आज राष्ट्र ६५ वां स्वाधीनता दिवस मना रहा है । गाँव-गाँव, शहर-शहर आयोजन हो रहे हैं, ध्वजारोहण हो रहा है, बड़े-बड़े भाषण दिए जा रहे हैं, शहीदों को नमन किया जा रहा है । यह एक अच्छी बात है, लेकिन यह जज्बा दोपहर ढलते-ढलते दूध में आए उफान की तरह बैठ जाता है । फिर किसी को न देश की याद आती है न शहीदों की । यही कारण है कि भारत आज भी उस मुकाम को नहीं छु पाया जिसकी कल्पना आज़ादी के दीवानों ने की थी । आज़ादी अपने वास्तविक अर्थों से कोसों दूर है ।
आज अधिकारों की बात बहुत की जाती है । लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों, इस हेतु बहुत प्रचार हुआ है । RTI इस दिशा में उठाया गया बेहतरीन कदम है, लेकिन सिर्फ भाषणों को छोड़कर कर्तव्यों की बात कहीं नहीं हो रही । क्या कर्तव्यों के बिना अधिकार पाए जा सकते हैं ? एक का कर्तव्य दूसरे का अधिकार है । कर्तव्य और अधिकार एक सिक्के के दो पहलू हैं और किसी एक को ठुकराकर दूसरे को हासिल नहीं किया जा सकता ।
आज राष्ट्र को कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों की जरूरत है । '' देश ने हमें क्या दिया ?'' यह प्रश्न पूछने की बजाए '' हमने देश को क्या दिया ? '' -यह पूछने की जरूरत है । निस्संदेह स्वाधीनता दिवस एक बड़ा पर्व है और इस बड़े पर्व पर यह प्रण लेने की जरूरत है कि दूसरों को कुछ कहने से पहले, दूसरों से कुछ अपेक्षा करने से पहले हम खुद को सुधारेंगे । अगर हम खुद को सुधार पाए तो राष्ट्र के हालत भी अवश्य सुधरेंगे क्योंकि राष्ट्र वैसा ही है जैसे हम हैं ।
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दिलबागसिंह विर्क
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12 टिप्पणियां:
65वें स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आज़ादी की वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई....!
बहुत सही लिखा है आपने...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
vicharneey post. aisi soch ki jarurat hai.
इस बड़े पर्व पर यह प्रण लेने की जरूरत है कि दूसरों को कुछ कहने से पहले , दूसरों से कुछ अपेक्षा करने से पहले हम खुद को सुधारेंगे .
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं....
Yahi to vicharniy hai har nagrik ke liye....Saarthak Post
मै आपकी बात से सहमत हूँ .......आज सब लोग बेकार कि बहस में पड़ का अपना समय व्यर्थ गँवा रहे है
दूसरों को कुछ कहने से पहले , दूसरों से कुछ अपेक्षा करने से पहले हम खुद को सुधारेंगे .
यही प्रण लेना तो मुश्किल है दिलबाग जी ....
कौन सी आजादी की बात कर रहे है आप. वही जिसमे एक आम इन्सान नेताओ, पुलिस , गुंडों का गुलाम है और उनके हिसाब से ही किसी तरह गुलामी में जी रहा है या उस आजादी की बात कर रहे हो जिसमे अंग्रेज तो चले गए किन्तु उनके एजेंट आज भी इंडिया को बर्बाद कर रहे है. इंडिया कभी आजाद हुआ भी था या केवल सत्ता का स्थान्तरण हुआ था अंग्रेजो और अंग्रेजो के अजेंटो के बीच में.
सच्चा आवाहन....
सादर शुभकामनाएं
भैया. कर्तव्य तो ६५ वर्ष से निभाते आ रहे हैं :)
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