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शुक्रवार, मार्च 02, 2012

चुप बैठी सरकार


मानें ना कानून को , स्वयंभू हुए आप । 
लेकर सत्ता हाथ में , करे फैसले खाप ||
करे फैसले खाप , रहे तोड़-फोड़ जारी |
हो कोई भी बात , ट्रैक रोंकें नर-नारी ||
लोग हैं परेशान, न दु:ख किसी का जानें |
पशुतुल्य हुए भीड़, कब किसी की ये मानें ||

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अदालत लगाती रही , बार-बार फटकार |
बनकर भोली-बावली , चुप बैठी सरकार ||
चुप बैठी सरकार , करे पक्षपात भारी |
चहेते बने गेस्ट , मार पात्रों को मारी ||
करें हैं हेर-फेर , बनाई कैसी आदत |
ना करना अन्याय , देख रही है अदालत ||

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दिलबागसिंह विर्क 
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1 टिप्पणी:

लोकेन्द्र सिंह ने कहा…

सरकार चुप नहीं बैठी है दिलबाग जी, वह तो देशहित में लगे लोगों के खिलाफ बोलने और कार्रवाई करने में व्यस्त है इससे फुरसत मिले तब अपराधियों की सोचे।

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