भाग एक से आगे
5. मिश्र बन्धु -
तीन भाई -
- प. गणेश बिहारी मिश्र
- डॉ. श्याम बिहारी मिश्र
- डॉ. शुकदेव बिहारी मिश्र
पुस्तक - " मिश्रबन्धु विनोद " ( चार भाग )
प्रकाशन - प्रथम तीन भाग -1913
चौथा भाग ( काल ) - 1914
" हिंदी नवरत्न " - मिश्र बन्धु विनोद के प्रथम तीन भागों का पूरक
4591 कवियों का जीवन वृतांत संग्रहित ।
आचार्य शुक्ल - " कवियों के परिचयात्मक विवरण मैंने प्राय: मिश्रबन्धु विनोद से ही लिए हैं । "
स्थान-स्थान पर काव्यांग विवेचन
तुलनात्मक पद्धति का अनुसरण करते हुए कवियों की श्रेणियां बनाने का प्रयास
देव-बिहारी विवाद को जन्म दिया जो अगले दस वर्षों तक चर्चा का विषय रहा ।
6. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल -
पुस्तक - " हिंदी साहित्य का इतिहास "
1928 - नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित " हिंदी शब्द सागर " की भूमिका में " हिंदी साहित्य का विकास " के रूप में प्रकाशित ।
1929 - स्वतंत्र पुस्तक के रूप में
1940 - संशोधित और प्रवर्धित संस्करण
मूल विषय को आरंभ करने से पूर्व ही संवत 1050 से संवत 1984 तक के 900 वर्षों के इतिहास को सुस्पष्ट चार भागों में विभाजित किया है ।
7. डॉ . रामकुमार वर्मा -
पुस्तक - " हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास "
प्रकाशन - 1938
693 से 1693 ई . तक के काल को सात प्रकरणों में प्रस्तुत किया है - संधिकाल, चारणकाल, भक्तिकाल की अनुक्रमणिका, भक्ति काव्य, राम काव्य, कृष्ण काव्य, प्रेम काव्य ।
शुक्ल की मान्यताओं को दोहरया । आदिकाल को दो भागों में बांटा - संधिकाल , चारणकाल
विवेचना की पद्धति में पद्य की कोमलता
विवेचना की पद्धति में पद्य की कोमलता
8. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी -
पुस्तक - हिंदी साहित्य की भूमिका ( 1940 )
मुख्य रूप से इतिहास ग्रन्थ न होते हुए भी कई इतिहास ग्रन्थों से अच्छा ( पहला ग्रन्थ जिसमें साहित्य के विभिन्न स्वरूपों के विकास का विराट रूप से वर्णन )
परम्परा को महत्व
दस अध्याय - हिंदी साहित्य, भारतीय चिन्तन का स्वभाविक विकास, संत मत, भक्तों की परम्परा, योग मार्ग और संत मत, सगुण मतवाद, मध्ययुग के संतों का स्वाभाविक विकास, भक्तिकाल के प्रमुख कवियों का व्यक्तित्व , रीतिकाल, उपसंहार ।
परिशिष्ट में संस्कृत संबंधी अध्ययन
द्विवेदी जी के अन्य प्रमुख ग्रन्थ -
- हिंदी साहित्य : उद्भव एवं विकास
- हिंदी साहित्य का आदिकाल ( व्याखान ग्रन्थ )
- कबीर और नाथ संप्रदाय
- कबीर
द्विवेदी जी आचार्य शुक्ल की अनेक धारणाओं व स्थापनाओं को चुनौती देते हुए उन्हें सबल प्रमाणों के आधार पर खंडित करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
9 . डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त -
पुस्तक -
हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास ( दो भाग ) - 1965
काल विभाजन के ढांचे में मौलिक परिवर्तन
शुक्ल की मान्यताओं का सतर्क खंडन
10. अन्य इतिहास ग्रन्थ -
इन साहित्येतिहासकारों के अतिरिक्त अनेक विदेशी और भारतीय लेखकों ने इस दिशा में अपने अपने प्रयास किए । कई संपादित ग्रन्थ भी निकले जिनमे डॉ. नगेन्द्र और नागरी प्रचारणी सभा द्वारा संपादित ग्रन्थ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं ।
क्रमश:
( मेरे नोट्स पर आधारित, सुझाव आमंत्रित )
2 टिप्पणियां:
सार्थक लेख, समुचित सामग्री , गागर में सागर. धन्यवाद् .
संकलन योग्य
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