लोकतंत्र का अर्थ क्या है ? यही न कि आपको कहने की , रहने की ,जीने की आज़ादी है .आप शांतिपूर्ण ढंग से अपनी असहमति जता सकते हैं . आप न्याय की अपील कर सकते हैं , आप दोषी की तरफ ऊँगली उठा सकते हैं .आपको कोई बेजा तंग नहीं कर सकता .प्रशासन आपका रक्षक है .
लेकिन क्या महान देश भारत में ऐसा हो रहा है ? चार जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में योगगुरु रामदेव के धरने पर रात के एक बजे पुलिस बल का प्रयोग क्या लोकतान्त्रिक देश को शोभा देता है ? क्या यह इस बात की और इंगित नहीं करता कि कांग्रेस सरकार एक असहनशील सरकार है ? क्या यह इंदिरा गाँधी के आपातकाल की पुनरावृति नहीं ?
हालांकि सरकार का तर्क है कि रामदेव ने सहमती पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए थे . ऐसे में प्रदर्शन समाप्त होना चाहिए था . अगर इस बात को सच मान भी लिया जाए तो भी सरकार की बर्बरता पूर्ण कार्यवाही को उचित नहीं ठहराया जा सकता . सरकार को पत्र मीडिया के जरिये जनता के सामने लाना चाहिए था . दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने का इंतजार करना चाहिए था .
सरकार की इस कार्यवाई को तब तो सही ठहराया जा सकता था ,जब प्रदर्शनकारी कोई हिंसक गतिविधि कर रहे होते .यह आन्दोलन तो शांतिपूर्ण तरीके चल रहा था और फिर जिस समय पुलिस बल का प्रयोग किया गया उस समय आंदोलनकारी सो रहे थे . सोये हुए लोगों पर तो युद्ध में भी बार नहीं किया जाता . निहत्थों पर बार कायरता की निशानी है और कांग्रेस सरकार ने ऐसा करके लोकतंत्र को शर्मसार किया है . अगर केंद्र सरकार को ताकत दिखाने का इतना ही शौक है तो उसे आंतकवादी संगठनों के खिलाफ ताकत दिखाकर लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए . देश की संसद पर हमला करने वाले आंतकवादी तो सरकारी मेहमान बने बैठे हैं और सरकार उनको कुचल रही है जो देश से भ्रष्टाचार मिटाने की बात करते हैं , जो काले धन को देश में लाने की बात करते हैं
केंद्र सरकार के इस निंदनीय कृत्य की भर्त्सना करना देश के नागरिकों का कर्तव्य बनता है . यदि इस समय ऐसा नहीं किया गया तो देश में लोकतंत्र की हत्या संभव है .
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13 टिप्पणियां:
बिल्कुल सही कहा आपने!
अपने देश में अपने लोगं पर पुलिस का जुल्म!
कल जो हुआ वो ठीक नहीं था......अपना देश किस दिशा में बढ रहा है कोई नहीं जानता
ये तो सरकार की कायरता पूर्ण कार्यवाही है | निहत्थे तथा सोते हुवे लोगों पर लाठीचार्ज ये तो सरकारी आतंकवाद की परकाष्ठा ही है | सरकार की ये कार्यवाही अभी और लाला लाजपत राय तथा बिस्मिल पैदा करेंगे !
बेहद अफसोसजनक है.... इस कृत्य का विरोध होना ज़रूरी है ...
बाबा को पहना दी ,कल जिसने सलवार
अब तो बनने से रही ,फिर उसकी सरकार ।
रोज़ रोज़ पिटें लगे बच्चे और लाचार ,
है कैसा यह लोक मत ,कैसी है सरकार ।
आंधी में उड़ने लगे नोटों के अम्बार ,
संसद में होने लगा ये कैसा व्यवहार ।
और जोर से बोल लो उनकी जय जैकार ,
सरे आम पीटने लगे मोची और लुहार .
संसद में होने लगा यह कैसा व्यवहार ,
सरे आम होने लगा नोटों का व्यापार ।
संसद बने रह गई कुर्सी का त्यौहार ,
कुर्सी के पाए बने गणतंत्री गैंडे चार .
भाई विर्क साहब गम नहीं पाप का घड़ा फूटने ही वाला है .कांग्रेस के मुंह में आखिरी निवाला है .बाबा गले की हड्डी बनने वालें हैं .
बिल्कुल सही कहा आपने!
यह सब कुछ शर्मनाक रहा....
जी हाँ - शर्मनाक तो रहा - लेकिन उससे कहीं अधिक शर्मनाक है - कि मीडिया बहुत ही सिस्टमेटिक तरीके से इस बात को नेगलेक्ट करने में लगा है | आज़ाद देश का मीडिया - इतनी बड़ी बात को - क्या इस तरह इग्नोर करेगा - बिना सरकारी प्रभाव के?
एक आदमी देश के लिए भूखा है - वह आदमी - जिसने कितने बीमारों को सेहत दी है - ५ दिन से भूखा प्यासा है - डीहायड्रेशन शुरू है - और कोई पूछ तक नहीं रहा ? और हम सब सिर्फ ब्लोग्स पर ही यह बात कर रहे हैं -| न्यूज़ चैनल्स या तो यह खबर दिखा ही नहीं रहे हैं - या दिखा रहे हैं तो ऐसे - कि बाबा कोई बहुत बड़ा फ्रौड़ है - जिस पर यह और वह जांच शुरू हो रही है | :((
जो भी हुआ गलत हुआ . किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है.
अफसोसजनक घटना..
बिलकुल सही लिखा है आपने .....
शांतिपूर्ण अनशन करनेवाले सत्याग्रहियों पर सोते समय हमला करना , केंद्र सरकार की बर्बरता ही कही जायेगी |
यह अंग्रेजों के अत्याचार से किसी भी तरह कम नहीं है | घोर निंदनीय कृत्य है यह ..
sahi kaha hai
देखिये और क्या-क्या हो रहा है......
sach me bahut hi bura laga!, ek imaandar hindustani ko to kam se kam bhatsarna karni hi chahiye! media ka kya kehna, aajkal satta inhi ke isharon par chalti hai, ya kahe ki ye bike hue hain!
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