BE PROUD TO BE AN INDIAN

मंगलवार, सितंबर 27, 2011

लोकतंत्र को समझने में नाकाम भारतीय जनमानस

इस बात में संदेह नहीं है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है, लेकिन इस बात में संदेह होगा कि भारत एक सफल लोकतान्त्रिक देश है. भारतीय जनमानस अभी भी लोकतंत्र को समझने में नाकाम है. लोकतंत्र लोगों का राज है लेकिन भारतीय जनमानस अभी भी राजसी व्यवहार को अहमियत देता है, यही कारण है कि यहाँ के नेता सेवक न होकर शासक होते हैं और जनता राजा के रहमो-कर्म पर जीने वाली प्रजा होती है.

मंगलवार, सितंबर 13, 2011

आओ , हिंदी को आगे बढाने का प्रण लें

हिंदी दिवस आ गया है । हिंदी के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने का दिन है ये । कहीं पर हिंदी सप्ताह मनाया जाएगा तो कहीं पर हिंदी पखवाडा, लेकिन सितम्बर बीतते-बीतते हिंदी का जोश कम पड जाएगा । ऐसा 62 वर्षों से हो रहा है और आगे भी ऐसा होता ही रहेगा । हिंदी अपने बदहाल पर आंसू बहाती आई है , आंसू बहाती रहेगी । 

सोमवार, सितंबर 05, 2011

दोषी सिर्फ गुरु नहीं

आज अध्यापक दिवस है ।अध्यापक के सम्मान का दिवस है । कुछ पुरस्कार भी वितरित होंगे लेकिन अध्यापक का आज सम्मान होता होगा , इसमें सन्देह है । निस्सन्देह अध्यापक वर्ग काफी हद तक खुद दोषी है और अध्यापक का पतन आज ही शुरु हुआ हो ऐसा नहीं है ।अध्यापक ने तो उसी दिन अपनी गुरुता खो दी थी जिस दिन उसने एक शिष्य की भलाई की खातिर उस दूसरे शिष्य का अंगूठा मांग लिया था , जिसको उसने शिक्षा दी ही नहीं थी । और हैरानी इस बात की है कि वही गुरु हमारा आदर्श है और उसके नाम का अवार्ड श्रेष्ट गुरु को दिया जाता है । गुरु ने तो गुरुता महाभारत काल में खो दी थी लेकिन शिष्य की शिष्यता उस दौर में बरकरार थी । 

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