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बुधवार, अप्रैल 03, 2019

डॉ. शील कौशिक की नज़र में कवच

जीवन की विसंगतियों का सफल चित्रण

समीक्ष्य कृति: कवच (कहानी-संग्रह)
कहानीकार: दिलबागसिंह विर्क 
प्रकाशन: अंजुमन प्रकाशन, प्रयागराज
मूल्य: 150रूपये
पृष्ठ सं.:152 
प्राप्ति स्थान - पेपरबैक संस्करण, kindle 
दिलबागसिंह विर्क का ‘कवच’ सद्यप्रकाशित व पहला कहानी संग्रह हैI इसमें 152 पृष्ठों में समाई 21 बेजोड़ कहानियाँ हैं, जो बरबस ही पाठक का ध्यान आकर्षित करती हैं यूँ तो वे बहुत समय से पंजाबी व हिन्दी में कहानियाँ लिख रहे हैं, उनकी स्वीकारोक्ति है कि उनकी बहुत-सी कहानियाँ समय–समय पर आयोजित प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत व प्रशंसित हुई हैं, जिन्होंने उन्हें इन कहानियों को संग्रह के रूप में देने के लिए प्रोत्साहित किया हैI लेखक ने अपने आस-पास के परिवेश को बखूबी समझा है और इन कहानियों में पारम्परिक निर्वाह के साथ-साथ आधुनिक को भी वहन किया हैI 
            एकदम नये नज़रिये का प्रतिफलन कही जा सकती है कहानी ‘कवच,’ जिसमें महाभारत के पौराणिक पात्रों को माध्यम बना कर मनुष्य की अकर्मण्यता की प्रवृति पर कटाक्ष किया गया हैI स्वप्न में अमित पत्रकार द्वारा महाभारत के विविध पात्रों से पूछे गये प्रश्नों के उत्तरों में बास द्वारा दिए गये प्रोजेक्ट के असफल होने के कारणों को समझने-जानने की बजाय हल के रूप में कुछ हथियार और कवच खोज लेता हैI संवादात्मक शैली में लिखी यह कहानी अपना समुचित प्रभाव छोड़ती हैI 
                 वर्तमान में फेसबुक व वाह्ट्सएप ने विपरीत लिंगियों की मित्रता के नये आयाम दिए हैंI ‘खूँटो से बंधे लोग’ ऐसे की कथानक का निर्वाह करती हैI वैवाहिक बंधन में बंधा नायक रमेश इस नये चलन का लाभ लेकर मधु से चेटिंग करने लगता हैI परन्तु पत्नी के मोबाइल पर लगातार आती मैसेज की रिंगटोन उसे आशंका व प्रश्नाकूल स्थिति में ले आती है...कहीं उसकी पत्नी? यह सोचते ही वह वाई-फाई आफ कर देता हैI दरअसल एक संस्कारित व्यक्ति समय के परिवर्तन और मूल्यों के संक्रमण से अधिक समय तक प्रभावित नहीं रह सकताI वैवाहिक संस्कारों में बंधा रमेश का मन थोड़ी-बहुत उछल-कूद बेशक कर ले, पर आखिर अपने खूँटे पर ही लौट आता हैI कहानीकार ने वैवाहिक बंधन को खूँटे से बंधा होने की नई व्यंजना दी हैI 
                        ‘दो पाटन के बीच’ एक ग्रामीण आंचल की साधारण से पंजाबी परिवार की साधारण विषय की कहानी हैंI जैसा कि कबीर के दोहे से लिए कहानी के शीर्षक से ही इंगित है कि कथानायक भूपिंदर सास-बहू की प्रतिदिन होने वाली झिकझिक से परेशान हैI वह कभी माँ को समझाता है तो कभी पत्नी कोI आखिकार उसकी पत्नी मनजोत आत्महत्या कर लेती हैI कहानी में भूपिंदर की विवशता का सटीक चित्रण प्रभावित करता हैI
                 आत्मकथात्मक शैली में लिखी कहानी है ‘गर्लफ्रेंड जैसी कोई चीज़ नहीं’ स्वानुभव से मिले इस कथानक में लेखक का अपने दोस्तों की विश्रृंखलता के प्रति गुस्सा हैI बिना टिकट यात्रा करना लेखक को सोचने पर मजबूर कर देता हैI क्या हम अपना ज़मीर बेच कर राष्ट्र के साथ धोखा नहीं कर रहे और टिकट निरीक्षक को कुछ रिश्वत देकर उसका घर नहीं भर रहे? दोस्तों द्वारा टिकट के रूपये बचाकर गर्लफ्रेंड को गिफ्ट देना व फिल्म देखना उसे आहत करता है और वह कह उठता है, “देश क्या कोई गर्लफ्रेंड जैसी कोई चीज़ होता है?” लेखक की आत्मसजगता उसे ऐसा करने स रोकती हैI 
                    समग्रत: ‘कवच’ कहानी-संग्रह की प्रत्येक कहानी में अपने समय और समाज की आहट हैI कहानीकार इन स्थितियों से अवसादग्रस्त न होकर चुनौतियों को स्वीकार करते हुए आश्वस्ति का दामन थामता प्रतीत होता हैI वह पात्रों के मनोजगत में प्रवेश करने का भी हुनर रखता हैI उपरोक्त के अतिरिक्त संग्रह की कीमत, प्रदूषण व गुनहगार अन्य उल्लेखनीय कहानियाँ हैंI कहानियों में सरल, सहज, सम्प्रेष्य भाषा, कथ्यों की परिपक्वता व शिल्प की सुगढ़ता के दर्शन होते हैंI अलग धरातल पर बुने व बहुरंगी सोच वाले इस संग्रह के लिए दिलबागसिंह को अशेष बधाईI वे अभी उर्जावान, बुद्धिमान व संवेदनशील युवा हैं और भविष्य में उनसे और भी बेहतरीन कहानियों की उम्मीद की जा सकती हैI फ़िलहाल मैं पूरी तरह आशान्वित हूँ कि पहलौठी सन्तान की तरह इस कृति को पाठकों का असीम प्यार व दुलार मिलेगाI
शुभाकांक्षी 
मो.9416847107 डॉ. शील कौशिक
( हरियाणा की श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान प्राप्त साहित्यकार)

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