसी ही तीसरी कहानी है –“च्युइंगम” ।इस कहानी में च्युइंगम को प्रतीक के रुप में बहुत ही सुंदर प्रयोग हुआ है। यहाँ भी स्त्री-पुरुष दोंनों शादीशुदा है और एक ही ऑफिस में काम करते हैं ।पुरुष अपनी शादीशुदा सहकर्मी को अपनी पुरातन आदिम लालसा में रोज अकेले मिलने के जुगत में लगा रहता है। किंतु जब उसकी सहकर्मी उसकी मंशा को समझ जाती है और बुद्धिमानी से उसके जाल में फंसने से स्वंय को बचा लेती है तो वह स्त्री उस सहकर्मी को अपने मुंह के अंदर उस बेस्वाद च्यूइंगम की तरह लगती है जिसे बेमतलब की कब से चुभलाये जा रहा होता है।
             दूसरी कहानी” दो पाटन के बीच” जिसे आप समझ ही रहे होंगे विवाहित पुरुष की अपनी माँ-बहन और पत्नी के बीच पीसते रहने की बेचारगी का रेखा चित्र है। सास-बहू की लड़ाई में उसकी भावनाओं का अवमूल्यन होता रहता है। दोनों के अहम् और जिद्द के कारण उनके बीच सामंजस्य का पुल बनाने में विफल हो जाता है। एक दिन ऐसा आता है उसकी पत्नी फांसी पर झूल जाती है और अब वह अच्छी तरह से जानता है इसमें उसका कोई कसूर नहीं है फिर भी इसकी सज़ा तो उससे ही भुगतनी पड़ेगी।
          “क़ीमत” हरियाणा और पंजाब के उस निम्न मध्यवर्गीय किसान की मामिर्क दशा को बयां करती है जिसके पास खेती की जमीन इतनी छोटी सी है कि पेट भरने के लिए या तो मजदूर बन जाये या फिर उस खेत को गिरवी रख कर नवविवाहिता पत्नी के अरमानों के कुचल कर उसे अकेला छोड़ कर रोजी-रोटी के लिए विदेश चला जाये। अंतत: अपनी पत्नी और माँ को बिलखता छोड़ विदेश जाने का निर्णय लेता है जबकि जानता है कि उसके वापस लौटने की कोई मियाद नहीं है।मगर भूखे मरने से अच्छा है कि परिवार के साथ रहने के सुख को तिलांजलि दे दी जाये।
                    “कवच “ महाभारत के पात्रों के साथ रची गई कथा है। इसमें युद्ध को ना रोके जाने के कारणों का पड़ताल करने की कोशिश की गई तथा आज के परिपेक्ष्य में दिखाने की कोशिश की गई। मीडिया के दो पत्रकार द्वापर युग के प्रमुख पात्रों के पास जा कर सवाल करते हैं । उनके जबाव से उस काल की परिस्थितियों को समझने का प्रयास किया गया है।इस कहानी की भाषा आज के चलताउ भाषा की एक बानगी प्रस्तुत करता है।
                 “रोज़गार” कहानी समाज के भौतिकवादी सोच की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करती है । आज बहुत सारे व्यवसाय और व्यवसायी ऐसे हैं जो सिर्फ अपने फायदे के लिए किसी के भी चरित्र और ईमानदारी को ताक पर रख सिर्फ पैसा बनाने के बारें में सोचते हैं। उनके जीवन में दूसरों के मानवीय संबंधों और भावनाओं का कोई मायने नहीं हैं। इस कहानी में जसवीर जैसे वकील और उसके साथ काम करने वाले सुखचैन द्वारा समाज के इसी बाजारवादी सोच को दिखाया गया है।
                  पितृसत्तामक समाज में स्त्रियों की दशा- दिशा और उनके प्रति पुरुष कैसी लिजीलिजी सोच रखते हैं इसकी तस्वीर खिंचती कई कहानियाँ हैं जैसे- फिसलन, गर्लफेंड जैसी कोई चीज, प्रदूषण, चर्चाएं , सुहागरात आदि ।
                   ”गुनहगार “ समाज के उस मानसिकता पर चोंट है जो किसी भी अनजान लड़की को किसी भी प्रकार की यौन हिंसा से आगे बढ़कर बचाने की चेष्टा नहीं करते बल्कि उससे बच कर निकल जाते हैं। और कई गवाह होते हुये भी किसी भी प्रकार के पचड़ों में नहीं पड़ने की मानसिकता से ग्रस्त होकर अपराधी को कटघरे तक ले जाना भी जरुरी नहीं समझते।यह कहानी समाज के अपने स्वार्थ से उपजे अंतर्द्वंद को रेखांकित करती है।
                 कथाकार पंजाबी और हिंदी दोंनों में लिखते हैं । अपने आस-पास और समाज में होने वाली घटनाओं और समस्याओं पर छोटी-छोटी कथाओं में प्रस्तुत किया है। आपकी लेखन शैली वरिष्ठ कथाकार सुभाष नीरव जी से काफी मिलती हैं। संयोग ही है कि वे भी पंजाबी और हिंदी में समान दख़ल रखते हैं। कथाकार को भविष्य की शुभकामनाएं। 
- महिमाश्री

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