1943 में अज्ञेय जी के नेतृत्व में हिंदी साहित्य के एक नए आन्दोलन का प्रवर्तन हुआ जिसे विभिन्न संज्ञाएँ दी गई - प्रयोगवाद, प्रपद्यवाद , नई कविता । डॉ . गणपतिचन्द्र गुप्त ने इसे मुन्नी, युवती और बहू की संज्ञा दी । ये तीन अलग - अलग रूप भी हैं और एक दूसरे में समाहित भी । प्रयोगवाद के जनक अज्ञेय जी को माना गया लेकिन उन्होंने दूसरे सप्तक की भूमिका में इस शब्द का खंडन किया और पटना रेडियो से 1952 में नई कविता की घोषणा की , लेकिन नई कविता के जनक के रूप में जगदीश गुप्त ( 1954 में ' नई कविता ' पत्रिका संपादन करने के कारण ) को जाना गया । प्रपद्यवाद भी प्रयोगवाद की ही शाखा थी , इसे नकेनवाद ( नलिन विलोचन शर्मा, केसरी कुमार और नरेश के पहले अक्षर के आधार पर ) भी कहा गया ।
अज्ञेय जी का योगदान सप्तकों के संपादन के कारण भी है , इस प्रयास से उन्होंने हिंदी को अनेक कवि दिए जो अज्ञेय जी के ही शब्दों में राहों के अन्वेषी ( प्रथम सप्तक की भूमिका ) हैं ।
अज्ञेय जी का योगदान सप्तकों के संपादन के कारण भी है , इस प्रयास से उन्होंने हिंदी को अनेक कवि दिए जो अज्ञेय जी के ही शब्दों में राहों के अन्वेषी ( प्रथम सप्तक की भूमिका ) हैं ।
सप्तकों के कवि
तार सप्तक ( 1943 ) के कवि -
( याद करने का सूत्र - अमुने गिरा प्रभा )
- अज्ञेय
- मुक्तिबोध
- नेमीचन्द्र जैन
- गिरिजाकुमार माथुर
- रामविलास शर्मा
- प्रभाकर माचवे
- भारत भूषण अग्रवाल
दूसरे सप्तक ( 1951 ) के कवि -
( याद करने का सूत्र - शह भर शनध )
- शमशेर बहादुर सिंह
- हरिनारायण व्यास
- भवानीप्रसाद मिश्र
- रघुवीर सहाय
- शकुन्तला माथुर
- नरेश मेहता
- धर्मवीर भारती
तीसरे सप्तक ( 1959 ) के कवि -
( याद करने का सूत्र - केकुकी विप्र सम )
- केदारनाथ सिंह
- कुँवर नारायण
- कीर्ति चौधरी
- विजयदेव नारायण साही
- प्रयाग नारायण त्रिपाठी
- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- मदन वात्स्यायन
चौथे सप्तक ( 1976 ) के कवि -
( याद करने का सूत्र - श्री अरा सुरा स्वन )
- श्रीराम वर्मा
- अवधेश कुमार
- राजकुमार कुंभज
- सुमन राजे
- राजेन्द्र किशोर
- स्वदेश भारती
- नन्दकिशोर आचार्य
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( मेरे नोट्स पर आधारित , सुझाव आमंत्रित )
5 टिप्पणियां:
सर,
हिंदी भाषा पर आपके द्वारा प्रस्तुत जानकारी सामान्यतः पी एच ड़ी के छात्रों के लेवल की होती है.
शायद आप भी हिंदी को शोध में रुचि रखते हैं..
यदि हां तो मुझे भी अवसर दें. मैंने विद्युत अभियांत्रिकी की है. लेकिन हिंदी में काफी दिलचस्पी है.
आभार.
अयंगदर.
उपयोगी प्रस्तुति!
बहुत ज्ञानवर्धक प्रस्तुति...
ज्ञानवर्धक उपयोगी प्रस्तुति...!!!!
बहुत सुन्दर ....ज्ञानवर्धक ....इस तरह का प्रचार प्रसार समीक्षा जारी रहे तो आनंद और आये ..जय श्री राधे
भ्रमर ५
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