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बुधवार, अक्तूबर 19, 2011

चुनावों में फिर भारी पड़ा जातिवाद का मुद्दा

लोकतंत्र एक अच्छी शासन प्रणाली अवश्य है, लेकिन लोकतंत्र पढ़े-लिखे और समझदार समाज की भी मांग करता है । दुर्भाग्यवश भारत की जनता अभी तक लोकतंत्र को सही अर्थों में समझने लायक नही हुई. ।चुनाव से पहले देश में अलग तरह का माहौल होता है और चुनाव आते ही देशवासी पूर्वाग्रहों में ग्रस्त होने लगते हैं । जाति, धर्म और क्षेत्र को इतनी मजबूती से पकड़ा जाता है कि लोकतंत्र दम तोड़ जाता है । 

                      अभी हाल ही में हरियाणा के हिसार संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव हुए । अन्ना की टीम भी दल-बल के साथ पहुंची । हालाँकि अन्ना भ्रष्टाचार का विरोध न करके सिर्फ कांग्रेस का विरोध कर रहे थे, लेकिन अन्ना को सुनने वाला कोई नहीं था । भले ही हिसार में कांग्रेस की हार का श्रेय अन्ना की टीम लेना चाहे, लेकिन जो हमने नजदीक से देखा है वो यही है कि अन्ना फैक्टर यहाँ गायब था । दरअसल यहाँ हर मुद्दा गायब था । चुनाव में जातिवाद का नंगा नाच हुआ ।कांग्रेस की जमानत जब्त हुई तो इसका कारण यह नहीं कि कांग्रेस यहाँ बहुत कमजोर हो गई और भाजपा के साथ गठबंधन करने वाली हजकां यहाँ जीती तो इसका यह अर्थ नहीं कि भाजपा की तरफ लोगों का झुकाव हुआ अपितु यह परिणाम जाट और गैर जाट का चुनाव था जिसमें गैर जाट भारी पड़े । 
                   यह चुनाव हालाँकि त्रिपक्षीय समझा गया लेकिन वास्तव में यह द्विपक्षीय बन गया । कांग्रेस ने अंतिम दिन अपने हाथ खींच लिए । कांग्रेस में आपसी टकराव जगजाहिर है ही, इसी के चलते कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कांग्रेस को हराने की चाल चली, अपनी हार को निश्चित जानकर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गैर जाट को हराने का दांव खेला जिससे यह चुनाव इनेलो और हजकां में कांटे की टक्कर बन गया ।  
                 चुनाव का नतीजा विशेष महत्व नहीं रखता, लेकिन इस चुनाव ने लोगों की मानसिकता को एक बार फिर जगजाहिर कर दिया । हम अक्सर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन यह चुनाव बताता है कि हम अभी भी जातिवादी सोच से बाहर नहीं निकले । इसी प्रकार धर्म और क्षेत्र को लेकर भी राजनीति होती है । अगर हरियाणा की बात करूं तो विधानसभा के चुनावों में क्षेत्रवाद पूरी तरह से उभर कर आता है । एक तरफ रोहतक की चौधर की बात की जाती है तो दूसरी तरफ पुराने हिसार की चौधर की । एक छोटे-से हरियाणा में क्षेत्रवाद का जब यह हाल है तो लोकसभा के चुनावों में क्षेत्रवाद का असली रूप दिखना स्वभाविक है ।  
                 भारतीय जन मानस जब तक छोटी सोच को छोडकर देश हित के बारे में नहीं सोचता तब तक देश के हालात सुधरने असंभव हैं । भ्रष्टाचार अवश्य एक मुद्दा है । लोकपाल की अवश्य जरूरत है, लेकिन इन चीज़ों से पहले अगर किसी चीज़ की सबसे ज्यादा जरूरत है तो वो है जनमानस में देश के प्रति निष्ठा जगाने की, क्षुद्र स्वार्थों से उपर उठकर देश के बारे में सोचने की । जिस दिन यह हो गया उस दिन न भ्रष्टाचार रहेगा न भ्रष्ट नेता ।  

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दिलबागसिंह विर्क 

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5 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

bahut achcha aalekh hai pahli baar aapko padh rahi hoon.charcha manch ke madhyam se aapke blog par aana sarthak raha.jud rahi hoon aapke blog se.aage bhi milte rahenge.

Shah Nawaz ने कहा…

बेहतरीन विश्लेषण किया है आपने...

मन के - मनके ने कहा…

मानवीय प्रवृति में,महाभारत सदैव जीवित है,इतिहास गवाह है.यह समयकालीन परिस्थितियां,निर्धारित करती हैं कि यह किस वाद पर लडा जाय.
ज़मीनी हकीकत को दर्शाता,आलेख.

Consultant ने कहा…

Aakhir janta kya kare.84% logon ne bhristachar roopi kangress ke khilaf vote diya.Anna ka asar to purav (Bihar),Paschim(Maharastra)Uttar(Hissar-Haryana)aur Dakshin (AP)sab jagah dekha gaya.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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