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मंगलवार, जनवरी 11, 2011

गठन नए राज्यों का

कहने को हम भारतीय हैं, लेकिन वास्तव में भारतीय होने की अपेक्षा हम हरियाणवी, पंजाबी, गुजराती, मराठी ज्यादा हैं | क्षेत्रवाद से हमारा प्रेम इतना ज्यादा है कि देश पीछे छूट जाता है | महाराष्ट्र का मराठावाद सर्वविदित ही है | नए-नए राज्यों का गठन और इनके क्षेत्र को लेकर विवाद इसी का प्रतीक है | अक्सर राजनेताओं पर आरोप लगाया जाता है कि वे वोट बैंक के लिए ऐसे मुद्दे उठाते हैं, लेकिन असली दोषी जनता है जो इन मुद्दों को उठने का मौका देती है |
                 यहाँ तक नए राज्यों के गठन की बात है, देश में तेलंगाना, विदर्भ, हरित प्रदेश, बुन्देलखण्ड, गोंडवाना, मिथिलांचल, गोरखालैंड जैसे राज्यों की मांग समय-समय पर उठती रही है | छोटे राज्य लाभदायक हैं ऐसा तर्क दिया जाता है | हरियाणा , हिमाचल ,उतरांचल का उदाहरण भी दिया जाता है, लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जाता क्योंकि प्रत्येक पार्टी के अपने हित हैं | गठित किये गए आयोग भी कमोबेश सत्तारूढ़ दल की उम्मीदों का ध्यान रखतें हैं | परिणामस्वरूप एक तरफ आन्दोलन होते रहते हैं, दूसरी तरफ टरकाउ नीति जारी रहती है |
           नए राज्यों का गठन कुछ हद तक जायज है, लेकिन इसकी देखा-देखी जब देश के हर कोने से नए राज्य की मांग उठने लगती है, तब यह अनुचित हो जाता है | देशवासियों को सोचना चाहिए कि नए राज्यों का गठन एक खर्चीला काम है | जब हम घरेलू स्तर पर फालतू खर्च स्वीकार नहीं करते तब देश के स्तर पर इसे जायज कैसे माना जा सकता है ? अत: जब जरूरी हो तभी नए राज्यों का गठन होना चाहिए |
              नए राज्यों के गठन में क्षेत्र का निर्धारण सबसे बड़ी समस्या है | तेलंगाना-आंध्रप्रदेश में हैदराबाद किस तरफ हो यह प्रमुख मुद्दा है | कुछ ऐसी ही समस्या हरियाणा बनने के 44 वर्ष बाद भी कायम है | ' चंडीगढ़ हमारा है ' - ये रट दोनों राज्य लगाए हुए हैं | हैदराबाद हमारा है - ऐसी ही रट कल को तेलंगाना और आंध्रप्रदेश लगाएंगे | इसका एकमात्र समाधान ऐसे क्षेत्रों को केन्द्रशासित प्रदेश बनाना ही है, लेकिन केन्द्रशासित बनाते ही इसे दोनों राज्यों से छीनना जरूरी है | चंडीगढ़ के मामले में ऐसा नहीं हुआ | यह हरियाणा और पंजाब दोनों की राजधानी है और अब कोई भी इसे छोड़ने को तैयार नहीं है | चंडीगढ़ किसे मिले यह विवाद का विषय  है और इसका समाधान यही है कि चंडीगढ़ दोनों से छीन लिया जाए, यही तरीका हैदराबाद के बारे में अपनाया जाना चाहिए | ऐसा करने में किसी को एतराज नहीं होना चाहिए क्योंकि ये दोनों खूबसूरत शहर रहेंगे तो भारत का हिस्सा ही |  


                             * * * * *

1 टिप्पणी:

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

अच्छा लेख। बधाई!

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