BE PROUD TO BE AN INDIAN

गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

कितना सार्थक है वैलेंटाइन डे

14 फरवरी किसी के लिए प्यार का दिवस है तो किसी के लिए विरोध का .युवा दिलों को इसका बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है , लेकिन भारतीय संस्कृति के पक्षधर इसके कट्टर विरोधी हैं . यह दिन मनाया जाना चाहिए या नहीं , इस पर मतभेद होंगे ही क्योंकि पीढ़ियों का अन्तराल सोच में अंतर पैदा करता है . युवा पीढ़ी पाश्चात्य रंग में रंगती जा रही है . पाश्चात्य संस्कृति उसे बेहतर नजर आती है . यही कारण है कि वैलेंटाइन डे का विरोध होता है . वैसे भारतीय समाज सहनशील समाज है . अनेक संस्कृतियों को यह अपने में समेटे हुए है , इसको को भी स्वीकार किया जा रहा है , विरोध है तो सिर्फ कुरूप पक्ष का .
         अगर वैलेंटाइन डे प्यार का दिवस है तो किसी को इसका विरोध नहीं करना चाहिए ,लेकिन समस्या तो यह है कि आज का प्यार , प्यार कम वासना अधिक है .कालेज के बच्चों को छोडो स्कूलों के नासमझ , नाबालिग बच्चों को भी यह बीमारी लगी हुई है . बीमारी शब्द इसलिए कि इस स्तर पर प्यार की कोई समझ नहीं होती और महज़ शारीरिक आकर्षण ही प्यार का आधार होता है . प्यार वासना न था , न है ,न होगा . भारतीय संस्कृति में प्यार इबादत है , लेकिन पाश्चात्य रंग में रंगी फिल्मों में यह कमीना हो गया है और युवा पीढ़ी जो फिल्मों से प्रभावित है इसे इसी रूप में स्वीकार कर रही है . वैलेंटाइन डे आवारागर्दी करने का सर्टिफिकेट मात्र है इसीलिए इसका विरोध है .
           प्यार तो जीवन का आधार है .माना कि कुछ लोग प्यार को प्यार भी मानते हैं फिर भी इसके लिए एक दिन निर्धारित करना कोई प्रासंगिक बात नहीं दिखती . प्यार करना शुरू आप किसी खास दिन से तो नहीं करते . वास्तव में प्यार किया ही कब जाता है , प्यार तो होता है और होने का दिन निर्धारित नहीं होता . यह वैलेंटाइन डे कि परम्परा तो किशोरों को भटका रही है . करियर बनाने कि उम्र में ध्यान भटकाने के लिए ऐसे दिवस सहायक सिद्ध होते हैं इसलिए इनसे परहेज़ ही बेहतर है .
          भारतीय समाज में रहते हुए हमें भारत की परिवारवादी परम्परा पर विश्वास करना चाहिए . शादी परिवार का आधार है . शादी औपचारिक भी हो सकती है और यह प्रेम विवाह भी , लेकिन प्रेम को पवित्र रखना ही होगा . प्रेम फैले यह तो जरूरी है , लेकिन यदि प्रेम के नाम पर विद्रूपता फैले तो इसका विरोध होना ही चाहिए .

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2 टिप्‍पणियां:

ZEAL ने कहा…

निसंदेह प्रेम फैले , लेकिन संस्कृति कों बिना कोई क्षति पहुंचाए हुए।

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

अति सर्वत्र वर्जयेत्....अति के बिना प्रेम पूज्य होता है।

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