आज अध्यापक दिवस है ।अध्यापक के सम्मान का दिवस है । कुछ पुरस्कार भी वितरित होंगे लेकिन अध्यापक का आज सम्मान होता होगा , इसमें सन्देह है । निस्सन्देह अध्यापक वर्ग काफी हद तक खुद दोषी है और अध्यापक का पतन आज ही शुरु हुआ हो ऐसा नहीं है ।अध्यापक ने तो उसी दिन अपनी गुरुता खो दी थी जिस दिन उसने एक शिष्य की भलाई की खातिर उस दूसरे शिष्य का अंगूठा मांग लिया था , जिसको उसने शिक्षा दी ही नहीं थी । और हैरानी इस बात की है कि वही गुरु हमारा आदर्श है और उसके नाम का अवार्ड श्रेष्ट गुरु को दिया जाता है । गुरु ने तो गुरुता महाभारत काल में खो दी थी लेकिन शिष्य की शिष्यता उस दौर में बरकरार थी ।
एकलव्य शिष्यता का चरम है और आज के शिष्य पतन की और अग्रसर हैं । भले ही यह कहा जाता रहे कि अध्यापक को अपना कर्तव्य करते रहना चाहिए, लेकिन यह सच है कि अध्यापक तब तक कुछ दे नहीं सकता , जब तक कोई लेने वाला न हो । दरअसल अध्यापक कुछ देता ही नहीं उससे लेना होता है और लेने वाला वो सब हासिल कर लेता है जो वो चाहता है, यही कारण था कि अर्जुन वो सब सीख पाया जो दुर्योधन और उसके भाई नहीं सीख पाए ।
अध्यापक दिवस पर यहाँ अध्यापकों को अपने व्यवहार की समीक्षा करनी चाहिए, वहीं हर माँ-बाप को अपने बच्चों को यह संस्कार देना चाहिए कि वे अपने अध्यापक का सम्मान करें । माँ-बाप जब कहते हैं कि वे पैसे के बल पर शिक्षा हासिल करवाते हैं तब वे बच्चों की शिष्यता का कत्ल करते हैं और इसका नुक्सान उन्हीं को उठाना पड़ता क्योंकि कुछ हासिल करना है तो शिष्यों ने करना है, गुरु ने नहीं ।
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दिलबागसिंह विर्क
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9 टिप्पणियां:
आज ना कोई द्रोणाचार्य है और ना कोई एकलव्य
best
sahi kahaa hai aapne
अच्छा लिखा है ..
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं !!
shiksha ka vywasayikaran ka naniza hai ki aaj yah swasth parampara matra aupcharikta bankar rah gayee hai..
saarthak prastuti ..
shikshak diwas kee hardik shubhkamnayen..
ना तो अच्छे गुरु रहे,ना ही अच्छे शिष्य.
कौन सँवारे किस तरह,बच्चे तेरा भविष्य.
विचारणीय आलेख.पीड़ा उठना स्वाभाविक है.
सटीक लिखा है ..जिसे प्राप्त करना है वो ही प्राप्त कर पाता है ... विचारणीय ..
सही कहा आपने1 शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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नमक इश्क का हो या..
पैसे बरसाने वाला भूत...
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